एश्वर्या में जाने सफलता के मन्त्र

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उदयपुर, वॉलकेम इण्डिया लिमिटेड के अध्यक्ष सत्येन्द्र महाजन ने कहा कि मनुष्य का जीवन एक स्कूल है जहां हर पडाव एक इम्तिहान की तरह है जहां हमें सफल होना है। महाजन ऐश्वर्या कॉलेज में आयोजित ‘‘व्यापार एवं सूचना प्रोद्योगिकी के लिए सफलता के मंत्र‘‘ विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने नेतृत्व के गुणों के विकास पर जोर देते हुए इसकी सफलता के लिए ९ सूत्रों-जिज्ञासा, क्रियाशीलता, वाक्पटुता, चरित्र, प्रोत्साहन, दृढ विश्वास, पर्याप्तता आदि का विस्तार पूर्वक विवेचन किया।

समारोह के विशिष्ट अतिथि डॉ. आर. पी. सिंह ने इस प्रतिस्पर्धात्मक युग में अपने आप को कायम रखने के लिए विद्यार्थियों को अपनी गुणवता में सुधार लाने पर बल दिया। मुख्य वक्ता प्रो. करूनेश सक्सेना ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा सीख कर ही व्यक्ति अपने आप को साबित कर सकता है। उन्होने कहा कि जीवन में बाधाएं आती रहती है लेकिन उनका मुकाबला करके ही व्यक्ति स्वयं को साबित कर सकता है। इससे पूर्व उद्घाटन सत्र का प्रारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। तद्पश्चात् कार्यशाला समन्वयक श्री कपिल श्रीमाल ने अतिथियों का स्वागत किया। एम.सी.ए. विद्यार्थी रितेश चौहान ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस कार्यशाला में देशभर से २०० से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे है।

तकनीकी सत्र : प्रो. करूनेश सक्सेना ने दो दिवसीय कार्यशाला के प्रथम तकनीकी सत्र में भावनात्मक बुद्विमता पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि सामान्य ज्ञान व बुद्घिमता से व्यक्ति केवल नौकरी प्राप्त कर सकता है लेकिन भावनात्मक बुद्घिमता उसे सफलता प्रदान कराती है। उन्होंने बताया कि बेहतर तरीके से भावनाओं का प्रबंधन करना ही भावनात्मक बुद्घिमता है। द्वितीय सत्र में ‘‘२१वीं सदी में योग्य प्रबंधक समय की मांग‘‘ विषय पर बोलते हुए जे. के. सीमेन्ट, निम्बाहेडा में सहायक उपाध्यक्ष (एच.आर. एण्ड आर.टी. सी.) डॉ. आर. पी. सिंह ने कहा कि २१वीं सदी में योग्य प्रबंधक की बहुत आवश्यकता है इसलिए शैक्षणिक ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान अति महत्वपूर्ण है। इस हेतु विद्यार्थी अपने व्यावहारिक ज्ञान में भी वृद्घि करते रहे। तृतीय तकनीकी सत्र में निरमा युनिवर्सिटी, अहमदाबाद से आये वरिष्ठ एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नित्येश भट्ट ने सूचना एवं प्रोद्योगिकी में संसाधनों का प्रबन्धन विषय पर बोलते हुए कहा कि सूचना एवं प्रोद्योगिकी के संसाधनों के प्रबंधन में ध्यान रखने की आवश्यकता है। कम्पनी में संसाधनों को अलग-अलग जोडकर सही ढाचे में उपयोग किया जाना चाहिए।

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