मुस्तेद पुलिस की फैलती सुस्त तोंद

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उदयपुर। संभाग मुख्यालय पर नियुक्त चौकी इंचार्ज से लेकर सीआई (निरीक्षक) स्तर के 80 फीसदी से अधिक जवानों की तोंद लगातार फैलती जा रही है। राज्य पुलिस मुख्यालय की ओर से निचले दर्जे की कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के ताजा मापदंडों पर जिले में नियुक्त पुलिसकर्मियों को कसा जाए तो 15 फीसदी अमला ही मुश्किल से टिक पाएगा। यही नहीं, घुटनों के आपस में टकराव तथा नेत्र दृष्टि के मामले में भी पुलिसिया अमला पिछड़ता जा रहा है। हद तो यह है कि, पुलिस लवाजमे में भर्ती के लिए तय की गई 10 किमी की न्यूनतम दौड़ में हर जवान हांफता नजर आएगा। ऐसे में क्रसेवार्थ कटिबद्धताञ्ज तथा क्रआमजन में विश्वास, अपराधियों में डरञ्ज का ध्येय वाक्य मात्र दीवारों का हिस्सा बनने लगा है।

जिले में वर्तमान में 3070 खाकीवर्दीधारी क्रजन रक्षकञ्ज तैनात हैं। इनमें एक पुलिस अधीक्षक, चार एएसपी, 12 डिप्टी, 26 सीआई (इंस्पेक्टर), 114 थानेदार (एसआई), 177 एएसआई, 291 हैड कांस्टेबल और 2455 कांस्टेबल शामिल हैं। इस अमले को देखने के बाद आमजन की घिग्घी बंध जाती है लेकिन अपराधों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है। यही नहीं, पुलिस के इस अमले के अलावा अपराधों की रोकथाम के लिए सीआईडी सीबी, एंटी टैरेरिस्ट स्क्वाड एंड स्पेशल ऑपरेशन गु्रप (एटीएस एंड एसओजी), सीआईडी आईबी, आरएसी की ढेरों बटालियन, एमबीसी का भारी अमला आदि तैनात हैं। खास बात यह कि अपराध रोकने के लिए तैनात इस अमले में से अधिकतर उनकी तोंद ज्यादा फैली हुई हैं, जो अफसर वर्ग के हैं। उदयपुर रेंज के आईजी और पुलिस अधीक्षक द्वारा गाहे-ब-गाहे ली जाने वाली मीटिंग में भी तोंद वाले अधिकारियों का ही जमावड़ा लग जाता है लेकिन तोंद पर नियंत्रण का सवाल कभी कभार ही खड़ा हो पाता है।

 

…सभी हो जाएंगे फैल

इन दिनों राज्य पुलिस मुख्यालय ने कांस्टेबलों की भर्ती परीक्षा के नए मापदंड जारी करते हुए आवेदन मांगे हैं। इसमें ऊंचाई : 160 सेमी, सीना : बिना फुलाए 74 सेमी तथा फुलाने के बाद 79 सेमी (कम से कम पांच सीएम का फुलाव जरूरी), सिर्फ कांस्टेबल के लिए भर्ती परीक्षा में पास होने के लिए 10 किमी की दौड़ आदि जरूरी है। यह दौड़ भी 50 मिनट, 50 से 55 मिनट व 55 से 60 मिनट के दौरान पूरी करनी होती है। इसके अलावा अभ्यर्थी की दोनों आंखों की दृष्टि ६ गुणा ६ बिना चश्मे के होना जरूरी है। यही नहीं घुटने आपस में टकराने नहीं चाहिए। नसे फूली हुई नहीं हो, भैंगापन, रतौंधी, रंग दृष्टि दोष, हकलाकर बोलना, पैर समतल, या अन्य कोई विकृति जो कर्तव्य पालन में बाधक हो, नहीं होनी चाहिए। इन न्यूनतम मानदंडों पर कसा जाए तो अधिकतर पुलिस अफसर फैल हो जाएंगे।

 

सो.- मददगार

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