वीर षिरोमणी महाराणा प्रताप की 474 वी जयंती सात दिवसीय समारोह

20140529_102803चंहूओर प्रताप का प्रकाष
स्वामी भक्त चेटक की महाआरती व अखाड़ों का प्रदर्षन
तो कही दूग्धाभिषेक

उदयपुर।,कही महारणा उदय सिंह की प्रतिमा का दूग्धाभिषेक तो कही स्वामी भक्त चेटक की महाआरती तो कही अखाडा़ प्रदर्षन। गुरूवार को सुबह से शाम तक महाराणा प्रताप जयंति के उपलक्ष में उल्लासपूर्ण माहौल रहा।
चेटक अष्व पूजन, महाआरती, अखाड़ा प्रदर्षन:-
नगर निगम उदयपुर तथा मेवाड क्षत्रिय महासभा के संयुक्त तत्वावधान में वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप की 474वी जयन्ती पर चल रहे सात दिवसीय कार्यक्रम के तहत पांचवे गुरूवार को भारतीय जनता मजदूर मोर्चा, ओम बन्ना सेवा संस्थान, बजरंग सेना मेवाड़, प्रताप पुंजा शस्त्र कला प्रषिक्षण देवाली, के तत्वावधान में चेटक सर्कल स्थित चेटक अष्व पूजन व महाआरती की गई। समारोह के मुख्य अतिथि सांसद अर्जुन लाल मीणा, अध्यक्षता महापौर रजनी डांगी, विषिष्ठ अतिथि भाजपा जिलाध्यक्ष दिनेष भटृ, प्रमोद सामर, महामंत्री चन्द्र सिंह कोठारी, समाजसेवी घनष्याम सिंह कृष्णावत, तख्तसिंह शक्तावत, तेजसिंह बांसी, पूर्व सभापति रविन्द्र श्रीमाली, संयोजक प्रेम सिंह शक्तावत, डॉ. राजेन्द्र सिंह जगत,दिलिप सिंह बांसी, मोट्यिार परिषद् के संभाग पाटवी घनष्याम सिंह भीण्डर, महामंत्री कृष्णकांत नाहर उपस्थित थे। अपने उद्बोेधन सांसद अर्जुन मीणा ने कहा कि प्रताप का नाम इतिहास में ही नहीं सम्पूर्ण संसार में स्वदेष प्रेम, स्वतंत्रता, सर्वधर्म सम्भाव के लिए जाना जाता है। भारत के नौजवान पीढ़ी को इनके समर्पण से सीख लेनी चाहिए।

अखाड़ा प्रदर्षन व हेरतअंगेज कारनामे:
वीर हनुमान राष्ट्रीय व्यायामषाला के उस्ताद नरेन्द्र सोनी तथा फतेहसिंह राठौड के नेतृत्व में तलवारबाजी, मुग्दर प्रदर्षन, डॉलर, मुंह से वेन खींचना आदि प्रदर्षन किये गये।
दुग्धाभिषेक:-
सुबह बजरंग दल द्वारा जिला संयोजक गजेेन्द्र सिंह राठौड़ के नेतृत्व में उदियापोल चौराहे पर स्थिति महाराणा उदय सिंह की प्रतिमा का दुग्धाभिषेक व माल्यार्पण कर उनको नमन किया गया। इस अवसर पर बजरंग दल के जिला सहसंयोजक सुधीर शर्मा, विष्व हिन्दू परिषद् देव श्रीमाली, बसंत चौबीसा, खुमाण सिंह चुण्डावत, किषन लोधा, विष्णु राठौड, छोगालाल सुथार, सुखलाल सालवी, राकेष कल्याणा, गौतम राठौड व पराग वैष्णव सहित क्षत्रिय महासभा के पदाधिकारी उपस्थित थे।
आज के आयोजन:-
शुक्रवार सुबह प्रात 07 बजे लायंस क्लब महाराणा की ओर से सिटी रेल्वे स्टेषन पर पर्यटकों का हल्दी घाटी की माटी से स्वागत किया जायेगा। प्रातः 09 बजे पहल संस्थान की ओर से मोती मंगरी स्मारक पर झालामान की मूर्ति का पुजन व संगोष्ठी

