’कर्म करने से तो संसार है और छोडना ही मुक्ति’

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उदयपुर, दिगबर जैन समाज के आचार्य अभिनन्दन सागर ने आज बीसा हुमड भवन में अपने प्रवचन में कहा कि प्रत्येक जीव को अपने कर्म का फल भोगना ही पडेगा, इसलिये प्रत्येक क्षण सावधान रहना चाहिये और ईश्वर से प्रतिक्षण यही प्रार्थना करना कि अन्य कोई पदार्थ की आकांक्षा नही है, चूंकि कर्म करने से वे सब तो मिल जायेंगे लेकिन आप जैसा बनने के लिए कर्म से मुक्त होना पडेगा। इसलिए सौ काम छोडकर निस्तार करना चाहिए, हजार काम छोडकर भोजन, लाख काम छोडकर देव पूजा, करोड काम छोडकर अध्ययन और सभी काम छोडकर साधु बनना चूंकि कर्म करने से तों संसार है और छोडना ही मुक्ति।

 

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