उदयपुर , युवा महोत्सव का दूसरा दिन रंगारंग प्रस्तुतियों का रहा। विश्वविद्यालय सभागार में वन एक्ट प्ले प्रतियोगिता आयोजित हुई। इस प्रतियोगिता में 23 टीमों ने अपनी प्रस्तुतियाँ दीं। अपने प्रदर्शन के माध्यम से प्रतिभागियों ने समसामयिक जीवन की ज्वलंत समस्याओं प्रस्तुत किया। उन्होंने मिथकों को वर्तमान संदर्भों में ढालकर एक नवीन प्रस्तुति दी। कला महाविद्यालय सभागार में प्रातः 10.00 बजे शास्त्रीय एकल वाद्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इवेंट मेनेजर प्रो. आई.एम. कायमखानी ने बताया कि इस प्रतियोगिता में विभिन्न विश्वविद्यालयों की 14 टीमों ने भाग लिया। विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए प्रतियोगियों ने अपने प्रदर्शन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कला महाविद्यालय के दृश्य कला विभाग में आयोजित ऑन द स्पॉट पेंटिंग प्रतियोगिता में 29 टीमों ने भाग लिया

इवेंट मेनेजर प्रो. हेमन्त द्विवेदी ने बताया कि ऑन द स्पॉट पेंटिंग की थीम ’तीन महिलाएँ‘ तथा ’ग्रामीण दृश्य‘ थी। प्रो. द्विवेदी ने बतया कि दोपहर 3.00 बजे से कोलाज प्रतियोगिता प्रारंभ हुई जिसका विषय ’आतंकवाद‘ एवं ’सौंदर्यात्मक पक्ष‘ रखा गया। इसमें 26 टीमों ने भाग लिया प्रबन्ध अध्ययन संकाय में प्रातः 9.30 बजे से भारतीय समूह गायन प्रतियोगिता आयोजित हुई। इस प्रतियोगिता में 24 समूहों ने भाग लिया तथा अपने-अपने क्षेत्रों के लोक गीतों एवं देशभक्ति गीतों की मनमोहक प्रस्तुतियाँ दीं।

दोपहर 2.00 बजे पाश्चात्य समूह गायन प्रतियोगिता आयोजित हुई। विद्यार्थियों की प्रस्तुतियों ने उपस्थित श्रोताओं पर ऐसा प्रभाव डाला कि विद्यार्थी झूमने को मजबूर हो गए। इस कार्यक्रम का मंच संचालन रुचि गुप्ता ने किया।

डॉ. हनुमान प्रसाद ने बताया कि प्रबन्ध अध्ययन संकाय में प्रातः 10.00 बजे से क्विज प्रतियोगिता आरंभ हुई। इस प्रतियोगिता में २२ टीमों ने हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता का संचालन जसवंत उपाध्याय ने किया। प्रबंध अध्ययन संकाय में श्री अमित दोषी, निदेशक हेरिटेज पोइण्ट प्राइवेट लि. अहमदाबाद के निर्देशन में आयोजित प्रदर्शनी का भी सभी संभागियों एवं अतिथियों ने अवलोकन किया।

उदयपुर सबको रास आया –

विभिन्न राज्यों से आए प्रतियोगियांे ने बताया कि उदयपुर बहुत खूबसूरत शहर है। अहमदाबाद से आए संगीत शिक्षक जागेश जिकार ने कहा कि सुखाड़िया विश्वविद्यालय का परिसर सुन्दर और सुरम्य है तथा आयोजन स्थल पास-पास होने से काफी सुविधा हो गई है। उदयपुर के संगीत शिक्षक विवेक अग्रवाल ने इसे पश्चिमी न कहकर सम्पूर्ण भारत का महाकंुभ कहा तथा शास्त्रीय संगीत के विद्यार्थियों के लिए इसे सुनना बहुत उपयोगी बताया।

 

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