निगम के हाईटेक वाचनालय का सपना टूटा

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उदयपुर। नगर निगम में कर्मचारियों और आम जनता के लिए हाईटेक वाचनालय का सपना उद्घाटन के बाद ही टूट गया। वादा यह किया गया कि इस वाचनालय में देसी-विदेशी समाचार-पत्र, पत्रिकाएं पढऩे को मिलेगी। साथ ही इंटरनेट आदि अत्याधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे हर कोई दुनिया भर का ज्ञान प्राप्त कर सकेगा। इस वाचनालय का भवन का निर्माण 18 लाख रूपये में हुआ। बाद में इस भवन में 6 लाख रूपये की लागत से शानदार फर्नीचर भी लगाया गया। उद्घाटन 16 अक्टूबर 2004 के दिन सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो. बी.एल. चौधरी ने किया। अध्यक्षता तत्कालीन सभापति युधिष्ठिर कुमावत ने की। उन्होंने वाचनालय की ऐसी कल्पना सामने रखी कि पढऩे-लिखने के शौकीन लोगों में उत्साह का संचार हुआ। इस बड़े भवन में न केवल शानदार फर्नीचर वरन् महापुरूषों के चित्र आदि भी लगाए गए।
आज इस वाचनालय भवन में न तो वह फर्नीचर मौजूद है, न ही महापुरूषों के वे चित्र आदि है। कहां गए पता नहीं। उद्घाटन की रसम के बाद सबकुछ भूला दिया गया। इस प्रकार जनता की गाढ़ी कमाई के लाखों रुपये बर्बाद कर दिए गए। अब इस कथित वाचनालय भवन पर लगा उद्घाटन का शिला पट्ट धूल खा रहा है। भीतर निर्माण शाखा के अफसरों और कर्मचारियों के केबिन बना दिए गए है, जिनमें से कई केबिन भी खाली पड़े हुए है। इस मामले में
पूर्व सभापति और वत्र्तमान महापौर का मानना है कि नगर निगम भवन में अधिकारियों और कर्मचारियों के बैठने की जगह नहीं है, इसलिए निर्माण शाखा को एक छत के नीचे कर दिया है।
जनता के पैसे की फिजूल खर्ची : दूरदर्शिता की कमी की वजह से नगर परिषद् में जनता के पैसों को फिजूल खर्ची और फीता काट रस्म में फ़ालतू बर्बाद किए जाने का यह एक बड़ा उदाहरण है। परिषद् कर्मचारी कहते है कि नगर परिषद् भवन में वाचनालय की जरूरत ही नहीं थी, यह फिजूल खर्ची हुई थी, जिसमें भवन निर्माण और फर्नीचर में लाखों रुपया बर्बाद कर दिया गया और जिस उद्देश्य के लिए यह किया गया, वह कार्य भी नहीं हुआ।
॥मैंने इसको वाचनालय के रूप में कभी देखा ही नहीं यहां पर अन्य विभागों के ऑफिस ही चलते रहे है। किस उद्देश्य से हुआ था, मुझे इसकी जानकारी नहीं है । अभी नगर निगम भवन में जगह की कमी और जनता को सभी सुविधाएँ एक ही कमरे में देने की गरज से पूरी निर्माण शाखा को उस हॉल में शिफ्ट करदिया गया है जहां अधिकारी और कर्मचारी एक ही जगह उपलब्ध हो सकें।
– रजनी डांगी,
महापौर, नगर निगम उदयपुर ।
॥वाचनालय का उद्घाटन पूर्व सभापति युधिष्ठर कुमावत के कार्य काल में हुआ जरूर था लेकिन मेरे कार्यकाल में वहां कोई वाचनालय संचालित नहीं था, मैंने उस भवन को परिषद् के अन्य उपयोगी कामों में ले लिया।
-रवीन्द्र श्रीमाली,
पूर्व सभापति, नगर परिषद् उदयपुर।

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