भ्रष्टाचार का मुद्दा लोकसभा और राज्य सभा में उठाने की प्रक्रिया में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच हुए वाद-विवाद की वजह से सदन का कामकाज नहीं चल सका. लोकसभा की कार्यवाही तीन बार स्थगित करने के बाद आख़िर सदन की बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई. मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी समेत कई पार्टियों के सांसदों ने भ्रष्टाचार पर विशेष बहस चाहती थीं. बहस से पहले ही लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि सरकार की ओर से पेश लोकपाल विधेयक का मसौदा निष्प्रभावी है. उन्होंने इस मसौदे के मुताबिक़ प्रधानमंत्री के लोकपाल के दायरे में ना होने की आलोचना की. वहीं राज्य सभा में सभी विपक्षी पार्टियों, भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, वाम दल और एआईएडीएमके ने मिलकर भ्रष्टाचार पर चर्चा की मांग की. लेकिन सरकार की ओर से बहस को निर्धारित समय (दो बजे) करने के आग्रह की वजह से बहस गरमा गई और आखिरकार सदन की कार्यवाही को बुधवार के लिए स्थगित कर दिया गया.

विरोध

वामपंथियों सहित नौ विपक्षी दलों ने लोकपाल बिल के सरकारी मसौदे के विरोध में देशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान किया है. संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले सीताराम येचुरी समेत कई सांसदों ने संसद के परिसर में ही विरोध के बैनर दिखाए. येचुरी ने भी लोकपाल विधेयक के सरकारी मसौदे की आलोचना करते हुए कहा, “हम एक प्रभावी क़ानून चाहते हैं, मौजूदा रूप में कई कमियां हैं जिन्हें हमने उजागर भी किया है.  सुषमा स्वराज की ही तर्ज़ पर येचुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाना चाहिए. विपक्ष के कड़े रुख के बावजूद संसद में भ्रष्टाचार पर बहस नहीं हो पाई क्योंकि सांसदों ने नियमित तौर से होने वाली एक अन्य चर्चा को नहीं होने दिया. द्रविड़ मुनेत्र कषगम नेता टीआर बालू श्रीलंका में तमिलों की सहायता और पुनर्वास के लिए भारत सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर चर्चा करना चाहते थे.

आख़िरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा नहीं हो पाई और तीन बार सदन की कार्यवाही को स्थगित करने के बाद लोक सभा को बुधवार तक स्थगित कर दिया गया

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