workshop me mojud partibhagiवनाधिकार, सुरक्षित मातृत्व और मनरेगा पर हुई चर्चा
उदयपुर, इंडो ग्लोबल सोशियल सर्विस सोसायटी द्वारा सृष्टि सेवा समिति, उदयपुर, प्रयास संस्थान, चित्तौड़गढ व शिव शिक्षा समिति सवाई माधोपुर के संयुक्त तत्वावधान में राज्य स्तरीय परामर्श संवाद कार्यशाला का आयोजन आज यहां बेदला स्थित आस्था संस्थान में प्रातः 11.00 बजे से शाम 4.00 बजे तक किया गया, जिसमें मनरेगा, वनाधिकार और सुरक्षित मातृत्व विषय पर आदिवासी निर्धन ग्रामीण समाज की समस्याओं और उनके समाधान पर केस स्टडी के माध्यम से विषय विशेषज्ञों द्वारा विचार विमर्श किया गया। इस अवसर पर इंडो ग्लोबल सोशियल सर्विस सोसायटी पश्चिम क्षेत्र के कार्यक्रम प्रबन्धक के.ओ.मथई और कार्यक्रम अधिकारी अर्पिता मेकवान सहित प्रयास संस्थान के जवाहर सिंह डागुर, सृष्टि सेवा समिति के सोहन जनावत व शिव शिक्षा समिति के भरत उपस्थित थे।
यह जानकारी देते हुए सृष्टि सेवा समिति उदयपुर के प्रतिनिधि सोहन जनावत ने बताया कि कार्यक्रम के पहले सत्र में मनरेगा पर चर्चा करते हुए आस्था के रशीद भाई और डी.एस.पालीवाल ने मनरेगा में हो रही धांधलियों पर जानकारी देते हुए बताया कि रोजगार गारंटी योजना में ग्रामीणों को ना तो समय पर रोजगार उपलब्ध होता है और ना ही उनको न्यूनतम पारिश्रमिक मिल पाता है। निर्धारित 150 दिनों में उन्हें 25 दिन ही न्यूनतम मजदूरी मिलती है और भुगतान में भी काफी देरी होने से पात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने इसकी रोकथाम हेतु सोशियल ऑडिट को प्रभावी ढंग से लागू करने पर जोर दिया।
सुरक्षित मातृत्व पर बोलते हुए स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. विनिया पेण्डसे ने सुरक्षित मातृत्व के लिए आवश्यक टीकाकरण, पूरक पोषाहार और बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने पर जोर देते हुए कहा कि इसके अभाव में डिलेवरी के समय मातृ मृत्यु दर पर रोक नहीं लग पाई है और इससे नवजात शिशु कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने आंगनवाड़ी केन्द्रों पर सुरक्षित मातृत्व हेतु दी जा रही सुविधाओं की मोनिटरिंग की आवश्यकता बताई।
वनाधिकार विषय पर केस स्टडी के माध्यम से बोलते हुए अधिवक्ता रमेश नन्दवाना ने बताया कि सरकार द्वारा वनाधिकार कानून के तहत ग्रामीण जनों को व्यक्तिगत व सामूहिक दिये गये वनाधिकार के परम्परागत लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे उनकी आजीविका पर संकट आया है। उन्होंने कहा कि वनाधिकार नियम को प्रभावी ढंग से लागू कर ग्रामीण जनों को वनो से अधिकाधिक लाभ को सुनिश्चित किया जा सकेगा।
इस कार्यशाला में सवाई माधोपुर, चित्तौडगढ की बडी सादड़ी और प्रतापगढ़ के धरियावद क्षेत्र के 50 से अधिक गरीब ग्रामीणजनों ने भाग लिया।

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