भटेवर के खालातोड तालाब की जमीन ओर बरसाती नाले पर नियम विरूद्घ निर्माण रोकने की मांग

उदयपुर, भटेवर स्थित सिंघानिया युनिवर्सिटी द्वारा पिछले कई समय से तालाब के पेटे की डूबत में आने वाली जमीन तथा तालाब को भरने वाले बरसाती नाले पर अतिक्रमण कर निर्माण कार्य करने से क्षेत्र के काश्तकारों किसानों के हितों पर कुठाराघात हो रहा है।

गुर्जर कृषि प*ार्म हाउस के संचालक लक्ष्मी लाल गुर्जर ने बताया कि भटेवर पंचायत का खाला तो$ड तालाब पिछले कई समय से अतिक्रमण के चलते दम तो$डता जा रहा है। इस तालाब के भरने वाले बरसाती नाले में सिघांनिया यूनिवर्सिटी द्वारा अतिक्रमण के बाद किये जा रहे निर्माण कार्यो से नाले का मार्ग अवरूद्घ हो गया है जिससे तालाब में पानी नहीं पहुंच पाता है।

रियासत काल से इस तालाब के पानी का उपयोग क्षेत्रवासियों को शुद्घ पेयजल, किसानों को कृषि भूमि की सिंचाई तथा मवेशियों को पानी पिलाने के लिए किया जाता रहा है। सिंघानिया यूनिवर्सिटी द्वारा अतिक्रमण के जरिए लगातार अवरोध पैदा करते रहने से इस तालाब की उपयोगिता धीरे धीरे नष्ट होती जा रही है।

शुद्घ पानी के लिए विख्यात यह तालाब धीरे धीरे प्रदूषण का शिकार हो रहा है । सिघांनिया यूनिवर्सिटी का सिवरेज का सारा गंदा पानी इस बरसाती नाले में ही छोडा जा रहा है ओर यह गंदा पानी जाकर सीधा तालाब में समाहित हो रहा है। नतीजन तालाब का शुद्घ पानी सिवरेज के गंदे पानी के साथ मिलने के बाद न तो इंसानों के पीने लायक ओर ना ही जानवरों के और तो ओर इस पानी से किसान अपने खेतों की प*सलों की सिंचाई भी नहीं कर पा रहे है क्यों कि इससे प*सले खराब हो सकती है। इतना ही नहीं सिवरेज के पानी से तालाब में रहने वाले जलीय जीवों पर भी मौत का खतरा मण्डरा रहा है कई जीव तो नष्ट भी हो चुके है। गुर्जर ने बताया कि तालाब पेटे में आने वाली डूबत जमीन और बरसाती नाले को सिघांनिया यूनिवर्सिटी उसके नाम पर आवंटन होना बता रही है जबकि वह कानूनी तौर पर आंवटित हो ही नहीं सकती क्यों कि सुप्रिम कोर्ट ने अपने आदेश में साप* निर्देश दे रखे है कि कहीं भी सरकारी नदी, नाला या डूब क्षेत्र में आने वाली जमीन की अवाप्ति या आवंटन किसी भी सूरत में नहीं हो सकता। पि*र यहां किस नियम कानून के तहत यह सब हुआ है। जिला कलेक्टर से निष्पक्ष जांच व उचित कार्यवाही के लिए अपेक्षित है।

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