शिल्पग्राम में तेराताल कार्यशाला

Terata__Performance-2कामड़ जाति के कलाकार आज करेंगे कला प्रदर्शन

Terata__Performanceउदयपुर, यहां हवाला गांव के शिल्पग्राम में गुरूवार शाम लोक गायन की सुरीली महक तथा तेराताल नृत्य की खनक ने पर्यटकों व कला प्रेमियों को मंत्राभिभूत कर दिया।
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित पांच दिवसीय ‘‘तेराताल नृत्य कार्यशाला’’ के अंतर्गत गुरूवार को शिल्पग्राम की चौपाल पर लोक गायन की महक तथा लोक नर्तन की अनुपम छटा देखने को मिली। कार्यशाला में प्रशिक्षित कामड़ जाति के कलाकारों ने अपने गुरूओं के सानिध्य में अपनी प्रतिभा व कौशल के साथ अपनी परंपराओं का प्रदर्शन अनूठे अंदाज में किया। शाम की रोशनी में आयोजित इस संध्या में सबसे पहले मीा बाई के भजन ‘‘बागां री शणगार कोयलिया पर मंडली मत जाणा….’’ भजन से हुई। इसके बाद रूपा दे के भजन ‘‘जावा में को नी नुगरो मालदे’’ पर सुमित्रा कामड़ व सखियों ने अपने कंठ का माध्ुर्य बिखेरा। इसके बाद मेहेशाराम के नेतृत्व में हरजी भाटी द्वारा रचित बाबा रामदेव की उपासना ‘‘बाबा रमदेव’’ प्रस्तुत किया गया जिसमें लयकारी के साथ चौतारे, मंजीरे व गायन के माधुर्य का अनॅठा संगम था। कार्यक्रम का चौथा भजन रामनारायण की रचना ‘‘सतगुरू आंगण आया में वारी जाऊं…’ की प्रस्तुति सुरीली व मन को छू लेने वाली रही।
इसके पश्चात बालिकाओं ने प्रसिद्ध गीत ‘‘म्हारो हेलो सुणो हो रामा पीर ..’’ पर भजन प्रस्तुत किया जिसमें बालिकाओं की भंगिमाएँ तथा आपसी तारतम्य उत्कृष्ट बन सका। बालिकाओं ने सिर पर गंगाजली रख कर तथा तलवाल मुंह में रख कर अपने नर्त से सैलानियों पर अपने नर्तन का जादू सा कर दिया।

लेकसिटी में परदेसी पामणों की आवक कम हुई

देशी पर्यटको में हुआ इजाप*ा
बढती रेप की घटनाओं से विदेशी पर्यटको का रूझान हुआ कम, सुविधाओं का टोटा

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उदयपुर झीलों की नगरी होने से देश दुनिया के पर्यटन में खासा महत्त्व रखता है। देश के चुनिंन्दा खूबसूरत शहरों में से उदयपुर का स्थान सबसे ऊपर है। हर साल यहां लाखों की संख्या में देसी विदेशी पर्यटक आते है। लेकिन पिछले साथ की तुलना में अगर हम इस साल के पिछले चार महीनो पर नजर डालें तो देसी पर्यटक भले बढे हो लेकिन विदेशी पर्यटकों में कमी आई है।
पर्यटन विभाग के अनुसार २०१३ में जनवरी माह में देसी पर्यटक ४३८१०. विदेशी २२७३३ , फरवरी में ४१७४३ विदेशी २४८४०. मार्च में देसी ४०५२०. विदेशी २१२४६ तथा अप्रेल माह में देसी ३७२७३ और विदेशी ११५२९ पर्यटक आये थे जबकि इसकी तुलना में इस वर्ष जनवरी में देसी पर्यटक में १६४४८ पर्यटकों की बढोतरी के साथ कुल ६०२५८ पर्यटक झीलों की नगरी में आये जबकि विदेशी पर्यटकों में पिछले साल की तुलना में ६३१ पर्यटक कम आये और इनकी संख्या २२१०२ रही फरवरी में भी देशी पर्यटकों में ४५०९ पर्यटकों का इजाफा हुआ कुल ४६२५२ व विदेशी पर्यटकों में इस माह में खासी कमी देखी गयी। जब कि फरवरी माह विदेशी पर्यटकों के हिसाब से मौसम अनुकूल होता है फिर भी पिछले साल की तुलना में ३८७९ पर्यटकों की कमी के साथ २०९६१ विदेशी यहाँ पहुंचे मार्च में देसी पर्यटक ४४१३६ व विदेशी २०८०९ इस माह में भी देसी पर्यटक बढे तो विदेशी घटे अप्रेल में भी देशी पर्यटकों की संख्या ४३००५ रही जो पिछले साल की तुलना में ५७३२ अधिक पर्यटक है इस माह में विदेशी पर्यटकों में आंशिक बढोतरी हुई ११८९२ विदेशी पर्यटक आये जो पिछले साल की तुलना में ३६३ अधिक है ।
विदेशी पर्यटक घटने के कारण : पर्यटन विभाग की डिप्टी डायरेक्टर सुमिता सरोच के अनुसार वैसे तो उदयपुर शहर में जयपुर के बाद सबसे अधिक ट्यूरिस्ट आते है, लेकिन पिछले साल की तुलना में इस साल कम विदेशी ट्यूरिस्ट आये जबकि इस बार अंदाजा था की पिछली बार की तुलना में अधिक आयेगे । सरोच इसकामुख्य कारण बताती है राज्य और देश में होने वाली रेप की घटनाओं को विदेशी मिडिया ने इस बार खूब उछाला जिससे देश के साथ साथ राजस्थान की छवि भी एक तरह से खराब हुई है । और विदेशी पर्यटकों में एक तरह का डर है । दूसरा अक्सर विदेशी पर्यटन टूर्स ऑपरेटर्स और ट्यूरिस्ट एजेंसियों पर अधिक निर्भर करते है । और यह लोग बजाय भारत के इन विदेशियों को और एशियाई देशों में जाने की सलाह देते है । एक मुख्य कारण उदयपुर शहर में विदेशी टयूरिस्टों का काम आना यह भी है, की दूसरे शहरों के मुकाबले यहाँ के थ्री स्टार और फाइव स्टार होटल ज्यादा महंगे है।

