दिल्ली हाई कोर्ट के बाहर हुए एक विस्फोट में 10 लोग मारे गए हैं और कम से कम 47 अन्य घायल हुए हैं.

ग़ौरतलब है कि ये विस्फोट अमरीका में 11 सितंबर 2001 को हुए हमलों की दसवीं वर्षी से चार दिन पहले हुए हैं. मामले की जांच नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के हवाले कर दी गई है और जांच के लिए 20 लोगों की विशेष टीम बना दी गई है.

केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने लोकसभा में अपने बयान में कहा है कि इस धमाके में नौ लोगों की मौत की बात कही थी लेकिन बाद में बांग्लादेश की यात्रा पर गए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि धमाके में 10 लोग मारे गए हैं. पी चिदंबरम ने लोकसभा में कहा, “दिल्ली आतंकवादी गुटों के निशाने पर रहा है. ख़ुफ़िया एजेंसियां लगातार दिल्ली पुलिस के साथ जानकारी साझा करती रहती हैं. इस समय ये बताना संभव नहीं है कि इसके पीछे किस गुट का हाथ है.”लेकिन इसके बाद एनडीटीवी सहित कई मीडिया संस्थानों में मेल भेजकर हरकत-उल-जिहाद (हूजी) ने इस विस्फोट की ज़िम्मेदारी ली थी.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार एनआईए के प्रमुख एससी सिन्हा ने कहा है, “अभी इस ईमेल की सच्चाई के बारे में कुछ कहना जल्दबाज़ी होगी लेकिन हम इसकी जाँच करेंगे क्योंकि हूजी एक बड़ा चरमपंथी संगठन है.”

 “अभी इस ईमेल की सच्चाई के बारे में कुछ कहना जल्दबाज़ी होगी लेकिन हम इसकी जाँच करेंगे क्योंकि हूजी एक बड़ा चरमपंथी संगठन है” एससी सिन्हा, एनआईए प्रमुख

 धमकी

दिल्ली हाईकोर्ट में आज हुए विस्फोट की ज़िम्मेदारी हम लेते हैं..हमारी मांग है कि अफ़ज़ल गुरु की मौत की सज़ा को तत्काल रद्द किया जाए अन्यथा हम हम बड़े हाईकोर्टों और सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाएँगे  “ईमेल का हिस्सा”

हूजी मूलरूप से बांग्लादेश का चरमपंथी संगठन है लेकिन कहा जाता है कि इसकी गतिविधियाँ पाकिस्तान में भी हैं. मीडिया संगठनों को भेजे अपने मेल में हूजी ने कहा है, “दिल्ली हाईकोर्ट में आज हुए विस्फोट की ज़िम्मेदारी हम लेते हैं..हमारी मांग है कि अफ़ज़ल गुरु की मौत की सज़ा को तत्काल रद्द किया जाए अन्यथा हम हम बड़े हाईकोर्टों और सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाएँगे.”

उल्लेखनीय है कि अफ़ज़ल गुरु को वर्ष 2001 में संसद पर हुए चरमपंथी हमलों के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट ने फाँसी की सज़ा सुनाई है. इस फ़ैसले के बाद उन्होंने राष्ट्रपति से रहम की अपील की है जिस पर फ़ैसला आना बचा हुआ है.

ख़बरें हैं कि केंद्रीय गृहमंत्रालय ने राष्ट्रपति से सिफ़ारिश की है कि अफ़ज़ल गुरु की रहम की अपील को रद्द कर दिया जाए.

चिदंबरम ने कहा कि अधिकतर घायलों को राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. उन्होंने कहा कि कुछ को एम्स और अन्य अस्पतालों में भी ले जाया गया है. उन्होंने कहा कि कुछ मामूली रूप से घायल लोगों का हाई कोर्ट की डिस्पेंसरी में भी उपचार किया जा रहा है. चिदंबरम ने बताया कि विस्फोटक के ब्रीफ़केस में रखे होने का शक है.

उधर बांग्लादेश की यात्रा पर गए भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दिल्ली में हुए धमाकों को ‘आतंकवाद की कायरतापूर्ण कार्रवाई’ बताया है. ढाका में मनमोहन सिंह ने कहा, ” हम आतंकवाद के आगे झुकेंगे नहीं. ये एक लंबी लड़ाई है जिसमें सभी राजनीतिक दलों और नागरिकों को मिलकर लड़ना है.”

 “हम आतंकवाद के आगे झुकेंगे नहीं. ये एक लंबी लड़ाई है जिसमें सभी राजनीतिक दलों और नागरिकों को मिलकर लड़ना है”.  मनमोहन सिंह

बुधवार के दिन हाई कोर्ट जनहित याचिकाओं की सुनवाई होती है. वकीलों के अनुसार जिस जगह पर विस्फोट हुआ वहां आमतौर पर दो सौ से ढाई सौ की संख्या में लोग मौजूद रहते हैं और आज भी लगभग उतने ही लोग रहे होंगे. कुछ वकीलों ने बताया कि वहां स्थित बॉडी स्कैनर मंगलवार को काम नहीं कर रहा था. घायलों को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया और सफ़दरजंग अस्पताल में जाया गया है

 धमाके के बाद

अधिकतर घायलों को राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. घटनास्थल पर दमकल विभाग की कई गाड़ियां पहुंच चुकीं हैं. पुलिस ने घटनास्थल को घेर लिया है. पुलिस लोगों से घटनास्थल पर भीड़ ना लगाने की अपील कर रही है. एक अधिकारी ने कहा, ” यहां पर भीड़ ना लगाएं. इस क्षेत्र से दूर रहें ताकि यहां कोई दूसरा हादसा ना हो जाए.” पुलिस ने हाई कोर्ट के आस-पास का इलाक़ा खाली करवा कर गहन जांच शुरू कर दी है. किसी को भी कोर्ट कॉम्पलेक्स में दाख़िल नहीं होने दिया जा रहा है. इससे पहले दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी धर्मेंद्र कुमार ने कहा था कि घायलों को दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल, एम्स और राम मनोहर लोहिया अस्पताल में ले जाया गया है.

ग़ौरतलब है कि इसी वर्ष 25 मई को भी हाई कोर्ट के बाहर एक विस्फोट हुआ था. उस घटना में बम एक कार के पास प्लास्टिक के बैग में रखा गया था

 

.सो.- बी.बी.सी.

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