अचार संहिता में बंधे महापौर पार्षद पुलिस से उलझे – राज्य निर्वाचन अधिकारी से की शिकायत बेवजह जनप्रतिनिधियों को किया जा रहा परेशान।

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उदयपुर। आचार संहिता के चलते नगरनिगम दशहरा दीपावली मेले में जन प्रतिनिधियों पर जिला निर्वाचन आयोग द्वारा हद से ज्यादा पाबंदी को लेकर राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी से मिलने गए नगर निगम के महापौर पार्षद और पुलिस अधीक्षक सहित पुलिस अधिकारी आमने सामने हो गए। स्थिति धक्का मुक्की तक बन आई एक पार्षद को गिरफ्तार कर थाने भी ले गए लेकिन विरोध बढ़ने पर आधे रास्ते से वापस लेकर आगये। बाद में राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी ने पार्षदों और महापोर की शिकायतें भी सुनी और जिला निर्वाचन अधिकारी को मेले में बरती जा रही सख्ती में नियमानुसार रियायत देने की निर्देश भी दिए।
नगर निगम में दीपावली दशहरा मेला शुरू हुए छह दिन हो गए है लेकिन आचार संहिता के चलते नगर निगम के पार्षदों सहित महापौर या अन्य जनप्रतिनिधियों को मेले में आयोजित कार्यक्रमों से दूर रखा जा रहा है। देखा जाए तो आयोजन स्थल पर कुर्सियों पर बैठने को लेकर जनप्रतिनिधि और अधिकारी आमने सामने हो रहे है। नगर निगम आयुक्त ने वहां एक बोर्ड भी लगा रखा ही कि जन प्रतिनिधियों का प्रवेश इस परिधि के बाहर रहे।
आज स्थिति तब और बिगड़ गयी जब आरसीए राय के मुख्य निर्वाचन अधिकारी आनंद कुमार जिला निर्वाचन अधिकारी के साथ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक ले रहे थे। इस दौरान महापौर चन्द्र सिंह कोठारी सहित करीब ४० पार्षद निर्वाचन अधिकारी से मिलने और नगर निगम मेले में बरती जा रही बेवजह की सख्ती को लेकर शिकायत दर्ज करवाने के लिए आये थे। इधर आरसीए में मोजूद जिला पुलिस अधीक्षक राष्ट्र्दीप कुंवर और अन्य पुलिस अधिकारियों ने जन प्रतिनिधियों की इतनी भीड़ देख कर अन्दर जाने से मना कर दिया और पांच लोगों को जाने के लिए ही कहा। इसी मिलने की बात को लेकर पुलिस और जनप्रतिनिधियों के बिच बहस हो गयी। बहस काफी हद तक धक्का मुक्की तक भी पहुच गयी बहस बढ़ने के बाद पार्षद राकेश पोरवाल को पुलिस अधीक्षक ने थाने ले जाने तक के लिए कह दिया लेकिन बाद में विरोध को देखते हुए आधे रास्ते से वापस बुलवा लिया। राकेश पोरवाल का कहना है कि महापौर जनप्रतिनिधि है और उनके साथ पुलिस अधीक्षक द्वारा किये जा रहे व्यवहार से मुझे आक्रोश आगया। हालाँकि बाद में मामला शांत हो गया और महापौर सहित पांच पार्षद राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी से मुलाक़ात कर अपना विरोध दर्ज करवाया और प्रशासन द्वारा मेले में जनप्रतिनिधियों के साथ बरती जा रही सख्ती के का विरोध दर्ज करवाया। इधर चुनाव अधिकारी ने भी जनप्रतिनिधियों को माना कि यह सही है कि आचार संहिता के चलते स्टेज पर कोई किसी जनप्रतिनिधि को नहीं बुलाया जा सकता लेकिन बाकी बैठने की व्यवस्था तो जिस तरह पहले रहती थी वह किया जा सकता है। पार्षदों का आरोप है कि जनप्रतिनिधि की बैठने की जगह पर अधिकारी अपने परिचितों को बैठा देते है और आचार संहिता का हवाला दे लकर हमको दूर रहने को बोला जा रहा है। मेले के निमंत्रण पत्र भी नहीं बंटवाये गए जबकि बिना किसी जनप्रतिनिधि का फोटो लगा कर पत्रकारों व् अन्य लोगों को निमंत्रण पत्र दिया जा सकता था। आगंतुकों के स्वागत के लिए लाल उपरना ओढाया जा रहा है और लाल कलर किसी पार्टी विशेष का सिम्बोल है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने नियमों के अंतर्गत आरही जनप्रतिनिधि बातों को सही माना और जिला निर्वाचन अधिकारी को निर्देश भी दिए।

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