महिला पर डायन का आरोप लगा कर गाँव से निकाला

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उदयपुर, महिला उत्पीडन रोकने के लिए सरकार चाहे लाख कोशिशें कर ले लेकिन कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए महिलाओं और उनके परिवारों को परेशान करने से बाज नहीं आते ऐसा ही उदाहरण संभागीय आयुत्त* को अपने पूरे परिवार के साथ ज्ञापन देने आयी हांजु कटारा के सामने आया जिसको उसके ही गांव के कुछ लोगों ने जमीन ह$डपने के चक्कर में पिछले कई सालों से डायन कह कर और मारपीट कर परेशान कर रखा है।

हांजु पत्नी हकरा कटारा निवासी गलन्दर पंचायत समिति बिछीवा$डा ने अपनी आप बीती सुनाते हुए बताया कि उसी के गांव के कुछ पढे लिखे लोगों ने उसकी जमीन ह$डपने के चक्कर में उसको डायन कह-कह कर अत्याचार कर रखा है तथा गांव के और किसी व्यत्ति*यो को उनके पास जाने नहीं देते आये दिन डायन कह कर उसके घर पर पथराव करते है व उसके बच्चों के साथ मारपीट करते है। हांजु ने बतायाकि उसकी पांच लडकियां और दो लडके है एक पुत्र राजु १० वीं में, कमलेश १२ वीं में और एक पुत्री अनिता १२ वीं में अध्ययनरत है। हांजु ने बताया कि उसी गांव के मोगा पिता नाना कटार, लक्ष्मण पिता वजा वाला पिता वजा,मुकेश पिता लक्ष्मण, शिवराम पिता रामा खराडी जो कि शारीरिक शिक्षक है और गलमा कोटेड भी शिक्षक है । ये सभी लोगों ने पिछले कई वर्षो से उसकी जमीन हडपने के चक्कर में उसको डायन कह कर पूरे गांव में प्रचारित कर रखा है तथा कहते के यह मवेशी और बच्चे खाती है। हांजु बताती है कि इसी वजह से मेरी बेटियों की शादी नहीं हो सकी और पिछले कई महिनों से वह रोज शराब के नशे में डायन कह कर घर पर पथराव करते है व उसके बच्चों को स्कूल आते जाते मारपीट करते है। और अभी भी यह पुरा परिवार उत्त* अभियुत्त*ों के डर से दूसरे गांव काली पाल गाम$डी हा$डा उनकी ननद के यहां रह रहा है। हांजु ने बताया कि उत्त* व्यत्ति*यों के खिलाप* थाने में रिपोर्ट भी नहीं की लेकिन पुलिस की तरप* से कोई कार्यवाही नहीं हुई। डंूगरपुर एसपी को भी लिख कर दिया लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली। आखिर कार इस परिवार के हित में आगे आये राजस्थान जनजाति विकास परिषद के संभाग अध्यक्ष खेमराज डामोर और लेम्पस के चेयरमेन रमेश चन्द्र रोत ने संभागीय आयुत्त* आईजी टी.एल.मीणा,दयाराम परमार व जोधपुर हाईकोर्ट में ज्ञापन भेज परिवार को न्याय दिलाने की बात कही।

खेमराज कटारा ने बतायाकि समाज सेवी होने की हेसियत से हम जब उत्त* व्यत्ति*यों को समझाने गये तो उन्होंने हमारी बात मानने से इंकार कर दिया और कहा कि यह हमारे गांव का मामला है इसमे बाहरी व्यत्ति* का दखल नहीं करेगें। संभागीय आयुत्त* को ज्ञापन देने के बाद संभागीय आयुत्त* ने आई.जी.टी.सी.डामोर को मामले की जांच करवाने तथा परिवार के साथ न्याय करवाने का पत्र लिखा है।

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