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कई सुविधाओं की कमी :
उदयपुर में लगभग १२ ही महीने पर्यटक रहते है । लेकिन उन्हें यहाँ कई असुविधाओं का सामना करना पढता है जिसमे सबसे अधिक अगर परेशानी होती है तो शहर में रात्रि १०. बजे बाद कोई खाने की दूकान रेस्टोरेंट आदि खुला नहीं होता पुलिस प्रशासन कानून व्यवस्था के नाम पर शहर को १०. बजे बाद बंद करवा देती है । जबकी अक्सर १०. बजे के बाद बाहर से आने वाले ट्यूरिस्ट खाने पीने की होटल ढूंढते रहते है । दूसरी बडी समस्या पाबंदियों के बावजूद लपकों का आतंक सुबह से रात देर तक ये लपके टयूरिस्टों के पीछे घूमते रहते है और कई बार अपने कमीशन के चक्कर में घटिया होटल और अन्य घटिया सुविधा उपलब्ध करवा देते है जिससे ये पर्यटक शहर की अच्छी छवि लेकर नहीं जाते । प्रशासन को चाहिए की की देश के कई शहरों में जहाँ खास कर पर्यटक आते है वहां नाईट बाजार की व्यवस्था है यहाँ पर भी करनी चाहिए । और इन लपकों पर पूरी तरह अंकुश लगाना चाहिए ।

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अक्षरधाम: ‘मेरा नाम सुरेश, रमेश या … होता तो ये नहीं होता’

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सो. – बीबीसी हिंदी140529021943_salim_hanif_sheikh_624x351_ankurjain

मुमताज़ बानो अब कभी नहीं मुस्कराती हैं. घरवालों ने उनको पिछले 11 सालों में कभी हँसते हुए नहीं देखा और उन्हें मुमताज़ का एक ही भाव समझ आता है. वो रो रही हैं ये बात घरवालों को उनके आंसू से ही पता लगती है क्योंकि उन्हें लकवा मार गया है.

अहमदाबाद के दरियापुर इलाक़े में कभी वह अपने बड़े बेटे सलीम शेख की प्रशंसा करते नहीं थकती थीं. आख़िर उसने सऊदी अरब जाकर दर्ज़ी का काम करके पैसा कमाया और अपनी दो बहनों की शादी करवाई, अहमदाबाद में मकान ख़रीदा, अपने बच्चे ज़ैद को इंग्लिश स्कूल में डाला और फिर वह हर महीने घर पैसा भी भेजते थे.
लेकिन उस दिन, क़रीब 11 साल पहले, मुमताज़ ने बेटे के लिए खीर बनाई थी. सलीम छुटियां ख़त्म कर सऊदी अरब वापस जाने की तैयारियां कर रहे थे. तभी घर के दरवाज़े पर दस्तक हुई और सलीम को कोई बुलाने आया.
लेकिन सलीम जब गए तो वापस लगभग 11 सालों बाद लौटे. वो 17 मई को घर वापस लौटे हैं.

इतने दिनों में बहुत कुछ बदल चुका है. अब घर फिर से किराये का है, ज़ैद अब उर्दू स्कूल में जाता है. मुमताज़ नहीं जानती कि यह सब उनके साथ क्यों हुआ, लेकिन सलीम कहते हैं कि शायद इस देश में मुसलमान होकर जन्म लेना कभी-कभी गुनाह हो जाता है.

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प्रताड़ना

वो कहते हैं, “मेरा नाम अगर सुरेश, रमेश या महेश होता तो मेरे साथ यह कभी होता?” सलीम को अक्षरधाम मंदिर हमले मामले में गुजरात पुलिस ने पकड़ा था और उन्हें लश्कर-ए-तैयबा और जैशे मोहम्मद का सदस्य बताया गया था.
24 सितंबर, 2002 को दो हमलावरों ने अक्षरधाम मंदिर के भीतर एके-56 राइफ़ल से गोलियां बरसाकर 30 से अधिक लोगों की हत्या कर दी थी और क़रीब 80 को घायल कर दिया था. इस मामले में आठ लोगों को गिरफ़्तार किया गया था, जिनमें से छह को आरोप मुक्त कर दिया गया है जबकि दो पर अभी मुकदमा चल रहा है.

सलीम शेख सऊदी अरब के रियाद शहर में एक शोरूम में दर्ज़ी का काम किया करते थे. उन्होंने कहा, “पुलिस ने मुझे 29 दिन अवैध तरीक़े से हिरासत में रखा और इस दौरान इतना पीटा कि आज भी मेरे पाँव कांपते हैं. जैसे कोई धूप में चलकर आया हो उस तरह की जलन होती है. अहमदाबाद क्राइम ब्रांच में 400-500 डंडे एक साथ मेरे पाँव के तलवे पर मरते थे. उस वक़्त मेरी पाँव की इन उंगली फ्रैक्चर भी हो गयी.”

सलीम को इस मामले में पोटा कोर्ट ने आजीवन कारवास की सज़ा सुनाई थी जिससे गुजरात उच्च न्यायालय ने बरक़रार रखा.

उन्होंने कहा, “मेरे कूल्हे पर आज भी 11 साल पुरानी मार के निशान मौजूद है. वह मंज़र याद आता है तो दिल दहल जाता है कि वापसी में भी हमारे साथ ऐसा न हो.”

