इसलिए गंदा है खूबसूरत उदयपुर

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गैर हाजरी में हाजरी का खेल, वेगा-मोड़ाऔर एवजी प्रथा का चलन, सब तरफ भ्रष्टाचार का बोल-बाला
उदयपुर। भ्रष्टाचार यानी गंदगी। लेकिन हमारे शहर की गदंगी साफ करने वाली नगर निगम के सफाई कर्मियों की फौज के काम नहीं करने की एवज में भारी भ्रष्टाचार फैला हुआ है। इसमें नीचे से ऊपर तक बंदरबांट हो रही है और हमारा शहर जो दुनियाभर में प्रसिद्ध है सुंदरता के लिए, वह गदंगी से अटा पड़ा है। …और यह सिर्फ इसलिए हो रहा है कि नगर निगम के चंद जनप्रतिनिधि, अफसर और कर्मचारी अपना काम ईमानदारी से नहीं करके अपने जेबे भरने में लगे हैं। इस क्रगंदीवाड़ेञ्ज का खुलासा हाल ही में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने एक सफाई कर्मचारी की हाजरी नियमित लगाने की एवज में १५ सौ रुपए रिश्वत लेते एक जमादार को पकड़ कर किया है। यह तो मात्र एक उदाहरण है।
हाजरी में भ्रष्टाचार का खेल : नगर निगम में करीब 900 सफाई कर्मचारी है। यह शहर के आधे से ज्यादा वार्डों में अलग-अलग सेक्टर में सफाई का काम देखते हैं, जिनका मानदेय 18 से 22 हजार तक है। इन कर्मियों को शहर में दो शिफ्ट में काम करना होता है। एक शिफ्ट सुबह छह से १० और दूसरी शिफ्ट दोपहर दो से शाम छह बजे तक चलती है। इन पर निगरानी के लिए जमादारों की टीम हैं। साथ ही स्वास्थ्य निरीक्षक, स्वास्थ्य अधिकारी और स्वास्थ समिति अध्यक्ष तक निगरानी करते हैं। कुछ मुख्य मार्गों व वीआईपी एरिया को छोड़कर अधिकतर जगहों पर सात से साढ़े सात के बीच सफाईकर्मी पहुंचते हैं। एक से डेढ़ घंटा देरी से आने पर जमादार इनकी क्रवेगा-मोड़ाञ्ज (देर से आने वाले और जल्दी जाने वाले) व्यवस्था के तहत उनकी समय पर हाजरी लगा देता है। इसकी एवज में हर कर्मचारी जमादार को तीन सौ से चार सौ रुपए तक देता है। इसके अलावा एवजी प्रथा का भी चलन है, जिसमें कर्मचारी अपनी बजाय किसी दूसरे को काम पर भेज देता है। इसकी एवज में उसकी जगह काम करने वाले को वह कर्मचारी १५ सौ से दो हजार तक भुगतान करता है और जमादार को १५०० से दो हजार रुए तक भुगतान करता है। यह खेल सभी की जानकारी में होता है। यह सब कुछ समिति अध्यक्ष की जानकारी में हो रहा है, लेकन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
शाम की शिफ्ट में आधे से ज्यादा गायब : सफाई कर्मियों का समय शाम के वक्त दो से छह बजे तक का होता है, लेकिन अधिकतर वार्ड और सेक्टर में आधे से अधिक कर्मचारी गायब मिलते हैं, लेकिन इनकी हाजरी नियमित लगती रहती है। इसके बदले वह कर्मचारी जमादार को नियमित महीने की राशि दे देते हैं।
सौ से ज्यादा कर्मचारी रोजाना रहते हैं गायब : 900 में से 100 से अधिक कर्मचारी तो ऐसे है, जो महीने में एक बार भी काम पर नहीं आते हैं। फिर भी उनकी उपस्थिति नियमित लगती है। यह सफाई कर्मचारी नगर निगम के अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों के घरों में सफाई के नाम पर मौज मार रहे हैं।
॥शहर की सफाई व्यवस्था में भारी भ्रष्टाचार फैला है। अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से ही क्रवेगा-मोड़ाञ्ज व क्रएवजीञ्ज प्रथा का चलन है। इससे शहर की सफाई व्यवस्था का तो भट्टा ही बैठा हुआ है और भ्रष्टाचार को तरक्की मिल रही है।
-दिनेश श्रीमाली,
प्रतिपक्ष नेता, नगर निगम
॥हम पूरी निगरानी रखते हैं। हमेशा निरीक्षक मौके पर हाजरी रजिस्टर चैक करते हैं। क्रवेगा-मोड़ाञ्ज व क्रएवजीञ्ज प्रथा जैसी कोई व्यवस्था नहीं है।
-देवेंद्र सैनी,
स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम

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