मंच पर शाह मोदी, सैनी और वसुंधरा के पोस्टर पर नहीं दिखा कमल निशान, मुख्यसेवक ने भी नहीं लिया भाजपा का नाम

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प्रदेश की मुखिया वसुंधरा के गौरव रथ के भीण्डर जाने को  लेकर बड़े दिनों से चली आ रही पशोपेश को आखिरकार शुक्रवार को विराम लग ही गया। जनता सेना सुप्रीमों और सरकार में निर्दलीय विधायक रणधीर सिंह भीण्डर ने भव्य स्वागत करके दिखा दिया कि इस बार भी यहां भाजपा नहीं सिर्फ महाराज ही जीतकर आ सकते हैं। अपनी खेवनहार को सुनने के लिए यहां बना विशाल पाण्डाल भी कम पड़ गया। हजारों हजार लोगों की भीड़ ने न केवल वसुंधरा का खुश किया बल्कि महाराज की भारी ताकत का अहसास भी पार्टी के उच्च स्तर तक पंहुचा दिया। हालांकि वल्लभनगर क्षेत्र की भारतीय जनता पार्टी भीण्डर में होने वाली सभा से नाखुश थी, यहां के दिग्गजों ने अपने आकाओं तक इस बात को पंहुचाया भी लेकिन सभी ने यहां के कर्मठ कार्यकर्ताओं की एक न सुनी और भीण्डर की सभा को सफल बनाने के लिए दौरे करते रहे। वैसे तो गृहमंत्री  गुलाबचंद कटारिया और रणधीर सिंह भीण्डर के राजनीतिक रिश्ते कैसे है जगजाहिर है। दोनों ही भरे मंचों पर एकदूजे के खिलाफत करते दिखाई दिए हैं। लेकिन इस बार भाई साहब ने उनकी भी नहीं सुनी जिनको गत चुनाव में रणधीर सिंह भीण्डर के सामने खड़ा करके भारतीय जनता पार्टी का प्रतिनिधित्व जिंदा रखा था। उस चुनाव में महाराज का प्रजा ने ऐसा समर्थन किया कि भाजपा क्या कांग्रेस भी कोसों दूर हो गई। बाद में महाराज के नेतृत्व में जनता सेना का निर्माण हुआ और क्षेत्र में होने वाले दूसरे चुनावों में अधिकतर में \ जनता सेना ही बाजी मारती गई। वहीं लगातार मिलती हार से भाजपा कार्यकर्ता मायूस जरूर हुए लेकिन उन्हें भरोसा था कि कभी तो उनके आकाओं की नजर उन पर पड़ेगी। इधर विधायक रणधीर सिंह भीण्डर के चुनावी वादें भी लगातार पूरे होने से जनता का रूझान उनके प्रति कम नहीं हुआ। जिसमें सबसे ज्यादा मुश्किल महाराज को भीण्डर के तहसील बनने के बाद कानोड़ के तहसील बनने तक रही। वहीं पहले तो मेवाड़ संभाग से शुरू हुई वसुंधरा की गौरव यात्रा को लेकर भारतीय जनता पार्टी वल्लभनगर के कार्यकर्ता काफी खुश थे लेकिन जैसे ही रथ के मार्ग और महारानी की सभा की अधिकृत सूचना आई कार्यकर्ताओं में मायूसी छा गई। दर्जनों पदाधिकारी उदयपुर में स्थित पार्टी कार्यालय पंहुच गए और जमकर विरोध प्रदर्शन किया। यहां किसी ने भी उनकी नहीं सुनी और इनके खेवनहार भाई साहब ने भी भीण्डर में  सभा होने की बात का समर्थन ही दिया। यह बात अलग है कि कटारिया जी कीर की चैकी से वसुंधरा के रथ को छोड़कर भटेवर में गुस्साएं कार्यकर्ताओं के  बीच पंहुच गए और मेवाड़ में वसुंधरा का रथ बिना भाई साहब की मौजुदगी में तीसरी बार सभा के लिए आगे बड़ा। इससे पहले मेवाड़ के दिग्गज नेता नाथद्वारा और प्रतापगढ़ में भी रथ के साथ नहीं दिखे थे। वैसे तो यह सभा भी पहले से तय थी लेकिन हर जगह जिस तरह सभा स्थल पर कमल निशान दिखाई दिया यहां ऐसा नहीं था। जाहिर सी बात है जनता सेना सुप्रीमोें रणधीर सिंह भीण्डर प्रदेश की मुखिया वसुंधरा के करीबी हैं तो उन्हें यहां तो आना ही था, लेकिन बिना पार्टी के प्रतीक चिन्ह के सभा को संम्बोधित करना उनके लिए नया अनुभव ही रहा होगा। अपने उद्बोधन में जहां महाराज रणधीर सिंह भीण्डर में  महारानी की तारीफ में कसीदे पढ़े वहीं महारानी ने भी क्षेत्र में विकास की बात कही। गौरव यात्रा के दौरान पहली बार ही ऐसा देखने को मिला कि भारतीय जनता पार्टी के मुख्यसेवक का चेहरा बनी वसुंधरा ने पार्टी के समर्थन की बात यहां नहीं कहीं, बिना भारतीय जनता पार्टी का नाम लिए ही विकास के नाम पर राजस्थान को फिर से मजबूत बनाने पर जोर दिया। चलिए अब बात करते हैं सभा के खत्म होने के बाद दूसरी सभा को संबोधित करने की जहां रथ के काॅर्डिनेटर फिर से रथ के साथ होने थे। इससे पहले क्षेत्र में काफी जगह जनता सेना के कार्यकर्ताआंे ने गौरव रथ का स्वागत किया। सभी के हाथों में महारानी और महाराज के पोस्टर थे और जिनपर लिखा था चलो साथ चले। वहीं भटेवर से वल्लभनगर मार्ग पर करीब 1500 कार्यकर्ताओं की मौजुदगी में वसुंधरा का स्वागत किया गया। यहां वसुंधरा ने सभा तो नहीं की लेकिन रथ पर सवार होकर कार्यकर्ताओं को सम्बोधित जरूर किया। लेकिन यह बात तो महारानी को भी समझ में आ गई की भीण्डर की सभा के हुजूम और भटेवर मंे कार्यकर्ताओं की भीड़ में कितना फर्क है। इस बात से कहीं न कहीं ऐसा लगता है या तो रणधीर सिंह भीण्डर की पार्टी में वापसी तय है या फिर इस सीट पर पार्टी अपना उम्मीदवार ही खड़ा न करें।

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