उदयपुर,21 दिसम्बर/वयोवृद्घ स्वतंत्रता सेनानी रामजी भाई भील का बुधवार को उनके पैतृक गांव उखे$डी(खेरवा$डा) में निधन हो गया। वे एक सौ दस वर्ष के थे। कुछ दिन से बीमार रामजी भाई ने बुधवार सुबह अंतिम सांस ली। उनका आज गांव उखेडी में राजकीय सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके बड़े पुत्र कांतीलाल ने मुखाग्नि दी। स्वर्गीय रामजी भाई भील अपने पीछे तीन पुत्र एवं सात पुत्रियों का भरापूरा परिवार छो$ड गये हैं।

राज्य सरकार की ओर से उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ.दयाराम परमार ने रामजी के पार्थिव देह पर पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्घांजलि दी। अतिरिक्त जिला कलक्टर बी.आर.भाटी ने भी रामजी के पार्थिव देह पर पुष्पचक्र अर्पित किया। इस अवसर पर सशस्त्र पुलिस टुक$डी ने उनके सम्मान में फॉयर कर श्रद्घांजली दी। रामजी भाई की अत्येष्टि में ब$डी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।

इस अवसर पर पूर्व जिला प्रमुख केवलचन्द लबाना, जिला परिषद सदस्य प्रेमप्रकाश, खेरवा$डा उप प्रधान मुमताज कुरैशी, उपखण्ड अधिकारी मोहनलाल प्रतिहार, पुलिस उप अधीक्षक, पहा$डा एवं खेरवा$डा पुलिस थाने के प्रभारी भी उपस्थित थे।

जीवन परिचय :-

खेरवाडा तहसील के उखेडी गांव में मेगा भील डामोर के घर जन्मे स्वतंत्रता सेनानी रामजी भाई भील एक सौ दस वर्ष के थे। स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान रामजी भाई उदयपुर, खेरवाडा, छावणी, विजयनगर तथा केशरियाजी की जेलों में बंद रहे।

स्वतंत्रता सेनानी रामजी भाई की शिक्षा उनकी बडी बहन के यहां गुजरात के कणादर में हुई। वे पांचवी तक पढे थे। उस जमाने के शिक्षित रामजी भाई ने आदिवासियों में शिक्षा का अलख जगाने का बीडा उठाया। उन्होंने प्राथमिक विद्यालय उखेडी में शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दी। वे आदिवासियों के घर-घर जाकर छुपकर युवाओं को प$ढाया करते थे। उन्होंने आदिवासियों को लाग-बाग, बैठ-बेगार एवं लगान न देने के लिए उत्साहित किया।

रामजी भाई भील ने पुलिस विभाग में नौ वर्ष तक अपनी सेवाएं दी। परन्तु पत्नी के कहने पर उन्होंने नौकरी छो$ड दी। खेरवा$डा क्षेत्र में प$डने वाले पहा$डा ठिकाने के राव द्वारा ली जाने वाली लगान व बेगार के विरुद्घ उन्होंने लोगों को जगाया। उन्होंने जागीरदारों के खिलाफ कई बार आन्दोलन किए। स्व.रामजी भील ने हरदेव जोशी, मोहनलाल सुखा$िडया, माणिक्यलाल वर्मा, भोगीलाल पण्ड्या के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया।

राष्ट्र के स्वतंत्रता संग्राम और राजस्थान के रियासती आंदोलन एवं सामन्ती उत्पीडन के मुक्ति संघर्षो में सक्रिय योगदान, त्याग और बलिदान के लिए राज्य सरकार ने रामजी भाई को 2 अक्टूबर 1987 को जयपुर में सम्मान पत्र प्रदान किया गया। इसी प्रकार राजस्थान स्वर्ण जयंती समारोह समिति द्वारा 14 नवम्बर,2000 को रामजी भील को ताम्रपत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

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