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‘कौन से केस में जेल जाएगा’

सलीम ने कहा, “मुझे क्राइम ब्रांच ले जाने के बाद पुलिस ने मेरे बारे से पूछा कि मैं सऊदी अरब में क्या करता हूँ और मेरे दोस्त कौन है? मुझे कहा गया की यह जाँच मेरे पासपोर्ट की कोई ख़राबी की वजह से है. पर फिर मुझे मारना शुरू किया. मुझे कोई इल्म ही नहीं था कि वे मुझे क्यों मार रहे हैं.”
वो आगे बताते हैं, “फिर एक सीनियर अफ़सर ने मुझे बुलाया और पूछा सलीम कौन से केस में जेल जाएगा, हरेन पंड्या, अक्षरधाम या 2002 दंगे. मुझे तो इन तीन के बारे में कुछ ज़्यादा पता भी नहीं था. मैं 1990 से सऊदी में था और जब घर आता तब बस इनके बारे कभी बात होती. मेरे पास मार खाने की बिलकुल ताक़त नहीं बची थी और मैं जैसा वह कहते वैसा करता था.”

उन्होंने कहा, “मैंने तो बाक़ी अभियुक्तों को भी पहली बार जेल में देखा.”

सलीम पर आरोप लगा था कि वह सऊदी में भारतीय मुसलमानों को इकट्ठा करके उन्हें 2002 गोधरा दंगे और अन्य भारत विरोधी वीडियो दिखाते थे और फिर उनसे पैसा लेकर भारत में आंतकवादी गतिविधियों के तहत अक्षरधाम हमले को फाइनेंस करते थे.

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‘पुलिस की मनगढंत स्टोरी’

वो कहते हैं, “मैं पुलिस की मनगढंत स्टोरी में फिट बैठ रहा था. सऊदी में रहने वाला था और अहमदाबाद पैसे भेजा करता था. मैंने 2002 दंगों के बाद एक रिलीफ कैंप में अनाज और पानी की मदद करने के लिए 13,000 रूपए ज़कात के तौर पर दिए थे. बस उसी से शायद में पुलिस की नज़र में आया. वर्ना मैंने जो कभी सिग्नल तोड़ने का भी गुनाह नहीं किया तो फिर इतने सारे लोगों को मारने का आरोप. पिछले 11 साल इस कलंक के साथ मैंने हर पल दिल पर पत्थर रखकर बिताए.”

अपने परिवार की तकलीफ़ों के बारे में सलीम कहते हैं, “हमारा मकान बिक गया, छोटे भाई को परिवार चलाने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी, मेरे बच्चे अंग्रेजी स्कूल से उर्दू स्कूल में आ गए. अब गुजरात में उर्दू का कोई उपयोग नहीं. मेरी बेटी जो उस वक़्त चार महीने की थी आज छठी कक्षा में है और मुझसे अभी थोड़ा डरती है और अब अम्मी बिस्तर पर है.”
वो बताते हैं, “यह सब इसलिए कि मैं मुसलमान हूँ. कुछ लोग हमारी कौम में ख़राब होंगे और कुछ लोग किसी और कौम में. मैं तो ख़ुद टेररिज़्म के ख़िलाफ़ हूँ और इस देश पर उतना ही गर्व करता हूँ जितना कोई और. मैं मानता हूँ कि भारत देश का ही क़ानून ऐसा है कि देर से सही आपको इंसाफ़ ज़रूर मिलता है. हाँ पर मैंने इसकी बड़ी क़ीमत चुकाई है.”

सलीम के छोटे भाई इरफ़ान कहते हैं, “भाई को हिरासत में लेने के कुछ ही महीनों के बाद माँ को हार्ट अटैक आया और उन्हें लकवा मार गया. फिर वह जब भी भाई की तस्वीर देखती या अख़बार में उसके नाम के साथ आंतकवादी शब्द देखती तो पूरे दिन रोती रहती. उसने कई दिनों तक तो खाना छोड़ दिया था और रोजे रखती थीं.”

इरफ़ान उस वक़्त 18 साल के थे.

‘कोई है जो हमें आगे नहीं आने दे रहा’

जेल से निकलने के बाद सलीम इन दिनों अपने लिए एक दुकान ढूंढ रहे हैं. उन्होंने कहा, “मेरे पास वक़्त बहुत कम है कि मैं अपनी बिखरी हुई ज़िंदगी भी समेट सकूं. अहमदाबाद में अब एक छोटी सी दुकान किराये पर लेकर वापस सिलाई का काम शुरू करूँगा. दुनिया बहुत आगे बढ़ गई है. मैं और मेरे बच्चे बहुत पीछे रह गए.”

सलीम अब अहमदाबाद के जूहापुरा इलाक़े में रहते हैं.

वो कहते हैं, “भारत को अब बदलना चाहिए. मैंने एक मुसलमान परिवार में जन्म अपनी पसंद से नहीं लिया था. तो फिर भेदभाव क्यों. अब हमें भी मुख्यधारा में शामिल करना चाहिए. भारत आगे बढ़े उसकी ख़ुशी हमें भी उतनी ही होती है. पर कोई है जो हमें नज़र नहीं आ रहा और वह हमें पीछे रखना चाहता है.”
सलीम कहते हैं, “जैसे मेरे पिछले साल गए, ऐसे और किसी के न जाए. हमें जेल में शाम को छह बजे कोठरी में बंद कर दिया जाता था इसलिए मैंने आकाश में तारे पिछले 11 साल से नहीं देखे थे. अब खुले आकाश के नीचे दिल की धड़कन फिर सुनाई दे रही है और मैं आंतकवादी नहीं हूँ इस बात का सुकून है वरना इतनी मार और जेल की कोठरी के भीतर खुद पर से यकीन उठ गया था.”

