टुच्चे कवि द्वारा शहर का सुकून और भाईचारा बिगाड़ने की नाकाम कोशिश

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उदयपुर। शांत और सुकून भरे उदयपुर शहर के माहौल को अपनी घटिया कविता द्वारा बिगाड़ने, हिन्दू – मुस्लिम को आपस में लड़वाने की एक कवि ने गुरुवार रात नाकाम कोशिश की। सालों से शांति पूर्वक आयोजित हो रहे दीपावली दशहरे की रोनक नफरत फैलाने वालों से देखि नहीं गयी और इसीलिए उन्होंने अपने घटियापन को उजागर किया।
टाउनहॉल में दीपावली मेले के सातवें दिन गुरुवार को कवि सम्मेलन के दौरान इंदौर के कवि मुकेश मोलवा ने कविता पाठ के दौरान मुस्लिम धर्म को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी।
जिसका विरोध पार्षद मोहसिन खान, नज़मा मेवा फरोश राशिद खान और असमा खान ने किया। विरोध के दौरान कवि सम्मलेन में हंगामा हो गया, महापौर चन्द्र सिंह कोठारी बैठे बैठे तमाशा देखते रहे। बाद में हंगामा ज्यादा होते देख पुलिस अधिकारियों ने मामले को शांत करवाया। मालवा की कविता को बंद करवा के विरोध करने वाले पार्षदों को समझा कर मंच के पीछे ले जाया गया।
इंदौर के कवि के कविता पाठ का विरोध करने वाले कांग्रेसी पार्षद मोहसीन खान और निर्दलीय पार्षद नजमा मेवाफरोश का तर्क है कि कवि पाकिस्तान को गाली देता तो कोई बात नहीं, उसकी कई पंक्तियों पर हमने भी तालियां बजाईं। लेकिन उसने कविता पाठ के दौरान मुसलमानों की दाढ़ी को लेकर जो आपत्तिजनक टिप्पणी की उसपर हमारा विरोध था। एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कवि ने धार्मिक भावना को भड़काने का काम किया है। मोहसिन खान का कहना है की उदयपुर एक शांत शहर है और इस तरह के लोग संगठन विशेष से सम्बन्ध रखते है जिनका काम हिन्दू मुस्लिम के बिच दंगा भड़काने का काम होता है।

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पूर्व निर्धारित 11 कवियों की लिस्ट में इंदौर के कवि मुकेश मोलवा का नाम नहीं था। यहां तक निगम ने मेले काे लेकर जो पास (आमंत्रण) पत्र छपवाए थे उसमें भी मोलवा का नाम नहीं था। नाम नहीं होने के बाद भी बलाए गए कवि ने निगम के महीने भर की मेहनत और छह दिन के सफल कार्यक्रमों पर बट्टा लगा दिया। गनीमत यह रही कि विरोध करने वालों की संख्या कम थी, और मुस्लिम समाज के अधिक लोग कार्यक्रम में नहीं थे वरना भीड़ के गुस्से को देखते हुए मेले में बड़ी घटना घटित हो सकती थी। मोलवा के कविता पाठ के शुरूआती रुझान से ही इस बात का आभास हो गया था कि यह नफरत फैउलाने वाली कही न कही करेगे और उसकी बात पर कहीं लोग हूटिंग न कर दे लेकिन आयोजक माजरा इस बात को समझ नहीं पाई और मामला हंगामे तक बढ़ गया।
मुकेश मोलवा ने कविता पाठ की शुरूआत में तो मेवाड़ और महाराणा प्रताप की वीरता का गुणगान कर खूब तालियां बटोरी। उसके बाद मोलवा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुणगान शुरू कर दिया, और आरएसएस संघ संचालकों की जय जय कार के नारे लगवाए । तालिया बजती देख मोल्वा अपने असली मकसद पर आगये और मुस्लिम समाज पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। जिसके बाद मंच के ठीक सामने वीआईपी दीर्घा में मौजूद कांग्रेसी पार्षद मोहसीन खान ने विरोध दर्ज करवाते हुए मंच के पास जाकर कवि को ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करने को चेताया। इसको लेकर दोनों के बीच बहस की नौबत भी आ गई। इसी बीच निर्दलीय पार्षद नजमा मेवाफरोश और भाजपा पार्षद गरिमा पठान भी विरोध में कवि के विरोध में खड़ी हो गई।

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आज शहर के विभिन्न संगठन और कांग्रेसी पार्षद मुकेश मोल्वा के खिलाफ ज्ञापन देंगे।

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