छपास के रोगी गए थे संवेदना जताने लेकिन संवेदनहीन बन कर – बलात्कार पीडिता और माँ के फोटो किये जग जाहिर।

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उदयपुर। चाहे कोई राजनीति संगठन हो चाहे सामाजिक या धार्मिक संगठन हर संगठन के चुनिंन्दा पदाधिकारियों को कोई सामजिक सरोकार से जुड़ा सार्थक काम करने से ज्यादा जरूरी लगता है अपने ज्ञापन रूपी कार्य का फोटो खिचवा कर अखबारों में छपवाना। इस कार्य में माहिर ये संगठन और पार्टी के लोग सारी मान मर्यादा नियम कायदे भूल बैठते है इन्हे याद रहता है तो सिर्फ यह कि अगले दिन इनका फोटो अखबारों के प्रातः में प्रमुखता से कैसे आये।
छपास के इन रोगियों के पास ना तो संवेदनाएं है ना ही कोई सामाजिक सरोकार और इसका जीताजागता उदाहरण मिला एक बलात्कार पीड़िता मासूम बच्ची और उसकी माँ की पहचान उजागर करने के मामले में। छपास के इन रोगियों की करतूत को दैनिक अखबार दैनिक भास्कर के उदयपुर संस्करण में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया समाचार पत्र ने छपास के रोगियों की संवेदनहीनता को प्रमुखता से जग जाहिर किया।
हाल ही में चित्तोड़ के भदेसर में ५ साल की मासूम बच्ची हैवानियत का शिकार बनी जिसका इलाज उदयपुर के महाराणा भूपाल चिकित्सालय में चल रहा है। शुक्रवार को अपनी संगठन और राजनीति की रोटियां सेकने कांग्रेस, शिवसेना के पदाधिकारी और महिला आयोग की सदस्य पीड़िता मासूम बच्ची और उसकी मान से मिलने अस्पताल के आईसीयू तक जा पहुंचे। गए थे पीड़िता के प्रति सहानुभूति और संवेदना जाहिर करने लेकिन संवेदना और जिम्मेदारियों को ताक में रख कर इन महान लोगों ने आईसीयू में पीड़िता बच्ची और उसकी माँ से मिलते हुए अपना फोटो सेशन करवा कर मीडिया में जारी भी कर दिया जब इनसे जवाब मांगा कि इन्होने ऐसा क्यों किया तो बोले गलती हो गयी।
एडवोकेट राजेन्द्र सिंह हिरन ने बताया कि किसी भी दुष्कर्म पीड़ित की पहचान उजागर करने वाले के खिलाफ आईपीसी की धारा 228ए के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। इसमें दो वर्ष के कारावास और जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
संवेदनहीनता की हद तो यह है कि महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए बने महिला आयोग की सदस्य सुषमा कुमावत ने मासूम और उसकी मां की फोटो sushmakumawat105@gmail.com ईमेल से खबर प्रकाशित कराने के लिए मीडिया तक को भेज दी।

वहीं भदेसर के पूर्व प्रधान और कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह चुंडावत ने भी बच्ची और उसकी मां के फोटो krishnapalsinghmlsu@gmail.com ईमेल से भेज सार्वजनिक कर दिए। ऐसे ही शिवसेना ने gaurav.nagdashivsena@gmail.com से बच्ची की मां की फोटो मय प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी। जब उनसे इस बारे में सवाल किया था तीनों के ही पदाधिकारियों ने गलती स्वीकार करते हुए कहा कि-हमसे बहुत बड़ी भूल हो गई है।

छपास के इं रोगियों पर बलात्कार पीडिता की पहचान उजागर करने के लिए कोई कारवाई हो ना हो लेकिन अधिकारियों ने मामला सामने आने पर कारवाई का जरूर आश्वासन दिया है और ऐसे आश्वासन में कारवाई कहाँ तक होती है यह सब जानते है। दैनिक भास्कर में छापी खबर के अनुसार देखते है जिम्मेदार अधिकारियों ने इस मामले में क्या बयान दिए।

यदि ऐसा है तो जांच करेंगे कि कहां से औैर किसने दुष्कर्म पीड़ित बच्ची के फोटो जारी किए हैं। इसके बाद कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
-हर्ष रत्नू, एएसपी, उदयपुर

जेजे एक्ट के तहत पीड़िता का इस प्रकार से फोटाे नहीं जारी सकते हैं। फिलहाल प्रकरण हमारे सामने नहीं आया है। हम जांच करेंगे।
-सुधीर जोशी, एएसपी, चितौडग़ढ़

आईसीयू में फोटोग्राफी प्रतिबंधित है, मामले की जांच कराएंगे : उपाधीक्षक

नियमानुसार आईसीयू में भर्ती बच्ची की हालत देखने मास्क, कैप, अंदर की चप्पलें आदि पहनकर जा तो सकते हैं, क्योंकि भर्ती गंभीर मरीजों को संक्रमण का सर्वाधिक खतरा रहता है। आईसीयू सैरसपाटा करने की जगह नहीं है, जहां फोटोग्राफी प्रतिबंधित है। पब्लिसिटी के लिए दुष्कर्म पीड़ित बच्ची और उसकी मां के फोटो वायरल करना निंदनीय है। मामले की जांच कराई जाएगी।
-डॉ. रमेश जोशी, उपाधीक्षक एमबी हॉस्पिटल

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