शिल्प ग्राम उत्सव अपने पुरे शबाब पर

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उदयपुर, 28 दिसम्बर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से हवाला गंाव में आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव-2011 में आने वाले लोग कलात्मकता से खुद को एवं अपने घर को सजान वे संवारने की चाह में मित्रों व परिजनों सहित शिल्पग्राम पहुंच रहे हैं तथा हाट बाजार में शिल्पकारों से मोल भाव कर कुछ ना कुछ अवश्य ले कर जा रहे हैं।

उत्सव के आठवें दिन बुधवार को लोगों की आवाजाही दिन भर बनी रही लोगों ने अपने परिजनों व मित्रों के साथ मेले का आनन्द उठाया। हाट बाजार की विविधा में लोगों ने दीवार को सजाने के लिये महाराष्ट्र की वारली चित्रकारी, पेपर मेशी की बनी मूर्तियां, फूलदान, मिजोरम के ड्राई फ्लॉवर, कपड़े के पारंपरिक खिलौने व कठपुतलियाँ, पीतल की बनी कलात्मक मूर्तियां, पारंपरिक चित्रकारी, खुर्जा शिल्प के बने कलात्मक फूलदान, पैन स्टेण्ड, बांस की सजावटी वस्तुएँ जिसमें पेन स्टेण्ड, फूलदान, डेकोरेटिव वॉल पीस व हैंगिंग्स, वूलन कारपेट, कपड़े पर कशीदा युक्त वॉल पीस, पुराना ग्रामोंफोन, टेलिफोन, दूरबीन, बेडशीट, बेड कवर, लकड़ी व बांस के सोफा सेट, गार्डन चेयर, कॉर्नर ब्रैकेट, कलात्मक लैम्प उल्लेखनीय है।

इसके साथ ही लोगों को ध्यान खुद को सजाने व ंसवारने पर भी केन्द्रित होता नजर आया है। हाट बाजार में लोग लैदर जैकेट, वूलन जैकेट्स लैदर कैप, चिकन कारीगरी से अलंकृत कुर्ते, सलवार सूट, क्रोशिया के बने परिधान, कॉटन शर्ट्स, टी शर्ट्स, लैदर, जूट व कपड़े के पर्स, महिलाओं के लिये साड़ी, श्रृंगार में मैटल बैंगल्स, इयरिंग्स, टॉप्स, ब्रेसलैट, चूड़ियाँ, पंजाब की फुलकारी से सजे परिधान, पंजाबी व हरियाणा की जूतियाँ, कोल्हापुरी चप्पल प्रमुख हैं। मेले में लोगों ने अमरीकन भुट्टों, दूध जलेबी, गन्ने का रस, मक्की व चावल की सिकी व तली पापड़ी, ढोकले, पान्ये आदि का भोग धराया।

सप्तरंग में बिखरी लोक कलाओं की इंद्रधनुषी छटा पाशा दल की रामायण ने दिल को छूआ, सिद्द धमाल व छाऊ ने मचाई धमाल

शिल्पग्राम उत्सव में बुधवार को ‘‘सप्तरंग’’ का आयोजन हुआ जिसमें कला प्रेमियों एक ओर देश के विभिन्न राज्यों की लोक कलाओं की इंद्रधनुषी छटा देखने को मिली वहीं इस अवसर पर एबिलिटी अन लिमिटेड फाउण्डेशन के कलाकारों की प्रस्तुतियों में रामायण का मंचन दर्शकों के लिये हृदय स्पर्शी पेशकश बन सकी। कलाओं में गुजरात के सिद्दि कलाकारों ने अपनी थिरकन से दर्शकों को उन्मादित कर दिया वहीं असम के कलाकारों ने बिहू नृत्य में युवा प्रमियों के उल्लसित भावनाओं का प्रदर्शन किया।

मुक्ताकाशी रंगमंच ‘‘कलांगन’’ पर कार्यक्रम की शुरूआत राजस्थान के लोक नाट्य कुचामणी ख्याल ‘‘राजा हरिश्चन्द्र’’ से हुई इसके बाद पश्चिम बंगाल पुरूलिया के गौर कुमार व उनके साथियों ने पुरूलिया छाऊ में रामायण का ताड़का वध प्रसंग दर्शाया जिसमें विश्वामित्र को परेशान करने वाली ताड़का का भगवान श्रीराम व लक्ष्मण द्वारा वध किया जाता है। कार्यक्रम में दिल्ली के गुरू सैयद सलाउद्दीन पाशा व उनके विशेष बालकों ने व्हील चेयर पर अपनी प्रस्तुति दी जिसमें उन्होंने रामायण के संक्ष्प्ति वर्जन मंचन बखूबी से किया। इस प्रस्तुति में बालकों ने शूर्पणखा वध, रावण का सीता हरण, अशोक वाटिका में सीता को राक्ष्सियों द्वारा सताना, राम रावण युद्ध आदि प्रसंगों का चित्रण उत्कृष्ट ढंग से किया प्रस्तुति में ध्वनि व प्रकाश संयोजन श्रेष्ठ बन सका।

इस अवसर पर पाशा व उनके दल ने टैगोर की एक रचना पेश की। इसके बाद बालकों ने व्हील चेयर पर ऑस्कर पुरस्कार जीत चुके ए.आर. रहमान के लोकप्रिय गीत ‘‘जय हो….’’ प्रस्तुत कर देश भक्ति की भावाना को जागृत करने का प्रयास किया। इसी दल के विशेष बालकों ने बाद में ‘‘वंदे मातरम् भी पेश कर दर्शकों की वाहवाही लूटी। इन प्रस्तुतियों में व्हील चेयर की स्पिन व भाव पक्ष अत्यंत प्रबल बन सका।

इससे पूर्व गुजरात के अफ्रीकी मूल के सिद्दि कलाकारों द्वारा सिर से नारियल फोड़ने करतब श्रेष्ठ बन सके वहीं आसाम के युगलों ने पेपा व गोगोना के साथ ढोलक की थाप पर बिहू प्रस्तुत कर युवा मन को आल्हादित सा कर दिया। नृत्य के दौरान हाथ मं टोकरियां ले कर नृत्य करने पर मनोरम छटा उभर कर आई।

कार्यक्रम मंे इसके अलावा लावणी, मांगणियारों का गायन, भांगड़ा की प्रस्तुति को दर्शकों द्वारा भरपूर सराहा गया।

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