उदयपुर और बांसवाडा खरोश से निकले ताजिये

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उदयपुर , 7 दिसम्बर (का.सं.)। हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में बुधवार को मोहर्रम की 10 वीं तारीख को ताजियों का जुलूस अकीदत और जोश खरोश के साथ निकले। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी ताजिया दो चरणों में निकाले गये।

पहले चरण के ताजियों का जुलूस सुबह 11 बजे हरवेन जी का खुर्रे से शुरू हुआ। कल्लेसात, जाटवाडी, महावतवाडी आदि मोहल्लो के ताजिये सुबह 11 बजे से आना शुरू हो गए। ढोल नगाडो और मातमी जुलूस के साथ ताजियों घंटाघर, गणेश घाटी,पाण्डुवाडी होते हुए पिछोला झील किनारे पहुंचे जहां नाव में रख कर ताजिया कमेटी द्वारा ठण्डा किया गया।

दूसरे चरण के ताजिये की सवारी के लिए तैयारी दिन में दो बजे से शुरू हो गई । अलीपुरा, धोलीबावडी और पलटन के ताजियों 2 बजे से ही अलग अलग खण्डो मे लाकर तीज का चौक में रख दिये और यहा इन खण्डो को जोडकर बडे ताजियों खडे किये। शाम चार बजे तीज का चौक से बडे ताजियों का विशाल जुलूस रवाना हुआ जो भडभुजा घाटी, मोचीवाडा,घंटाघर, जगदीश चौक होते हुए लाल घाट पहंुचे। बडे ताजिये 22 फीट से लेकर 32 फीट के ताजियों पर संुदर कारीगरी का काम किया गया था। शाम को जुलूस में 3 बडे ताजिये समेत करीब 22 ताजियों थे। ताजियों के जुलूस में उदयपुर के आस पास के भी कई अकीदतमंद शरीक हुए। महिलाओं ने ताजियों पर पू€ल मालाएं चढाकर मन्नत मांगी और पिछली मन्नतो का इमाम हुसैन का शुक्रिया अदा किया। सवेरे शहर की सभी मस्जिदों में आशूरे की विशेष नमाज अदा की गयी ओर इमाम हुसैन की शहादत को याद किया।

बांसवाडाः पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत के गम में मनाय जाने वाले मुहर्रम के त्यौहार के मौके पर आज बुधवार को बांसवाडा में ताजियों का जुलूस शहरगश्त को निकला। दोपहर ढाई बजे जोहर की नमाज के बाद पृथ्वीगंज चौक से मकामी एवं मन्नति मोहर्रम का जुलूस गौरखइमली पहुंचा जहां परम्परा के अनुसार लौटने की रस्म अदा हुई जिसमें सभी धर्मावलंबि ने सडक पर लेटकर और नारियल वघेर कर मन्नतों को पूरा किया। याद रहे कि पृथ्वीगंज चौक से मोहर्रम का जुलूस जैसे ही गौरखइमली मस्जिद तक आता है तो यहाँ हुजूम उमड पडता है और या हुसैन, या हुसैन की गूंज के साथ मकामी मोहर्रम का मुकाम जैसे ही उठता है वैसे ही अकीदतमंदों और मन्नतें उतारने वाले सडक पर जहां भी जगह मिले लेट लगाते हैं और नारियल वघेरते हैं। मुकाम उठने के बाद पृथ्वीगंज और गौरखइमली के मोहर्रम सात चक्कर लगाते हैं और बाद में यह जुलूस अपने निर्धारित मार्ग कालिकामाता होते हुए धनावाव पहुंचता है, जहां पहले से मौजूद पाला, कंधारवाडी, मकरानीवाडा और अन्य मन्नति मोहर्रम एक साथ शामिल हो जाते हैं और यहाँ पर चारों तरफ या हुसैन या हुसैन की गूंज रहती है। इसके अलावा इस जगह पर अखाडों के हैरतंगेज करतब दिखाय जाते हैं और बाद में यह जुलूस आजाद चौक, पीपली चौक, कुशलबाग दरवाजा, गांधीमूर्ति, पुराना बस स्टैंड, कस्टम चौराहा, पृथ्वीगंज होते हुए राजतालाब आता है जहां मगरीब के बाद इन्हें ठंडा किया जाता है जबकि पाला, कंधारवाडी, मकरानीवाडा और अन्य्ा मन्नति मोहर्रम को डाय्ालाव में ठंडा किया जाता है।

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