अंतरिक्ष की गतिविधियों पर नज़र रखने वालों ने शनिवार को चंद्र ग्रहण के नज़ारे का लुत्फ़ उठाया. चाँद पर 51 मिनट और आठ सैंकेड के लिए पूरी तरह ग्रहण था.

चंद्र ग्रहण तब लगता है जब सूर्य के चारों ओर अपनी परिक्रमा के दौरान धरती चांद और सूर्य के बीच में इस तरह आ जाती है कि चांद धरती की छाया में छिप जाता है यह तभी संभव है जब सूर्य, धरती और चांद अपनी कक्षा में एक दूसरे के बिलकुल सीध में पहुंच जाएं.

ग्रहण भारत में 6 .57  से रात 9 .59  तक रहा . ग्रहण के बावजूद शनिवार रात को कई जगह अप्रत्यक्ष रोशनी से चाँद फिर भी चमक रहा था जिससे चाँद गज़ब की लालिमा बिखेर रहा था. 2014 तक कई बार आंशिक चंद्र ग्रहण होंगे पर 2014 से पहले तक का ये अंतिम पूर्ण चंद्र ग्रहण था. इस साल दूसरी बार पूर्ण चंद्र-ग्रहण हुआ है. इस वर्ष जून में सदी का सबसे लंबा और सबसे काला चंद्र ग्रहण दिखाई दिया था जो पूरे 100 मिनट तक रहा था.

इस तरह का अगला ग्रहण वर्ष 2141 से पहले नहीं दिखेगा. पिछला सबसे काला चंद्रग्रहण चार दशक पहले छह अगस्त, 1971 को हुआ था.

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