नगर परिषद को जनता के दुःख दर्द से कोई लेना देना नहीं

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अवैध निर्माण के मामले में अपने ही पार्षदों के सवालों पर निरूत्तर रही सभापति

राजस्व अधिकारी को बनाया बलि का बकरा

पारस सिघंवी ने सीधा लगाया लेन-देन का आरोप

नकारा साबित हुआ विपक्ष

उदयपुर, बुधवार को सम्पन्न नगर परिषद साधारण सभा की बैठक में जनप्रतिनिधियों से जुडे मुद्दो को भूल कर एक दूसरे पर आरोपों की बौछार करते रहे। कुछ समय तक अवैध निर्माण करने वालों का बचाव भी किया तो कुछ ने विरोध भी जताया।

बैठक शुरू होते ही एक घंटे तक आरोप प्रत्यारोप के चक्कर में पक्ष विपक्ष आपस में उलझते रहे कई बार स्थिति खीचा तानी तक जा पहुंची। सभापति खुद की ही पार्टी के पार्षदों के सवालो के जवाब नहीं दे पायी। यहां तक कि खुले तौर पर लाखों रूपये के लेन देने का आरोप भी लगाया।

सदन की कार्यवाही शुरू होते ही पार्षद के.के.कुमावत खडे हो गये और तीन माह पूर्व अपने उपर पार्षद मोहम्मद अय्युब द्वारा लगाए गए आरोपो के विरोध में सदन की कार्यवाही आगे नहीं बढाने को लेकर हंगामा करने लगे कि आयुक्त कांग्रेसी पार्षद मो.अय्युब के विरूद्घ कार्यवाही करे या मो.अय्युब आरोप सिद्घ करे। इस बात को लेकर जमकर हंगामा हुआ यहां तक की कांगे्रसी पार्षद और भाजपा पार्षद आपस में खिंचतान पर आ गये। कांग्रेसी पार्षदों के महिला पार्षदों की लाईन में घुस आने को लेकर भी खुब हंगामा हुआ। पार्षद पारस सिघंवी ने मनोनित पार्षद भरत आमेटा को निशाना बनाते हुए कहा कि सरकार के दम पर बने पार्षद जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि पर आरोप नहीं लगाए। जिनको जनता ने नकार दिया हो उनको हम पर आरोप लगाने का कोई अधिकार नहीं है । एक घंटे तक चले हंगामे के बाद सभापति के आश्वासन के पश्चात मामला शांत हुआ और सदन की कार्यवाही शुरू हुई। दिपावली दशहरा मेले के स्थान और समिति को लेकर भी माहौल गर्माया रहा । सांस्कृतिक समिति अध्यक्ष धनपाल स्वामी का कहना था कि मेले में हाईपावर कमेटी में पूरी सांस्कृतिक समिति को रखा जाए और कलाकार चयन में भी हंगामे के बाद मेले का सारा कार्य भार सर्व सम्मति से सांस्कृतिक समिति को सौंपा दिया गया। जगह को लेकर पार्षद पारस सिघंवी ने विरोध दर्ज कराया कि बापू बाजार व अन्य व्यापारियों के हितो को देख कर मेला कहीं और लगाया जाय लेकिन सर्व सम्मति नहीं बन पायी और मेला स्थल टाउनहाल ही रहा।

अवैध निर्माणों की सूची गिना दी : पिछले दिनो से चल रही भूपालपुरा में अवेध निर्माण पर ढुलमुल कार्यवाही की विपक्षी पार्षदों ने कडी निंदा की जिस पर आयुक्त ने अपनी सफाई दी कि निर्माण इस वजह से नहीं टूटा क्यों कि एक दिन पुलिस जाब्ता नहीं था और मंगलवार को कोर्ट का स्टे थाऔर जिन्हे तोडने की अनुमत थी हमने कार्य किया है बाकी की लापरवाही राजस्व अधिकारी पर मढ दी। इस पर पारस सिंघवी उग्र होते हुए आयुक्त पर बरस पडे कि भूपालपुरा में उसी लाईन में १६ अन्य अवैध बिना स्वीकृति के निर्माण हो रहे है। उनको क्यों नोटिस नहीं दिया गया और उन पर क्यों कार्यवाही नहीं हुई। पारस सिंघवी व अन्य कई पार्षदों ने शहरभर के अन्य कई अवैध बिना अनुमति के कॉम्पलेक्स गिनाते हुए आयुक्त से जवाब मांगा। इस पर ना तो आयुक्त बोल पाये ना ही सभापति कोई संतुष्टि पूरी जवाब दे पाई और सारा दोष राजस्व अधिकारी नानालाल रेगर पर मढते हुए उसको रिलीव कर दिया।