सलीम के वकील खालिद शेख कहते हैं, “सलीम को 29 दिन तक ग़ैरक़ानूनी हिरासत में रखा था और उनके शरीर पर आज भी मार के निशान मौजूद हैं. उसे मारकर और धमकाकर उसका कबूलनामा लिया गया था और यह बात सुप्रीम कोर्ट ने मानी.”

‘देश के क़ानून के भरोसे रहा जेल में ज़िंदा’

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शबाना आदम अजमेरी अहमदाबाद के दरियापुर इलाक़े की एक म्युनिसिपल स्कूल में छठी क्लास की छात्रा हैं. जहां देश और उसकी क्लास के बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर, उद्यमी या सीए बनने के सपने देखते हैं, वहीं शबाना वकील बनना चाहती है.

यह पूछने पर क्यों…. वह चुप हो जाती है. कुछ पल बाद अपने पिता की ओर देखती हैं और फिर रोने लगती हैं.
उसकी मां नसीम बानो कहती हैं, “इसका बचपन क़ानून, पुलिस और वकीलों के क़िस्से सुनकर बीता है. बस तभी से यह कहती है कि यह वकील बनेगी और हम सबको बचाएगी.”

शबाना के पिता आदम सुलेमान अजमेरी 11 साल जेल में रहने के बाद 17 मई, 2014 को बाहर आए हैं. उन पर अक्षरधाम मंदिर हमले में शामिल चरमपंथियों का साथ देने का आरोप था और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी. लेकिन एक दशक तक जेल में रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन पर लगे सभी आरोप ख़ारिज कर दिए और उन्हें बाइज़्ज़त रिहा कर दिया.

24 सितंबर, 2002 को दो हमलावरों ने अक्षरधाम मंदिर के भीतर एके-56 राइफल से गोलियां बरसाकर 30 लोगों की हत्या कर दी थी और क़रीब 80 को घायल कर दिया था.

इस मामले में आठ लोगों को गिरफ़्तार किया गया था जिनमें से छह को आरोपमुक्त कर दिया गया है जबकि दो पर अभी मुकदमा चल रहा है.

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‘ग़ैरक़ानूनी हिरासत और प्रताड़ना’

8 अगस्त, 2003 को रात के क़रीब डेढ़ बजे आदम अजमेरी अपने भाई के ऑटो गैराज के नज़दीक दोस्तों के साथ बातचीत कर रहे थे तभी एक मारुति ज़ेन कार, जिसमें चार लोग सवार थे, उनके सामने आकर रुकी.

गाड़ी में से एक आदमी बाहर आया और पूछा, “तुम से आदम कौन है? तुम्हें बड़े साहब ने बुलाया है.”

मैं समझा नहीं कि कौन साहब. फिर वह बोला बड़े साहब ने क्राइम ब्रांच बुलाया है.

अजमेरी कहते हैं, “पुलिस से डर लगता है इसलिए थोड़ा घबराते हुए में उनके साथ चला गया. बस उस दिन के बाद ज़िन्दगी मानो नरक से बदतर हो गई.”
रात को ले जाकर मुझे एक अफ़सर के सामने बिठा दिया. अफ़सर ने पूछा क्या तुम मुझे जानते हो? मैंने कहा नहीं, तो बोले मेरा नाम डीजी वंज़ारा है. बोले तुम हरेन पंड्या के बारे में क्या जानते हो. मैंने कहा कि मैंने उनके क़त्ल के बारे में अख़बार में पढ़ा है. उन्होंने फिर पूछा कि तुम टिफ़िन बम ब्लास्ट के बारे में क्या जानते हो. मैंने कहा कुछ नहीं, तो बोले अक्षरधाम मंदिर हमले से तुम्हारा क्या ताल्लुक है? मैंने तो कभी अक्षरधाम मंदिर देखा भी नहीं था, तो मैंने कहा कुछ नहीं,”

अगस्त 8 को गिरफ़्तार हुए अजमेरी का दावा है कि अहमदाबाद पुलिस ने उन्हें क़रीबन 22 दिन बाद कोर्ट में पेश किया.

उन्होंने कोर्ट में दिए अपने बयान में दावा किया, “जब मैंने कहा कि मेरा किसी केस से कोई ताल्लुक नहीं है तो वरिष्ठ अधिकारी ने कहा डंडा पार्टी को बुलाओ और फिर उन्होंने मुझे हैवानियत की हद तक पीटा. क़रीब 20 दिन तक रोज़ वह मुझे दिन-रात, जब तक मैं बेहोश न हो जाऊं, तब तक मारते थे.”

वह कहते हैं जब उन्हें अवैध रूप से हिरासत में रखा गया था तब अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के कमरों 100 से 150 और लोग अलग-अलग कमरों में क़ैद थे.

अजमेरी के वकील ख़ालिद शेख कहते हैं, “सुनवाई के दौरान हमने अहमदाबाद क्राइम ब्रांच द्वारा अजमेरी की ग़ैरक़ानूनी हिरासत के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शनों की तस्वीरें पेश की थीं. हमने अदालत में गवाह भी पेश किए जिन्होंने कहा कि अजमेरी आठ अगस्त, 2003 से लापता था.”

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बदल गई दुनिया

अजमेरी कहते हैं, “एक आदमी पीछे पीठ पर बैठता था, दूसरा पाँव पकड़ता था और तीसरा एक बार में तलवे पर दो-तीन सौ डंडे मारता था.”

