सोई ममता जागी ‘‘पावसी‘‘

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उदयपुर, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र तथा राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘‘राजस्थानी नाट्य समारोह‘‘ के पहले दिन मंचित नाटक ‘‘पावसी‘‘ में माँ की ममता के हृदय स्पर्शी चित्रण से हुआ।

शिल्पग्राम के दर्पण सभगार में आयोजित नाट्य समाोह के पहले दिन अशोक जोशी ऋांत द्वारा लिखित व वरिष्ठ रंगकर्मी दलपत परिहार द्वारा निर्देशित ‘‘पावसी‘‘ का मंचन किया गया। नाटक का कथ्य एक अत्यंत गंभीर विचार के बुना गया। नाटक एक बुढिया की मनोभावनाओं को चित्रित करता है। इस बुढिया ने अपनी औलाद को पालने में पूरा जीवन गुजार दिया किन्तु शादी के बाद बेटे के व्यवहार से उसका मन व्यथित हो जाता है। वह अपनी छुटकी बहू से नाराज हो कर अपने बडे बेटे के पास जाने के लिये भरी दुपहरी में निकलती है।

रास्ते में थकान के कारण गांव के गांव के एक घर के बाहर सुस्ताने लगती है इसी दौरान उसकी निगाह दूध पीते गाय के बछडे पर पडती है। बछडा बार बार थनों पर मुँह मारता है गाय पावस जाती है और बछडा दूध पीने लगता है। इस दृश्य को देख कर बुढिया के मन में ममता जाग उठती है और उसका हृदय परिवर्तन हो जाता है। नाटक में निदेशक दलपत परिहार कथा के मर्म को उभारने में सफल रहे वहीं बुढिया के किरदार को डॉ. नीतू परिहार ने बखूबी निभाया। नीतू ने बुढिया के अंतर्मन की व्यथा को उत्कृष्ट ढंग से दर्शाया। प्रस्तुति में इसके अलावा हरिप्रसाद वैष्णव, दीपा तथा मोहित का महत्वपूर्ण योगदान रहा। समारोह के दूसरे दिन शनिवार शाम साढे सात बजे डॉ. अर्जुनदेव चारण द्वारा निर्देशित नाटक ‘‘सत्याग्रह‘‘ का मंचन होगा।

 

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