आर्थिक और तकनीकी तरक्की के साथ संस्कृति का विकास भी हो – राज्यपाल श्री पाटिल

उदयपुर, 21 दिसम्बर। राज्यपाल श्री शिवराज वी. पाटिल ने कहा कि देश की आर्थिक और तकनीकी तरक्की के साथ-साथ संस्कृति का विकास भी हो। संस्कृति के विकास से जीवन आनन्दमय बन जाएगा। राज्यपाल बुधवार को पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से हवाला गांव में आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव के उद्घाटन अवसर पर सम्बोधित कर रहे थे।

राज्यपाल ने कहा कि इस संसार में ऐसे कई गुणवान लोग हैं जो विज्ञान, तकनीक, वनस्पति, संस्कृति को समझते हैं किन्तु बहुत कम लोगों को इसका ज्ञान हो पाता है।

राज्यपाल श्री पाटिल ने इस अवसर पर कहा कि देश का आर्थिक, तकनीकी विकास हो मगर साथ-साथ हमारी संस्कृति का भी विकास हो। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर राजीव गांधी की याद आती है जिन्होंने सपना देखा कि देश में विज्ञान, इंजीनियरिंग का अभ्यास हो तथा आधुनिक मशीनें बने, खेती का विकास हो, तालाब बने ऐसा काम करना है कि किसी को भूखा नहीं सोना प$डे। शिक्षा का भी विकास हो और ऐसी नीति बने कि सबका विकास हो। अगर आदमी की जेब में पैसा आएगा तो उसका जीवन सुखी हो जाएगा। इस विकास में संस्कृति और कला का विकास प्रमुख है। वो भी सुखमय जीवन का एक अंग है।

राज्यपाल श्री पाटिल ने कहा कि हमारी संस्कृति निर्जीव नहीं है, उसे महत्व देने की आवश्यकता है। यह हमारे जीवन का गुण और शक्ति है। संस्कृति कभी मिटती नहीं है हमें विज्ञान और तकनीक में तो आगे ब$ढना ही है वहीं संस्कृति को भी बनाये रखना है।

इस अवसर पर केन्द्र निदेशक श्री शैलेन्द्र दशोरा ने अतिथियों व कलाकारों का स्वागत करते हुए कहा कि केन्द्र इस वर्ष अपना रजत जयन्ती वर्ष मना रहा है तथा इस उत्सव में भारत के विभिन्न राज्यों की कलाओं का प्रदर्शन होगा। उद्घाटन अवसर पर महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्यागिकी विश्वविद्यालय के कुलपति एस.एस.चाहल विशिष्ट अतिथि थे। समारोह में जिला कलक्टर हेमन्त कुमार गेरा, जिला पुलिस अधीक्षक आलोक वशिष्ठ, केन्द्र के अतिरिक्त निदेशक फुरकान खान आदि उपस्थित थे ।

इससे पूर्व राज्यपाल श्री शिवराज पाटिल का शिल्पग्राम पहुंचने पर परंपरागत ढंग से स्वागत किया गया। हरियाणा की नृत्यांगनाओं ने राज्यपाल को तिलक लगाया व साफा पहनाया । इस अवसर पर मुख्य द्वार पर लोक कलाकारों ने वादन व नर्तन से राज्यपाल की अगवानी की। बाद में राज्यपाल श्री पाटिल ने शिल्पग्राम में शिल्पकारों से उनकी शिल्पकलाओं की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कच्छ के अहमद सिद्दिकी, जैसलमेर के अर्जुन राम, तिल की जगल, बा$डमेर के मृदा शिल्पी लूणा राम, मिजोरम के कृत्रिम पुष्प बनाने वाले शिल्पकारों आदि से उनकी कला की बारीकियों पर चर्चा की।

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