वैज्ञानिकों का कहना है कि दौड़ता हुआ चीता ठीक पिछले पहियों की ताक़त से चलने वाली यानी रियर व्हील ड्राइव कार की तरह होता है.

जापान के शोधकर्ताओं ने चीते की मांसपेशियों के तंतु यानी फ़ाइबर की मैपिंग कर ली है जिससे उसकी रिकॉर्ड रफ़्तार का राज़ पता चल गया है.

घरेलू बिल्ली और कुत्ते से चीते की मांसपेशियों की तुलना करने पर वैज्ञानिकों को पता चला कि चीते को रफ़्तार देने वाली विशेष शक्ति पिछले हिस्से की मांसपेशियों से मिलती है.

इस अध्ययन में पहली बार चीते के पूरे शरीर की मांसपेशियों के फ़ाइबर की जांच की गई है. ये अध्ययन विज्ञान पत्रिका ‘मैमेलियन बायोलॉजी’ में प्रकाशित हुआ है.

इस शोध पत्र की सह-लेखक और जापान की यामानोची यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डॉ. नाओमी वादा का कहना है, “चीते की दौड़ को समझने के लिए इसकी मांसपेशियों का अध्ययन करना ज़रूरी है.”

वो बताती हैं कि मांसपेशियों के अलग-अलग फ़ाइबर अलग-अलग कामों के लिए होते हैं.

मांसपेशियों का कमाल

सभी तरह के जीवों में टाइप वन फ़ाइबर थोड़ी सी शक्ति प्रदान करने का काम करते हैं, लेकिन थकान को ज़्यादा बर्दाश्त करते हैं और वो चहलक़दमी और बेहतर ढंग से चलने में मदद करते हैं.

वहीं टाइप टू ए फ़ाइबर तेज़ क़दमों से चलने में मददगार साबित होते हैं और टाइप टू एक्स यानी ‘फ़ास्ट’ ज़्यादा शक्ति प्रदान करता है जिससे तेज़ और सरपट दौड़ने में मदद मिलती है.

चीते की विभिन्न मांसपेशियों के फ़ाइबर की मैपिंग से जानवरों के दौड़ लगाने की क्षमता के बारे में अहम जानकारी हासिल हुई है.

चीते के फ़ाइबर की मैपिंग में ये पाया गया है कि अगले पैरों में बिल्ली और कुत्ते की तरह टाइप वन के फ़ाइबर पाए गए जबकि चीते के पिछले पैरों में टाइप टू एक्स फ़ाइबर मिले.

वैज्ञानिकों का कहना है कि चीते में रफ़्तार इन पिछले पैरों से ही आती है. ये ठीक ऐसे ही है जैसे रीयर व्हील ड्राइव कार काम करती है.

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