बेटी ने कायम की समाज में एक बेहतरीन मिसाल – विधवा माँ के लिए ढूंढा जीवनसाथी .

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पोस्ट न्यूज़। माँ बाप के व्राद्ध होने के बाद बेटा बेटियों द्वारा अकेले छोड़ देना उन्हें वृद्धा आश्रम में भेज देने जैसे उदाहरण तो हमे काफी देखने को मिलेगें लेकिन राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक माँ के अकेलेपन को दूर करने के लिए अपना घर बसाने से पहले बेटी ने अपनी विधवा माँ की शादी करवाई और समाज की तिरछी नज़रों की परवाह किये बिना एक बेहतरीन मिसाल कायम की।
जयपुर निवासी 25 वर्षीय संहिता अग्रवाल ने अपनी मां गीता अग्रवाल (53) की शादी पिछले माह बांसवाड़ा निवासी कृष्ण गोपाल गुप्ता (५५) से करवाई है। गीता द्वितीय श्रेणी की सरकारी अध्यापिका है।
संहिता के पिता मुकेश गुप्ता की १३ मई २०१६ में साइलेंट अटैक से अचानक मौत हो गई थी। संहिता ने बताया, पापा बिल्कुल स्वस्थ थे। एक दिन अचानक साइलेंट अटैक से उनकी मौत हो गई। पापा की मौत के बाद मम्मी डिप्रेशन में चली गई। बड़ी बहन की शादी हो चुकी है। घर में मां और बेटी ही बचे थे।
संहिता ने बताया कि पिता की मौत के समय वह जयपुर की ही एक निजी कम्पनी में कार्यरत थी। लेकिन, मार्च २०१७ में गुडगांव की एक कम्पनी से अच्छी नौकरी का ऑफर मिला। वह अपनी मां को अकेले छोडक़र नहीं जाना चाहती थी। मगर मां की जिद थी कि वह करियर पर ध्यान दें। मां की जिद पर वह गुडगांव नौकरी के लिए चली गई।
संहिता के जाने के बाद मां घर पर अकेली रह गई। संहिता ने बताया कि सप्तांहात में मां के पास घर आती। मगर बाकी पांच दिन मां अकेले रहती। उन्हें अकेलापन इतना ज्यादा खाने लगा था कि वह रात में टीवी चलाकर सोती। ताकि लगे कि घर में कोई है। रसोई में कुकर की सीटी आती रहती, मगर उन्हें पता ही नहीं चलता। उनकी ऐसी हालत देखकर अपराध बोध महसूस होता। उन्होंने जीवन भर बेटी का ध्यान रखा, अब वह उनके लिए कुछ कर नहीं पा रही। साथ ही डर भी लगता कि डिप्रेशन में आकर कोई गलत कदम न उठा ले।
सितम्बर 2016 में वैवाहिक साइट पर बनाई प्रोफाइल संहिता ने बताया कि एक महिला के जीवन में जीवनसाथी के कमी बच्चे पूरी नहीं कर सकते। मां के जीवन का अकेलापन दूर करने के लिए सितम्बर २०१७ में एक वैवाहिक साइट पर मां को बिना बताए उनकी प्रोफाइल बना दी। उनके लिए कई अच्छे रिश्ते भी आए। इन्हीं में से एक बांसवाडा निवासी कृष्ण गोपाल मिले। उनकी पत्नी की मौत सात साल पहले कैंसर से हो चुकी थी। परिवार में दो वैवाहिक बेटे हैं। बांसवाड़ा में रेवेन्यू अधिकारी हैं। उन्होंने बताया कि जब यह बात मां को बताई तो वह राजी नहीं हुई।
मेजर ऑपरेशन में साथ देकर बने जीवनासाथी उस समय गीता का यूट्रस का एक मेजर ऑपरेशन होने वाला था। रिश्ता तय न होने पर भी ऑपरेशन के समय कृष्ण गोपाल उनके साथ रहे। इस साथ ने ही उन्हें जीवनसाथी बनाया।
दोनों के राजी होने पर पिछले महीने दोनों ने आर्य समाज में शादी की। हालांकि गीता की तरफ से कम ही लोग शादी में शरीक हुए। कई रिश्तेदारों ने इस फैसले का विरोध भी किया। लेकिन, बेटी व नव परिवार के साथ से दोनों परिणय सूत्र में बंधे।

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