उदयपुर, झील विकास प्राधिकरण विधेयक पर सभापति श्रीमती रजनी डांगी ने सोमवार को संभागीय आयुक्त को परिषद की ओर से सुझाव भेजे।
राष्ट्रीय झील संवर्धन परियोजना निदेशक जयपुर द्वारा प्राप्त पत्र के संदर्भ में भेजे गए सुझावों में सभापति ने लिखा है कि सम्पूर्ण राजस्थान का एक झील प्राधिकरण भौगोलिक परिस्थितियों और विषमताओं के होते हुए गठित करना किसी भी तरह से उपयुक्त नहीं है। राज्य में सर्वाधिक महत्वपूर्ण झीलें उदयपुर एवं कोटा संभागों के क्षेत्रों में है। उदयपुर जिले की झीले देशी-विदेशी पर्यटकों के लिये आकृषणका मुख्य केन्द्र है इसलिये उनकी समस्याओं का समाधान पृथक से होना जरूरी है। इसलिए दक्षिणी राजस्थान के लिये अलग से झील प्राधिकरण बनना चाहिये। जिसका मुख्यालय उदयपुर में हो। प्राधिकरण की कमेटी मे सदस्यों के रूप में उदयपुर व कोटा संभाग के अधिकारीगण, जनप्रतिनिधि, सांसद, विधायक और स्थानीय निगमो, नगर परिषदों, पालिकाओ के निर्वाचित जन प्रतिनिधि ही होने चाहिये। नगर परिषद उदयपुर दक्षिणी राजस्थान के लिये अलग से झील विकास प्राधिकरण चाहती है। अत: इस बात को ध्यान में रखते हुए नया प्रारूप बनवाकर भिजवाया जाये। सभापति ने अधिनियम की धारा १३ के क्रम में सुझाव दिया कि झील प्राधिकरण के किसी भी आदेश-निर्देश को निर्वाचित नगरपालिका/परिषद को मानने के लिए बाध्य करना अनुचित है। पालिका-परिषद को अधिकार होना चाहिऐ कि वे अपने साधनों और व्यवस्थाओं को देखकर निर्णय करें।