उदयपुर जिले में लगा तीन दिन का “साइबर कर्फ्यू” हटा

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उदयपुर। उदयपुर जिले में तीन दिन बाद शुक्रवार को नेट बंदी से राहत मिली और जिले भर की इंटरनेट सुविधा वापस शुरू होने से लोगों ने चैन की सांस ली। कई रुके हुए काम पुरे करने में लग गए। सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणियों के बाद जिला प्रशासन द्वारा मंगलवार रात १० बजे से नेट बंद करवा दिया गया था जिसके बाद शुक्रवार दोपहर तीन बजे पुनः शुरू किया गया।
शुक्रवार दिन में तीन बजे सबसे पहले बीएसएनएल का ब्रॉड बेंड चलाया गया उसके बाद एक एक कर सभी मोबाइल कंपनी ने नेट सर्विस चालु करदी। जिला प्रशासन के आदेशों के बाद शहर में तीन दिनों से नेट बंद चल रहा था । यह सब इसलिए हुआ कि मंगलवार को कुछ मनचलों ने आपत्तिजनक पोस्ट सोषल मिडिया पर डाल दी इसके बाद बवाल बढ़ने की आषंका को देखते हुए प्रषासन ने पूरे इलाके में नेटबंदी की अचानक घोशणा कर दी। इसके बाद मानों पूरे इलाके में साइबर कफ्र्यू लग गया हो शहरवासी बेहाल हो गए थे। पिछले तीन दिन से शहर वासियों के मन में एक ही सवाल था कि इतना क्या बड़ा मामला हो गया कि प्रषासन ने इस तरह का कदम उठाते हुए स्मार्ट सिटी को डिजिटल इण्डिया में गुलाम बना दिया हो। क्या प्रषासन की कोई जवाब देही नहीं बनती लेकिन अधिकारी पूरी तरह चुप रहे,नेटबंदी की घोशणा के बाद कुछ नहीं बोले कि आखिर ऐसा कदम क्यों उठाना पड़ा। उदयपुर की 95 फिसदी जनता आज इंटरनेट पर निर्भर है ऐसे में सभी को भारी परेषानी का सामना करना पड़ा। चैतरफा प्रषासन की आलोचना होती रही लेकिन जिले में पदासिन्न यह लोग चुप्पी साधे रहे। करीब 63 घण्टे बाद आखिरकार सभी इन्टरनेट कम्पनियों को सेवाएं सुचारू करने के लिए हरि झण्डी दे दी गई तब कहीं जाकर उदयपुर जिले में लगे साइबर कफ्र्यू को हटाया जा सका। जैसे ही यह सेवाएं षुरू हुई मानो पूरे शहर की जान में जान आ गई हो। वाट्स एप्प, फेसबुक पर कई कमेन्ट आना शुरू हो गए, जिसमें जिला प्रषासन पर खूब मजाकिया तंज भी कसे गए। सभी अपने – अपने लहजे में यही कहते दिखाई दे रहे थे कि जिले के जिम्मेदारों ने जो कृत्य किया है, वह कमजोर प्रशासक की निशानी है, नहीं संभल पाए तो पद छोड़ देना चाहिए पूरे शहर को परेशां करना किसी अपराध से कम नहीं है। इस पूरे मामले ग्रामीण विधायक फुलसिंह मीणा का कहना था कि जिन लोगों ने आपत्तिजनक टिप्पणी की है, उन लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन पूरे जिले की जनता को परेषान करना ठीक नहीं है। व्यापारी, स्टूडेंट, बरोजगारों को इन 63 घण्टों में काफी परेषानी का सामना करना पड़ा। व्यापारियों की माने तो नेटबंदी से करोड़ों का व्यापार रुक गया। शहर के कई लोगों ने प्रशासन के इस नेट बंदी कार्रवाई को सही नहीं बताया। साइबर एक्सपर्ट विकास सिंह का कहना है कि प्रशासन में कोई आईटी एक्सपर्ट भी होना चाहिए जो प्रशासन को यह राय दे कि अगर सोशल मीडिया ने शहर का माहौल खराब हो रहा है तो बजाय पूरी नेट सर्विस बंद करने के नेट के सर्विस प्रोवाइडर को बोल कर सिर्फ फेसबुक व्हाट्सअप भी बंद करवाया जासकता है। नेट को पूरी तरह से बंद करवाने से कई जरूरी काम काज मानों ठप्प हो जाते है। हालाँकि पुलिस प्रशासन अभी भी स्थिति पर नज़र बनाये हुए है, फिर कोई भड़काऊ पोस्ट डाली गयी और शहर का माहौल खराब होने जैसी स्थिति हुई तो उसके खिलाफ कार्रवाई कर नेटबंदी की जासकती है।

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