बुरी आदत है ये बदल डालो

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आधुनिक बनने की होड़ में हम अपनी जिम्मेदारियों को भूलते जा रहे हैं। खासतौर से महिलाओं में पनप रही इस टेंडेंसी का परिणाम आने वाली पीढ़ी को भुगतना पड़ रहा है। इस खतरनाक बीमारी के मुख्य कारण में महिलाओं का स्मोकर और एल्कोहलिक होना माना जा रहा है। उनकी ये लत बच्चों को अपाहिज बना रही है। फिलहाल डॉक्टरों का तो यही मानना है कि मरीज की जांच के दौरान अक्सर ये कारण उभरकर सामने आता है।
4134768252_bd6517a472उदयपुर। स्मोकिंग और एल्कोहल के शौकीन मेल के बाद अब फीमेल में भी ये आदत परवान चढऩे लगी है। गल्र्स यंग एज में ही सिगरेट और वाइन की लत का शिकार हो रही हैं। लंबे समय तक इसका यूज करने से उनकी बॉडी का ब्लड सर्कुलेशन स्लो हो जाता है। शादी के बाद प्रेग्नेंसी के दौरान इसका असर बच्चे पर पड़ता है। ऐसी हालत में पेट में पल रहे बच्चे को प्रॉपर आक्सीजन नहीं मिलने से ब्रेन डेवलप नहीं हो पाता और वह सेरेब्रल पाल्सी की चपेट में आ जाता है। एक बार इस डिजीज का शिकार होने के बाद पेशेंट को क्योर करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। गल्र्स को इस आदत को तुरंत छोड़ देना चाहिए।
दिखावे की शिकार हैं गल्र्स
डॉक्टर्स की मानें तो गल्र्स में नशे की टेंडेंसी तेजी से बढ़ रही है। सोसाइटी में खुद को अलग करने के लिए वह दिखावे का सहारा ले रही हैं। सोसाइटी से इग्नोर फील न करने के नाम पर उठाया गया उनका यह कदम उनकी बॉडी पर तो असर डाल ही रहा है, उनके भविष्य को भी अंधकार में ढकेल रहा है। सीरियल्स और मूवीज इसे एक फैशन तरह पेश कर रहे हैं, जो सोसायटी के लिए खतरनाक बनता जा रहा है। इसका असर ये हुआ कि देश में सेरेब्रल पाल्सी के पेशेंट की दर में तेजी से इजाफा हो रहा है। आमतौर पर हास्टल लाइफ में गल्र्स का एल्कोहलिक या स्मोकिंग की चपेट में आने के ज्यादा चांसेज होते हैं।

सेरेब्रल पाल्सी के अन्य कारण…
॥ प्रेग्नेंसी के दौरान मदर को इंफेक्शन या कमजोरी का होना।
॥ मां के खानपान में कमी आना।
॥ पहले तीन महीने में चोट लगना।
॥ प्री मेच्योर डिलीवरी का हो जाना।
॥ जन्म के दौरान आक्सीजन की कमी होना।
॥ जन्म के बाद बच्चे में पीलिया व दिमागी बुखार होना।
॥ बच्चे का वजन कम होना।
लक्षण
॥ जन्म के बाद बच्चे द्वारा उसका सिर नहीं संभलना पाना।
॥ बच्चा समय पर बैठ नहीं पाता।
॥ बच्चों के मुंह से लार गिराना।
॥ बच्चों के चलने में दिक्कत आना।
॥ शरीर में अकडऩ आना।
॥ समय पर बोल नहीं पाना।
॥ पढऩे-लिखने में अक्षमता होना।
बचाव
॥ फीमेल को सिगरेट या एल्कोहल की लत से बचाना।
॥ प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले पीलिया का तुरंत इलाज।
॥ मदर को बिना डॉक्टरी सलाह के कोई ड्रग न लेना।
॥ जन्म से तीन साल तक बच्चे की गतिविधियों पर नजर रखें।
॥ मदर को किसी भी तरह की चोट से बचाना।
॥ मदर को न्यूट्रिशन देने के साथ थॉयराइड का पूरा ट्रीटमेंट कराना।
॥प्रेग्नेंसी के समय महिलाओं को सिगरेट व शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। महिलाओं द्वारा नशे का सेवन करने से बच्चे की ग्रोथ रूक जाती हैं। मां को उसके बच्चे के लिए इस तरह की आदतों को छोड़ देना चाहिए।
-डॉ. मधुबाला चौहान (स्त्री रोग विशेषज्ञ)

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