शेख बताते हैं, “अजमेरी ने कोर्ट में दाखिल किए गए अपने बयान में बताया कि ग़ैरक़ानूनी हिरासत के दौरान उन्हें कितने अमानवीय ढंग से प्रताड़ित किया गया था.”
अजमेरी के अनुसार, “कोर्ट ले जाने के दिन पहले मुझे धमकाया गया कि मैंने अगर कोर्ट में मुंह खोला या वकील करने की कोशिश की तो मेरे परिवार को मार देंगे. फिर मेरी बीवी और बच्चों को सीसीटीवी कैमरे में क्राइम ब्रांच में बैठे हुए दिखाया गया. मुझे कहा गया कि जहां कहा जाए हस्ताक्षर कर देना वरना कोर्ट से लौटते वक़्त रास्ते में कहीं भी गोली मार देंगे.”

वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने सुप्रीम कोर्ट में अजमेरी का पक्ष रखा था. वह कहते हैं, “अजमेरी को रिहा करने वाली दो सदस्यीय पीठ ने माना कि उनका अपराध की स्वीकारोक्ति वाला बयान स्वेच्छा से नहीं दिया गया था और पुलिस ने बदमाशी की है.”

दस बाई दस के एक कमरे में अपनी बीवी और पांच बच्चों के साथ रह रहे आदमभाई अब खुश हैं, लेकिन अपने बच्चों के भविष्य को लेकर परेशान हैं.

कहते हैं, “11 साल जेल में आतंकवादी बनकर जिस कोठरी में रहा, वह इस घर से बड़ी थी लेकिन वहां मैं एक ज़िंदा लाश था और सिर्फ़ इस उम्मीद पर ज़िंदा था कि जिस देश का मैं नागरिक हूं, उसका क़ानून पूरी तरह अंधा नहीं है और मुझे इन्साफ मिलेगा.”

अजमेरी बताते हैं, “इस केस ने मेरे और मेरी बीवी से ज़्यादा मेरे बच्चों का जीवन बर्बाद कर दिया. पुलिस के मुझे पकड़कर ले जाने के बाद मेरी बीवी के तो पांव तले ज़मीन ख़िसक गई. छह बच्चे (एक बेटी की अब शादी हो चुकी है), एक कमाने वाला और वह भी जेल में. मेरी बीवी और बच्चों ने ये 11 साल रो-रो कर निकाले हैं.”

“बच्चों का स्कूल छूट गया. अखबारों में बड़े-बड़े फ़ोटो छपे थे मेरे, जिसके बाद बच्चों ने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया, क्योंकि वे लोगों से नज़रें नहीं मिला पाते थे और आख़िर कितनों को कहते कि अब्बू बेकसूर हैं.”

उन्होंने कहा, “मैं इनसे कहता था कि मैं नहीं पढ़ पाया क्योंकि हमारे अब्बू के पास पैसे नहीं थे और यह अब अपने बच्चों से कहेंगे कि हम नहीं पढ़ पाए, क्योंकि इनके अब्बू आंतकवाद के झूठे केस में जेल में थे. अब में खुले आसमान के नीचे हूं लेकिन जेल की ज़िन्दगी और 11 साल पहले पड़ी मार नहीं भूल पाता,”

“मुझे हर पल लगता है कि मेरी आँखों के सामने अब भी सलाखें और जाली हैं. और इधर बाहर दुनिया इतनी बदल गई है कि मानो मैं 11 साल नहीं, 1100 साल बाद बाहर आया हूं.”

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बददुआ
अजमेरी अपने से मिलने आए लोगों को अब भी अपना पूरा नाम बताने से पहले अपना कैदी नंबर बोल जाते हैं. कहते हैं, “मैं ही जानता हूं कि जेल के अंदर ज़िंदगी कैसे बसर हुई. क्या था मेरा कसूर? मैं भी इस मुल्क का एक नागरिक हूँ, जितना हर हिंदुस्तानी को होता है, उतना ही गर्व है मुझे इस पर.”

यह पूछे जाने पर कि उन्हें क्या लगता है कि उन पर ही मामला क्यों दर्ज किया गया?

अजमेरी कहते हैं कि उन्होंने 1998 में क्लिक करें बीजेपी पर चुनाव के दौरान धांधली का आरोप लगाया था और कोर्ट में याचिका भी दायर की थी शायद इसका संबंध उसी से है.

वह कहते हैं, “कांग्रेस जीते या बीजेपी इससे मुझे कोई मतलब नहीं था, लेकिन जब मैंने अपने इलाक़े में बैलेट पेपर की धांधली होते देखी तो रिटर्निंग अफ़सर को शिकायत की और कोर्ट में एप्लीकेशन भी लगाई, लेकिन उस मामले में कुछ हुआ नहीं. मुझे लगता है तबसे मैं पुलिस के नज़र में था. बहरहाल कुछ भी हो मेरी ज़िन्दगी तबाह करने वालों को मेरे बच्चों और बीवी की आह ज़रूर लगेगी.”

अजमेरी और अन्य कई आरोपियों को पोटा में अंदर करने वाले और फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामले में सज़ा काट रहे वंजारा भी उसी जेल में थे, जहां अजमेरी को रखा गया था.

वह कहते हैं आज भी जब उनका या घर के किसी भी सदस्य का दुआ के लिए हाथ उठता है तो वे क्लिक करें वंजारा के जेल में रहने की दुआ करते हैं.

