“तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे

Date:

‎”तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे , जब कभी सुनो गे गीत मेरे संग संग तुम भी गुनगुनाओगे ”


 


मो. रफ़ी साहब जीतनी अच्छी आवाज़ के मालिक थे उतनी ही अच्छी शख्शियत के साफ़ दिल इन्सान थे, ये रफ़ी साहब का हुनर ही था के हर कलाकार पे फिल्माने वाले गाने वो उनकी ही शेली में गाते थे चाहे , दिलीप कुमार हो या शम्मी कपूर , भजन गाते तो हर दिल हरी दर्शन को तड़प जाता और सूफियाना कलाम या कव्वाली गाते तो हर दिल झूम उठता , ये रफ़ी साहब का हुनर ही था के ज़िन्दगी के हर रंग को वो अपनी आवाज़ में उतार देते थे ,


31 जुलाई 1980 को जब दिल के दोरे से उनका इंतकाल हुआ उस दिन ऐसा लग रहा था मनो आसमान का कलेजा भी फट गया हो , और उस मुसलाधार बारिश में जनाजे में शामिल हर शख्श ने अपना छाता होते हुए भी नहीं खोला , हर शख्श के दिल में इतने तूफान उठ रहे थे के उसको आसमान से बरसने वाले तूफान से बचने की कोई फिकर नहीं थी , ऐसा लग रहा था मानो जनाजे में शामिल हर शख्श रफ़ी साहब के साथ दफ़न हो जाना चाहता हे ,


आज 31 साल बाद भी उनकी आवाज़ हर दिल में गूंजती हे ,


“वो जब याद आये बोहत याद आये …….


LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Vera aquele John Cassino Assediar$1200 sobre bônus, R$35 Acessível

ContentMelhores sites de casino online uma feita que dinheiro...