लाखों को लेन-देन का भरी सदन में आरोप: ओरियंटल रिसोर्ट और चम्पा बाग में साजन-सजनी वाटिकाओं के पंजीकरण पर सवाल उठाते हुए पार्षद पारस सिंघवी ने पंजीकरण करने वाले पर लाखों रूपये की लेनदेन का आरोप लगाया। सिंघवी ने कहा कि कोर्ट के स्टे है इसके बावजूद नगर परिषद ने इन वाटिकाओं को पंजीकृत कर दिया जबकि चम्पा बाग की जमीन का मालिकाना हक गट्टानी, टाया का है भी नहीं उनके और बी.एन. कॉलेज के बीच कोर्ट में मामला विचाराधीन है फीर कैसे पंजीकृत कर दिया।

ओरियंटल पैलेस और चम्पा बाग में स्थित वाटिकाओं को पंजीकरण करनेके लिये समिति बनाई गई जिसमें सभापति रजनी डांगी, अर्चना शर्मा, कविता मोदी और के.के. कुमावत शामिल थे। उन्होंने मौका मुआयना कर रिपोर्ट तैयार की थी। इन वाटिकाओं को लेकर सुभाष नगर वासियों ने भी विरोध दर्ज करा रखे है व कोर्ट में याचिका लगा रखी है लेकिन परिषद न कोर्ट से ऊपर उठते हुए पंजीकरण कर दिया जिसको अब भारी विरोध के चलते निरस्त करने का निर्णय लिया गया है।

ओरियंटल पैलेस रिसोर्ट को लेकर पारस सिंघवी और सभापति फिर एक बार आमने-सामने हो गये और सिंघवी के रूपयों के लेन-देन के आरोप के बाद जब सभापति थोडी उग्र हुई तो सिंघवीने चिल्लाकर कहा सभापति जी उंगली मत उठाओ हम भी जनता के ही चुने प्रतिनिधि है। हम टाया और गट्टानी के लिये यहां काम नहीं कर रहे है।

हर मामले में खुद को बचाती रही सभापति: पक्ष विपक्ष के पार्षदों द्वारा लगाये गये आरोपों से सभापति खुद को बचाती रही। सभापति ने कभी कहा कि यह मेरा काम नहीं है तो कभी कहा कि मेरे कार्यकाल में नहीं हुआ है। बिना अनुमति के निर्माणों की भरमार हो रही है, शहर में लेकिन सभापति का कहना है कि यह मेरा काम नहीं है। निर्माण रोकना के लिए अधिकारी क्या करते है, क्यों काम नहीं करते। मेरी रात को एक-एक बजे नींद खराब करते है। इस पर पार्षद राजेश सिंघवी ने कहा कि मेडम अधिकारी और परिषद के कर्मचारी जिसके आदेश पर काम करते है वह आपके ही होते है आप आरोप उन पर मत लगाओ।

अशोक नगर में सामुदायिक केन्द्र में लगी के.एल. गोधा की प्रतिमा पर कहा कि यह प्रतिमा मेरे कार्यकाल में नहीं लगी इसलिये मे इसको नहीं हटा सकती। अर्चना शर्मा के विरोध करने पर भी मूर्ति वहां से हटाने के कोई आदेश नहीं हुआ।

आम लोगों पर कोई चर्चा नहीं: आधा शहर झील निर्माण निषेध क्षेत्र में कोर्ट के आदेश से भयभीत और परेशान है लेकिन यहां सदन में सिर्फ वार्ड ७ के पार्षद कमलेश जावरिया को छोड कोई इसके प्रति गंभीर नजर नहीं आया। जावरिया ने आम जनता की पीडा बतानी चाही लेकिन उसकी बात को अनसुना कर दिया गया। मानो जनता से किसी भी पार्षद को कोई लेना देना ही नहीं है। जबकि यह मुद्दा बैठक में एजेण्डे के रूप में होना चाहिये था लेकिन इसका कहीं कोई जिक्र नहीं था। कमलेश जावरिया ने क्षुब्ध होकर बाहर निकल कर यहां तक कह दिया कि जब जनता से जुडी बात ही नहीं सुनी जाती तो ऐसी परिषद से में इस्तीफा दे दूंगा।

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