उदयपुर, जिले के केन्द्रीय कारागृह में अपने अपराधों की सजा भोग रहे ४० कैदियों के जीवन में एक नया बदलाव आया है। इन ४० कैदियों ने अपनी भावनाओं को केनवास पर उतार कर स्वयं को चित्रकार बनाते हुए अपने जीवन एवं सोच को नई दिशा दी है।

इन कैदियों ने अपने बचपन के उन क्षणों को केनवास पर उतारकर अपनी स्मृतियों को पुनजीर्वित किया जिसमें उनके मासूम-अल्हड पन की अभिव्यत्ति* है। इसके अतिरित्त* भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न मुद्राए, आदिवासियों की परम्पराओं की मस्ती और धूम और उसके बाद जेल में गुजर रहे जीवन के दृश्यों को इन कैदियों ने जिस प्रकार एक कुशल चित्रकार की तरह केनवास पर पिछले तीन वर्षो में उतार कर अपनी भावनाओं की अभिव्यत्ति* दी है वह उनकी सोच और बदलाव में आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। जेल में हर रविवार को पेंटिग का शिविर लगाया जाता है जहां पिछले तीन साल से ४० कैदी जेल मे पेंटिंग बनाना सिख रहे है। और अभी तक ये कैदी अपने जीवन की सोच बदलते हुए १२५ विभिन्न मन भावन पेन्टींग बना चुके है। पेंटिग शिविर प्रभरी डा.मीना बया ने बताया कि चित्रकारी मनुष्य को सुकून देती है साथ ही अपने जीने का तरीका भी बेहतर बनाने में सहयोग देती है। कल्पना में सोच में और अपने व्यवहार आचरण में सादगी लाती है। चाहे कोई कैदी हो या कोई आम इंसान हर शरीर में एक कलाकार एक चित्रकार बसता है जिसकी बस तराशने की जरूरत है। डा.मीना ने बताया कि जल्द ही इन पेटिंग को आम जनता में प्रदर्शित की जाएगी।

 

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