‘सबसे पहले सांप्रदायिक होती है पुलिस’

Date:

140726071230_india_police_file_photo_624x351_reutersfilephoto
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य गुजरात में पुलिस अभ्यास (मॉक ड्रिल) में चरमपंथियों को मुसलमानों की वेशभूषा पहनाने की देशभर में कड़ी आलोचना हो रही है.
इन अभ्यासों में चरमपंथियों को लंबा कुर्ता और वह टोपी पहनाई गई है, जिसे मुसलमानों की पहचान के तौर पर देखा जाता है.
यह वीडियो आया ही था कि दूसरे वीडियो में चरमपंथियों को इस्लाम ज़िंदाबाद के नारे लगाते हुए दिखाया गया है.
पंजाब पुलिस के प्रमुख रह चुके के एस ढिल्लों कहते हैं कि इस पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए, भारतीय पुलिस का चरित्र कुछ ऐसा ही है.
‘सत्ता के अनुरूप चलती है पुलिस’
भारतीय पुलिस बहुत जल्द ही सत्ता के पक्ष में हो जाती है. सत्ताधारी जो चाहता है पुलिस वही बन जाती है.
ऐसा इसलिए है क्योंकि भारतीय पुलिस को कोई कार्यकारी स्वतंत्रता हासिल नहीं है और इसका नेतृत्व इस तरह का हो चुका है कि वह चाहता भी नहीं कि पुलिस का स्वतंत्र व्यक्तित्व हो.
चरमपंथ का कोई धर्म नहीं होता. श्रीलंका में सारे चरमपंथी हिंदू थे, उत्तर-पूर्व में ईसाई हैं, पंजाब में सिख थे और बर्मा में बौद्ध.
लेकिन पिछले दो-तीन साल में सामान्यतः ऐसा हो गया है कि जब भी चरमपंथ की बात होती है तो वह मुसलमानों के साथ जुड़ जाती है.
जब तक भारतीय पुलिस अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व नहीं बनाती और उसकी राय अनुभव, शोध आदि पर आधारित नहीं होती तब तक यह चलता रहेगा.
इसलिए गुजरात की घटना पर हैरानी की बात नहीं है. अगर आप भाजपा शासित अन्य प्रदेशों को देखें तो वहां भी इसी तरह की घटनाएं हो सकती हैं- गुजरात सामने आ गया तो यह अख़बार में छप गया.

पुलिस ही सांप्रदायिक
पुलिस की स्थिति यह है कि उसका सांप्रदायिकरण सबसे पहले होता है, यह मैं अपने तजुर्बे से बता सकता हूं.
मैंने मध्य प्रदेश से नौकरी शुरू की थी. वहां बहुत सी पुलिस लाइनों में मंदिर बने हुए हैं- जो नहीं होने चाहिए.
लेकिन जब इसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर सरकारी अनुमति मिल जाती है तो पुलिसवाले और ज़्यादा सांप्रदायिक हो जाते हैं.
मध्य प्रदेश में बहुत से ऐसे थाने हैं, जहां मुसलमान जाकर शिकायत ही नहीं कर सकता, क्योंकि वहां कहा जाता है कि पाकिस्तान जाकर शिकायत करो.
इसके अलावा पुलिस का ढांचा ऐसा है कि इसमें हिंदू बहुतायत में हैं- हर जगह. मुसलमान कम हैं और जो हैं वह भी अपनी बात बलपूर्वक नहीं कहते.
मुसलमानों के साथ चरमपंथ ऐसे जुड़ गया है कि जब भी कहीं चरमपंथी घटना होती है- चाहे वह मक्का मस्जिद धमाका हो या मालेगांव विस्फोट, सबसे पहले मुसलमान युवकों को पकड़ा जाता है. यह एक प्रोटोटाइप सा बन गया है.
(बीबीसी संवाददाता फ़ैसल मोहम्मद अली से बातचीत पर आधारित)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Greatest Real money Online casinos 2025 Upgraded Number

You might’t get off the fresh betting conditions; you...

A Beginner’s Guide: Slottica Jak Usunąć Konto Szybko

A Beginner's Guide: Slottica Jak Usunąć Konto SzybkoWiele osób...

Slottica Jak Wyplacic: Jak Uniknąć Opóźnień

Slottica Jak Wyplacic: Jak Uniknąć OpóźnieńWydobywanie wygranych z kasyna...