अपने आंसू पोंछते हुए अजमेरी कहते हैं, “बददुआ तो वंज़ारा को लगी है और हम दुआ कर रहे हैं कि वह कभी बाहर न आएं. मेरी बूढ़ी माँ मेरे इंतज़ार में अल्लाह को प्यारी हो गई. खून के आंसू रोए हैं हम सब.”

16 तोला सोना और एक लाख नकद चोरी

-शक्तिनगर में हुई चोरी की वारदात, शादी में गया था परिवार

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उदयपुर। शक्तिनगर में बीती रात एक सूने मकान का ताला तोड़ कर चोर १६ तोला सोने के जेवरात व एक लाख नकद चुरा ले गए। इस दौरान मकान मालिक सहित पूरा परिवार सौ Èीट रोड पर एक शादी समारोह में शामिल होने गया था। रात दो बजे जब पूरा परिवार लौटा तो चोरी का पता चला।
पुलिस के अनुसार शक्तिनगर निवासी गिरधारी पुत्र मूरलीधर डोडेजा सौ Èीट रोड पर एक शादी समारोह में भाग लेने के लिए रात दस बजे गया था। पीछे से चोरों ने मकान के मेनगेट का ताला तोड़ दिया और अंदर घुसे चोरों ने अलमारी से १६ तोले सोने के जेवरात व एक लाख की नकदी चुरा ले गए। जब रात दो बजे गिरधारी डोडेजा परिवार के साथ लौटे, तो देखा कि मेनगेट का ताला टूटा हुआ है और मकान के अंदर का दरवाजा अंदर से बंद है। इस पर सभी लोग पिछले दरवाजे से अंदर घुसे और अंदर जाकर देखा, तो सारा सामान बिखरा था और अलमारी का ताला टूटा था। सूचना मिलने पर आज सुबह सूरजपोल पुलिस जाब्ते के साथ पहुंची। मौका मुआयना किया और गिरधारी की रिपोर्ट पर प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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बारी घाट को कराया अतिक्रमण मुक्त

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IMG_0369-पूर्व में अतिक्रमण हटाते समय हुआ था पथराव, इसलिए तैनात किया गया पुलिस जाब्ता।
उदयपुर। नगर निगम ने आज अतिक्रमण निरोधी कार्रवाई करते हुए चांदपोल में बारी घाट पर बरसों पुराने अतिक्रमण को हटा दिया। कुछ दिन पहले यहां पर अतिक्रमण कार्रवाई करने गए नगर निगम के अधिकारियों पर अतिक्रमियों ने पथराव किया था, जिसकी वजह से आज भारी पुलिस जाब्ते के साथ यह कार्रवाई की गई।
चांदपोल दरवाजे के पास मनोहर कुमावत द्वारा शहर कोट और सड़क पर अतिक्रमण कर वहां घोड़ों का अस्तबल बनवा दिया गया था। दो महीने पूर्व जब नगर निगम के अधिकारी अतिक्रमण हटाने गए, तब स्थानीय वार्ड पार्षद गंगा राम ने मनोहर कुमावत से शपथ पत्र दिलवा दिया था कि 15 दिन में वह खुद ही अपना अस्तबल और अतिक्रमण हटा देगा, लेकिन दो महीने बाद भी स्थिति वैसी ही रही। कुछ दिन पूर्व जब नगर निगम के अधिकारी अतिक्रमण हटाने पहुंचे, तो मनोहर कुमावत और घर की और महिलाओं ने नगर निगम अधिकारियों पर पथराव किया और वहां से बैरंग लौटा दिया। आज सुबह आठ बजे नगर निगम की राजस्व अधिकारी अनिता मित्तल, निरीक्षक नितेश भटनागर, नगर निगम डिप्टी जीवनसिंह, घंटाघर, हाथीपोल और अंबामाता के थानाधिकारी सहित 100 से अधिक पुलिसकर्मियों का जाब्ता चांदपोल पहुंचा और कार्रवाई शुरू की तथा अतिक्रमण की हुई जगह से घोड़ो को हटाकर निर्माण और टिन-तप्पड़ हटाने की कार्रवाई शुरू की। वहां रखा सारा सामान जब्त किया गया। अतिक्रमण करने वालों ने भारी पुलिस जाब्ते को देख कोई विरोध नहीं किया।
तीसरी मंजिल का निर्माण भी हटाया: मनोहर कुमावत ने पास ही बने अपने मकान की तीसरी मंजिल का काम भी शुरू कर दिया था तथा छत डालने की तैयारी कर ली थी। शंटिंग कर छत भरने के पटिये लगा दिए गए थे, जिसको आज नगर निगम ने हटा दिया। सारे पटिये और बल्लियां जब्त कर ली। साथ ही दीवारों को भी हटाने दिया गया।
बारी घाट जो पाट दिया गया: स्थानीय लोग बताते हैं कि जहां नगर निगम ने अतिक्रमण हटाया, वहां कभी खूबसूरत घाट हुआ करता था, जो बारी घाट के नाम से जाना जाता है। कई सालों से यहां अतिक्रमण कर इस घाट पर जाने वाले सारे दरवाजे पाट दिए गए हैं। नगर के निकायों ने और जिला प्रशासन ने कभी इन घाटों को मुक्त करवाने के लिए ध्यान ही नहीं दिया और धीरे-धीरे पूरे घाट पर अतिक्रमण होता गया।

