उदयपुर, । संभाग में वर्षा की बेरूखी के चलते क्षैत्र में स्थित जलाशयों एवं बांधों का जलस्तर भी कम हो गया है। गिरते जलस्तर के कारण आमजन चिंतित हो उठा है । यद्यपि वागड अंचल में हालात ठीक है लेकिन मेवाड में स्थिति चिंताजनक है।

जल संसाधन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार उदयपुर जिले के प्रमुख जल स्त्रोंतों के तहत देवास प्रथम चरण में अब तक मात्र २फिट ६ इंच पानी ही आया है जबकि गत वर्ष इस समय तक यहां का जलस्तर १८ फिट पार कर चुका था। ऐतिहासिक फतह सागर झील अब तक ३ फिट ४ इंच तक पहुंच पाई है जबकि गत वर्ष इस समय तक इस झील का जल स्तर ४ फिट ७ इंच पहुंच चुका था। देवास द्वितिय चरण के चलते पिछोला झील का जलस्तर कुछ ब$ढा है गत वर्ष यह ३ फिट ६ इंच था जबकि इस बार ४ फिट १० इंच हो चुका है। फतहसागर को जलापूर्ति करने वाले बडा मदार एवं छोटा मदार भी गत वर्ष की अपेक्षा निचले स्तर पर है। उदयसागर गत वर्ष अगस्त माह के मध्य तक १३ फिट ३ इंच पर था जबकि अभी उस झील का जल स्तर १२ फिट १ इंच पर स्थिर है।

इसी प्रकार झाडोल का जलाशय गत वर्ष अगस्त माह में लबालब होकर ओवरफलो हो रहा था इस बार शून्य पर है। दो मुख्य जलस्त्रोंतो में जल की वृद्घि ने आंशिक रूप से कुछ चिंता कम की हैं गत वर्ष मानसी वाकल का जलस्तर ५७५ फिट था इस बार यह ५७७ फिट है जबकि एशिया की सबसे बडी मानव कृत झील जयसमंद में पानी की आवक हुई है। यहां गत वर्ष जलस्तर शून्य था वहीं इस बार २ फिट ११ इंच परहै।

इधर राजसमंद जिले में जलस्त्रोंतो की हालत निरंतर चिंताजनक है यहां नन्दसमंद बांध में गत वर्ष एक मीटर से अधिक पानी आया था आज इस बांध का जलस्तर शून्य पर है चिकलवास फीडर गत वर्ष १५ मीटर लांघ चुका था इस बार स्थिर है । जबकि भूपालसागर गत वर्ष की अपेक्षा अच्छी स्थिति में हैं। बाघेरी नाका गत वर्ष ८४७ मीटर लांघचुका था। इस बार ५३ मीटर ही पहुच पाया है।

बांसवाडा जिले के माही बांध का जलस्तर गत वर्ष २६७ फिट पहुचा था इस बार २७४ पर है जबकि कलिंजरा में भी गत वर्ष की अपेक्षा जलस्तर में वृद्घि हुई है। डूंगरपुर के सोम कमला आम्बा में गत वर्ष ८.५५ मीटर पानी था इस बार ९.२५ मीटर पर है जबकि मारगिया बांधका जलस्तर स्थिर है।

 

चित्तौडगढ जिले के गंभीरी बांध में गत वर्ष इस समय तक १८ फिट ६ इंच पानी आ चुका था जबकि इस बार यहां का जलस्तर शून्य पर है। ओराई जलाशय में गत वर्ष २२ फिट पानी आ चुका था जबकि अभी यहां का जलस्तर ३ फिट ७ इंच पर अटका है। क्षैत्र के डीडोली,कपासन, बोरदा बडी मानसरोवर, रूपारेला, सरोवा आदि जलाशयों का जलस्तर शून्य से भी निचे है जबकि भोपाल सागर में गत वर्ष ७ फिट जलस्तर था इस बार ३ फिट ५ इंच पर स्थिर है।

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