दिमाग का सूप पीने वाले आदमखोर को मिली उम्रकैद

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इलाहाबाद. इलाहाबाद की एक अदालत ने आज नरपिशाच राजा कलंदर और उसके साले बछराज को उम्रकैद की सजा सुनाई है। दोनों पर 10-10 हजार रुपए का आर्थिक दंड भी लगा है। कोर्ट ने उसे पत्रकार धीरेंद्र सिंह समेत कई लोगों की हत्या का दोषी करार देते हुए इसे रेयरेस्ट ऑफ दी रेयर केस माना था। उसके खिलाफ यह केस करीब 12 साल से चल रहा था।

बताते चलें कि पत्रकार की गला काटकर हत्या कर दी गई थी। उसकी लाश के टुकड़े कर उन्हें जंगल और नदी में फेंक दिया गया था। इस अपराध को अंजाम देने वाले राजा कलंदर की असलियत 2000 में लोगों के सामने आई, जब उसने एक पत्रकार की हत्या की थी। पत्रकार के घरवालों ने हत्या का संदेह जताया। पुलिस जांच के दौरान तत्कालीन जिला पंचायत सदस्य फूलन देवी के घर पहुंची। वहां से धीरेंद्र सिंह का सामान मिला था। राजा कलंदर फूलन का पति है, उसने पुलिस के सामने गुनाह कबूल कर लिया।

राजा कलंदर के बारे में कहा जाता है कि उसे जो भी शख्स नापसंद होता था, उसे वह अपने फार्म हाउस या आस-पास की जगहों पर बुलाकर बेरहमी से क़त्ल कर देता था। लाश के टुकड़े-टुकड़े कर उसके कुछ हिस्से को फार्म हाउस में छिपा देता था। बाकी मध्य प्रदेश और यूपी के जंगलों, नदियों में फेंक देता था। इतना बेरहम था कि उसने कई लोगों को मारने के बाद उनकी खोपड़ी का मांस भी भूनकर खाया था। दिमाग को उबाल कर सूप पीता था। क़त्ल करने वाले लोगों की खोपड़ियों को वह फ़ार्म हाउस के एक पेड़ पर टांग देता था।

सज़ा सुनाये जाने से कुछ घंटे पहले अदालत में लाये जाने पर वह खुद को बेगुनाह बताता रहा। उसका कहना था कि उसे सियासी रंजिश की वजह से फंसाया गया है। हालांकि तमाम पत्रकारों और गांव वालों की मौजूदगी में की गयी छापेमारी में फार्म हाउस से चौदह नर कंकाल बरामद होने की बात पर वह कोई जवाब नहीं दे सका था।

इलाहाबाद में एक अखबार के चीफ रिपोर्टर धीरेद्र सिंह नरपिशाच राजा कोलंदर के गांव के पास के ही रहने वाले थे। राजा को शक हो गया था कि धीरेन्द्र को उसके गुनाहों के बारे में जानकारी मिल चुकी है। वह किसी भी दिन अपने अखबार में उसकी करतूतों की खबर छाप सकते हैं। इसलिए उसने उन्हें मौत के घाट उतार दिया। आर्डिनेंस फैक्ट्री के एक कर्मचारी को उसने महज़ इसलिए मौत के घाट उतारा था, क्योंकि वह कायस्थ बिरादरी का था। उसका मानना था कि कायस्थ लोगों का दिमाग काफी तेजी से काम करता है। इसलिए कर्मचारी को क़त्ल करने के बाद वह कई दिनों तक उसकी खोपड़ी के हिस्से को भूनकर खाता रहता था।

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