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गर्मी का पारा ४३ पार

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पिघलने लगा सड़कों का डमर
उदयपुर। गर्मी अपने पूरे शबाब पर है। दिन और रात के बढ़ते तापमान ने जन जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। दिन में तो तापमान 43 डिग्री तक पहुंच गया। धूप इतनी तेज है कि थोड़ी ही देर में त्वचा झुलसने लग जाती है। रात के तापमान में भी बढ़ोतरी होने से अब रातों को भी गर्मी ने बेहाल कर रखा है। इधर, अस्पतालों में लू लगने से बीमार रोगियों की संख्या दिन ब दिन बढ़ रही है। मौसम विभाग के अनुसार आज का अधिकतम तापमान 43 डिग्री के ऊपर रहने की संभावना है। कल का अधिकतम तापमान 42.8 डिग्री था, जबकि न्यूनतम पिछले दिनों की अपेक्षा चार डिग्री बढ़कर 28 डिग्री पर पहुंच गया। रातें इस वजह से अधिक गर्म रहने लगी है। चेतक चौराहे पर हिन्दुस्तान जिंक की तरÈ से लगाए गए तापमान मीटर का पैमाना मानें, तो कल दिन का तापमान 44 डिग्री तक पहुंच गया था। आज का तापमान भी अधिकतम अभी तक 43 डिग्री से ऊपर पहुंच गया है। हालांकि गर्मी का प्रकोप देखते हुए माना जा सकता है कि दिन में अधिकतम तापमान जरूर 44 के आसपास रहता होगा। धूप की तेजी ने दिन में तो घर-ऑÈिस से बाहर निकालना दुर्भर कर रखा है।

अपनी गाड़ी सेफ़ रहनी चाहिए !

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उदयपुर। चित्र देखकर लग रहा होगा कि ये किसी पार्किंग स्थल का नजारा है, लेकिन ऐसा नहीं है। ये है संभाग के सबसे बड़े महाराणा भूपाल चिकित्सालय के कार्डियोलोजी अस्पताल का नजारा। जहां हॉल में रात्रि के समय पुलिस वालें ने अपने वाहन खड़े कर देते है ताकि कम से कम उनकी गाडिय़ा तो सेÈ रहे, बाकी जाए भाड़ में। (लाल गोले में वाहनों पर लगे पुलिस चिह्न)। इस हॉल का उपयोग अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजन रात्रि विश्राम के लिए करते है। कमोबेश इसी तरह के हालात पूरे अस्पताल परिसर के है, जहां रात्रि के समय अंदर गाडियां पार्क कर दी जाती है।
Èोटो : भावेश जाट

राजस्थान बोर्ड 12वीं कला का परिणाम जारी, भूमिका शर्मा रही टॉपर

bser635022-05-2014-03-52-99Nकॉमर्स और साइंस वर्ग का परिणाम जारी करने के बाद राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने गुरूवार शाम 5 बजे कला(आर्टस) वर्ग का रिजल्ट जारी कर दिया। रिजल्ट में एक बार फिर छात्राओं ने बाजी मारी। परीक्षा परिणाम 82.08 फीसदी रहा।

बारां जिले कीभूमिका शर्मा ने परीक्षा में टॉप किया। चूरू जिले की चयनिका शर्मा और जोधपुर के मनीष परमार दूसरे पायदान पर रहे। टॉप-10 के 19 विद्याथियों में से 16 छात्राएं रही, जबकि केवल 3 छात्र ही इस सूची में अपनी जगह बना पाए। मेरिट लिस्ट में एक बार फिर निजी स्कूलों का दबदबा रहा। सरकारी स्कल के केवल 2 छात्र ही मेरिट में अपनी जगह बना पाए।

आर्टस वर्ग में इस साल 4 लाख 54 हजार 612 छात्रों ने परीक्षा दी थी। परिणाम बोर्ड की वेबसाइट के साथ ही रिजल्टस डॉट पत्रिका डॉट कॉम, पत्रिका डॉट कॉम, राजस्थान पत्रिका डॉट कॉम पर देखा जा सकता है। परिणाम देखने के लिए रोल नंबर डालने होंगे। परिणाम प्रदेश के शिक्षामंत्री कालीचरण सराफ ने जारी किया।

इससे पहले साइंस और कॉमर्स का परिणाम एक साथ 8 मई को जारी किया गया था। साइंस का रिजल्ट 80.4 प्रतिशत जबकि कॉमर्स का 90.36 प्रतिशत रहा था।

मेरिट लिस्ट
नाम – प्रतिशत – रैंक
भूमिका शर्मा – 95 – 1
चयनिका शर्मा – 93.60 – 2
मनीष परमार – 93.60 – 2
माया मीना – 93.40 – 3
पृथ्वीराज सिंह मीणा – 93.40 – 3
सागरिका – 93 – 4
निशा यादव – 92.60 – 5
मंजू कुमारी सुथार – 92.40 – 6
शिल्पा मीणा – 92.40 – 6
आशिका माहेश्वरी – 92 – 7
कविता मीणा – 92 – 7
दीक्षा महला – 92 – 7
लच्छो शर्मा – 91.80 – 8
करिश्मा चौधरी – 91.80 – 8
कपिल पाराशर – 91.60 – 9
विजेता – 91.60 – 9
रूकसार- 91.60 – 9
गरिमा जांगिड़ – 91.60 – 9
शिवानी खंडेलवाल – 91.40 – 10