जाने माने ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह का सोमवार सुबह निधन हो गया है. वो 70 वर्ष के थे.

राजस्थान के श्रीगंगानगर में 8 फ़रवरी, 1941 को जन्मे जगजीत सिंह को ब्रेन हेमरेज के कारण मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उन्होंने आखिरी सांस ली.

जन्म के बाद उनके परिवार वालों ने उनका नाम जगमोहन रखा था जो बाद में पारिवारिक ज्योतिष की सलाह पर बदल कर जगजीत कर दिया गया था.

भारत में सालों तक ग़ज़ल गायकी का चेहरा बने रहे जगजीत सिंह के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए थे.

जिस दिन सिंह को अस्पताल में भरती कराया गया उस दिन शाम को वे पाकितान के नामचीन ग़ज़ल गायक गुलाम अली के साथ एक साझा कार्यक्रम देने वाले थे. हिंदी, उर्दू, पंजाबी, भोजपुरी सहित कई जबानों में गाने वाले जगजीत सिंह को साल 2003 में भारत सरकार के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्मभूषण से नवाज़ा गया है.

 ग़ज़ल गायकी के सुपरस्टार

जगजीत सिंह को आम तौर पर भारत में ग़ज़ल गायकी पुनः प्रचलित करने का श्रेय दिया जाता है.

जगजीत सिंह उन कुछ चुनिंदा लोगों में से एक हैं जिन्होंने 1857 में भारत में अंग्रेजों के खिलाफ़ हुए ग़दर की 150 वीं वर्षगाँठ पर आखिरी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फर की ग़ज़ल संसद में प्रस्तुत की थी.

 

जगजीत सिंह सालों तक अपने पत्नी चित्रा सिंह के साथ जोड़ी बना कर गाते रहे. दोनों पति पत्नी ने मिल कर कई बेमिसाल प्रस्तुतियां दीं हैं.

साल 1990 में एक हादसे इस दंपत्ति ने अपने पुत्र विवेक को खो दिया. चित्रा सिंह इस हादसे से कभी नहीं उबर पाईं और उन्होंने गाना बंद कर दिया इस दंपत्ति ने अपना आखिरी संयुक्त एल्बम ‘समवन समवेयर’ पेश किया उसके बाद से जगजीत केवल अकेले गा रहे थे.

 महारथियों के साथ संगत

जगजीत सिंह ने लता मंगेशकर के साथ एक ख़ास एल्बम ‘सजदा’ पेश किया जो बहुत ही प्रचलित हुआ. इसके अलावा फ़िल्म निर्माता लेखक शायर गुलज़ार के साथ भी जगजीत सिंह ने खूब काम किया. जगजीत सिंह गुलज़ार के निर्देशन में बने टीवी सीरियल मिर्ज़ा ग़ालिब में मिर्ज़ा ग़ालिब की चुनिंदा गज़लों को अपनी आवाज़ दी. इस सीरियल में गाए गए सिंह के गाने बहुत ही लोकप्रिय हुए और दशकों बाद भी इसके एल्बम संगीत प्रेमियों की पसंद बने रहे.

गुलज़ार की तरह मशहूर शायर और लेख जावेद अख्तर के साथ मिल कर अपने चाहने वालों को एक विएशेष एल्बम ‘सोज़’ दिया.

बाद के सालों में सिंह ने भजन गाने शुरू किए जो कि उनकी गज़लों ही की तरह हाथों हाथ लिए गए.

जगजीत सिंह के बारे में बहुत ही कम लोगों को यह पता था कि मौसिकी का यह शहजादा घुड़दौड़ का बहुत ही शौक़ीन था.

जगजीत न केवल घोड़े पालते थे बल्कि उनके घोड़े दौड़ों में भाग भी लेते थे. जगजीत सिंह ने घोड़ों की देखभाल और उनके प्रशिक्षण के लिए बाकायदा कई लोगों की सेवाएं ले रखीं थीं.

 

तब जगजीत की गजलों पर झूम उठे थे उदयपुर वासी ,

जगजीत सिंह सन २००९ में संगीत के एक कार्यक्रम में उदयपुर में आये थे उनकी मदहोश आवाज सुनने वालों के दिल में उतर गयी थी आज भी जब उदयपुर वासी उनकी गजलों को सुनते हे तो उन्हें वो दिन याद आजाता हे ,जब उन्होंने सुखाडिया ऑडिटोरियम में सन 2009 में ओशियन मिडिया के प्रमोशन के लिए आये थे

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1 COMMENT

  1. हर चीज़ पे अश्कों से
    लिखा है तुम्हारा नाम
    ये रस्ते घर गलियाँ
    तुम्हें कर ना सके सलाम
    हाय दिल में रह गई बात
    जल्दी से छुड़ा कर हाथ
    कहाँ तुम चले गए

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