रंग मत डाले रे सांवरिया…

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नाथद्वारा में गूंजा रसिया गान, दर्शन के दौरान टेसू के फूलों के रंग और अबीर से भीगे भक्त
नाथद्वारा। द्वितीय गृह पीठ श्रीविठ्ठलनाथजी मंदिर में शुक्रवार को ठाकुरजी निज बगीचे में पधारे। प्राचीन तिवारी में प्रभु को विराजमान किया गया। प्रभु को विशेष शृंगार धराया। द्वितीय पीठाधीश्वर कल्याणराज महाराज ने सपरिवार प्रभु को लाड़ लड़ा कर आरती उतारी।
पीठाधीश्वर ने फेट भर गुलाल, अबीर, केसरिया, पीला और नीला रंग उड़ाया। रंग मत डाले रे सांवरिया आया करो श्याम होली खेलने.. आदि रसिया गान ब्रजवासी रसिया मंडल ने किया। पुन: निज मंदिर में ठाकुरजी को पधराकर वहां भी होली खेली गई। जिसमें होली के ख्याल, स्वांग, सखी नृत्य आदि नृत्य किए गए। राग जैतश्री में ‘शोभा सकल शिरोमणि, झूलत डोल..Ó का कीर्तन गान किया गया। होली रंगी जाएगी ठाकुरजी की दाढ़ी युगल स्वरूप श्रीविठ्ठलनाथजी के मंदिर में होली के त्योहार पर दाढ़ी रंगने की परंपरा का निर्वाह किया जाएगा। होली के दिन रविवार को प्रभु को होली खेलाने के बाद गुलाल से ठाकुरजी की दाढ़ी रंगी जाएगी। इसके बाद मुखियाजी द्वारा महाराज द्वारा गोस्वामी बालकों व सेवादारों से गुलाल के साथ गुलाल खेलकर होली का उत्सव मनाया जाएगा।
ऐसा होता है यह मनोरथ
मंदिर के रतन चौक में चौरासी केले के पेड़ों से बगीचा बनाया। कई तरह के पुष्पों व पत्ते लगाए गए। मनोरथ के दर्शन राजभोग की झांकी से संध्या आरती की झांकी तक हुए। साल में एक ही बार यह मनोरथ होता है। राजभोग में श्री द्वारकाधीश प्रभु को सिंहासन पर विराजित कराकर गोस्वामी परिवार के सदस्यों ने फाग के खेल खेला कर श्री प्रभु की आरती उतारी। बगीचे के दर्शनों में स्थानीय व बाहर से आए दर्शनार्थियों ने श्री प्रभु के साथ रंग से भरी पिचकारियों व गुलाल के विभिन्न रंगों के साथ फाग खेला। मंदिर के कीर्तनकारों ने फाग में गाए जाने वाले पदों से व रसिया गान कर श्री प्रभु को सुनाते हुए वातावरण को संगीतमय बना दिया। सायं संध्या आरती के दर्शनों के बाद मंदिर के कमल चौक में नाथद्वारा से आए रसिया गायकों ने रसिया का गान कर व नृत्य कर दर्शनार्थियों का मनोरंजन किया।
फाल्गुन मेले की मस्ती खूब जमी
राजसमंद कांकरोली स्थित पवन वाटिका में शुक्रवार को जतन संस्थान के फाल्गुन मेले की मस्ती खूब जमी। महिलाएं जमकर थिरकी और खूब अबीर-गुलाल उड़ाई। जतन संस्थान की ओर से हर साल आयोजित होने वाले इस मेले में जिले भर की महिलाएं दिन भर खूब खेली और नाची। केवल महिलाओं के लिए आयोजित इस मेले में ग्रामीण हाट का भी था, तो महिलाएं बन्दूक हाथ में लेकर निशाना लगाते भी नजर आई। साथ ही साफा बांधो प्रतियोगिता में पुरुषों से भी खूबसूरत साफे बांधे। मेले में कई पकवानों की स्टॉल लगाई गई। इस दौरान रस्सा कस्सी, जलेबी रेस, मटकी फोड़, कुर्सी रेस, वन मिनट शो, कठपुतली के करतब हुए।
कांकरोली में 84 खंभ मनोरथ
चौरासी स्तंभ बगीचा मनोरथ की शुरुआत लीलास्थ गोस्वामी वि_लनाथ महाराज ने की थी। गोस्वामी महाराज के समय श्रीद्वारकाधीश प्रभु मंदिर से सवारी के साथ वि_ल विलास बाग में पधारते थे और चौरासी स्तम्भ मनोरथ वहीं होता था। उसी भाव को कायम रखते हुए इस मनोरथ को मंदिर के रतन चौक में बगीचा बनाकर मनाया जाता है।
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