पुलिस ने भी किया गलत सत्यापन

पुलिस मिलीभगत से हुआ यह खेल

उदयपरु, । पासपोर्ट बनवाने के लिए एक ओर जहां आमजन लोहे के चने चबाने प$डतेे हैं वहीं पुलिस की मेहरबानी हो तो आपराधिक रिकार्ड वालों को भी तुरंत पासपोर्ट मिलजाता हैं। ऐसा ही एक मामला हाल ही उजागर हुआ है। पुलिस मामले को दबाने के लिए आरोपी का पासपार्ट अपने कब्जे ले कर स्वयं की पीठ थपथपा रही हैं।

प्रकरण के अनुसार शहर के थाना घण्टाघर क्षैत्र के पाला गणेश जी स्थान निवासी हरीश पालीवाल पुत्र मांगी लाल पालीवाल ने अपना पुराना पासपोर्ट नम्बर ए-९६५०१३८ के नवीनीकरण के लिए फाईल नम्बर जे.पी.आर.डब्ल्यु-३१२१२९-११ के तहत दिनांक०३.०५.२०११ को उदयपुर में आवेदन किया। उक्त आवेदन के आधार पर पुलिस द्वारा किए गए चरित्र सत्यापन रिपोर्ट के बाद उसे पासपोर्ट कार्यालय जयपुर द्वारा पासपोर्ट नम्बर जे-१५६४४१३ जारी कर दिया गया।

उक्त पूरे प्रकरण में जहां आवेदक हरीश पालीवाल ने आवेदन में गलत जानकारी दे कर अपराध किया वहीं दूसरी ओर पुलिस ने भी आवेदक से रसुकात निभाते हुए उसे सद् चरित्र का प्रमाण प्रमाण पत्र दे दिया,जबकि उक्त अवधि में पालीवाल के विरूद्घ शहर के घण्टाघर थाना में ही प्रकरण संख्या २१/०९ में आई.पी.सी. की धारा ३४१-३२३तथा ३५४ के अन्तर्गत चालान होने के बाद वर्तमान में भी उदयपुर न्यायालय में मामला लम्बित हैं। यह ही नहीं उक्त आरोपी के विरूद्घ सत्यापन के दौरान भी हिरणमंगरी थाना में प्रकरण संख्या १२२/११ में आई.पी.सी. की धारा ४२०-४६८ एवं ४७१ के तहत मुकदमा दर्ज हैं। इसके अतिरिक्त महिला थाना में भी प्रकरण संख्यां ४७/११ आई.पी.सी. धारा ४०६-ए तथा ४९८ के तहत मुकदमा दर्ज हैं।

इस मामले में गौरतलब है कि पालीवाल ने तो पासपोर्ट कार्यालय को आवेदन पत्र के कॉलम १७(बी)व (सी) में गलत सूचना दे कर अपराध किया ही वहीं पुलिस ने स्वयं के थाना क्षैत्र मेें प्रकरण दर्ज होने के उपरांत भी उक्त आरोपी को चरित्रवान बता कर पासपोर्ट कार्यालय को मिथ्या रिपोर्ट भेज दी।

उक्त पूरे प्रकरण में पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही।पुलिस जहां आम आदमी की ऐसे मामलो में सत्यापन रिपोर्ट दो-दो सप्ताह दबाए रखती हैं वहीं इस व्यक्ति की रिपोर्ठ को भेजने में जल्दबाजी दिखाई। जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय के निर्देश पर थाना घण्टाघर पर तैनात तत्कालीन बीट प्रभारी अनीस मोहम्मद ने जांच कार्यवाही को अंजाम दिया,जिसकी हेडमोहर्रीर मदन वर्मा ने आंख बंद कर तस्दीक कर दी तथा तत्कालीन थानाधिकारी बंशी लाल ने बिना समय गंवाए अपना ठप्पा लगाते हुए जावक क्रमांक डी-१६३२ के तहत ३१.०५.२०११ को जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय को रिपोर्ट प्रेषित कर दी। इधर एस.पी. कार्यालय से भी बिना समय गंवाए क्रमांक संख्यां प०९(३४४८)उदय/जि.वि.शा.।१०-११/४२५५ के तहत दूसरे ही दिन अर्थात ०१.०६.२०११ को ही पासपोर्ट कार्यालय,जयपुर भिजवा दिया गया।

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार यह सत्यापन रिपोर्ट उस पुलिस कर्मी ने अपने हाथों से जावक रजिस्टर में दर्ज कर पासपोर्ट कार्यालय,जयपुर भेजा उसकी ड्युटी उक्त दिनांक को एस.पी. कार्यालय में ही नहीं थी।ऐसी क्या विवशता थी कि उक्त पुलिस कर्मी ने अत्याधिक तत्परता दिखाते हुए नियमों के विपरित कार्य किया। इसकी जांच करानी चाहिए।

प्रकरण के संबंध में हास्यास्पद् बात तो यह है कि इस पासपोर्ट आवेदन के छह माह बाद ही आरोपी ने हथियार का लाइसेंस लेने आवेदन किया तो पुलिस सत्यापन रिपोर्ट मे उसी घण्टाघर थाने पालीवाल के विरूद्घ वर्ष २००९ से लम्बित मुकदमे का उल्लेख कर आपराधिक रिकार्ड की सूचना दी। इस प्रकार एक ही थाना क्षैत्र से एक ही व्यक्ति की पासपोर्ट तथा हथियार लाइसेंस आवेदन की विरोधाभासी सत्यापन रिपोर्ट स्पषत:पुलिस की मिलीभगत की ओर ईशारा करती है।

देश की सुरक्षा व्यवस्था से जु$डा यह संवेदनश्ील मामला उजागर होने पर गत १४ जून २०१२ को सी.आई.डी.(क्राइम ब्रांच) ने उदयपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक तथा उदयपुर जिला पुलिस अधीक्षक को इस संबंध में रिपोर्ट की। इसी क्रम में खुफिया विभाग ने भी एस.पी. उदयपुर तथा जयपुर मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी।

इधर पासपोर्ट कार्यालय की सूचना पर जिला पुलिस अधीक्षक ने थानाधिकारी घण्टाघर को जांच के आदेश दिए। दूसरी ओर इस संवेदनशील मामले की जानकारी मिलने पर इसे गंभीरता से लेते हुए केन्द्रीय एवं राज्य गृह सचिवालय ने भी जांच के आदेश जारी किए वहीं चीफ पासपोर्ट अधिकारी,दिल्ली ने भी मामले की रिपोर्ट तलब की। इस पर पासपोर्ट अधिकारी जयपुर ने पुलिस अधीक्षक,उदयपुर द्वारा पूर्व में भेजी गई सत्यापन रिपोर्ट एवं दस्तावेजों की प्रतियां पुलिस अधीक्षक उदयपुर को भेज कर कार्यवाही करन को कहा। इसके बाद पुलिस अधीक्षक ने जांच घण्टाघर थानाधिरी से वापस ले कर पुलिस उप अधीक्षक(पूर्व)अनन्त कुमार को सौंप दी।

इतनी कार्रवाई और दबाव को देखते हुए भी पुलिस आरोपी से मामले की पूछताछ भी न कर सकी जब कि दिखावे के लिए आरोपी को हिरासत में लेने के लिए पुलिस के चार जवानों को उसकी निगरानी के लिए तैनात किया गया।

पूरे प्रकरण में पुलिस की आरोपी से संलिप्तता उजागर हो जाने के उपरांत भी पुलिस ने इस मामले को हल्के में लिया तथा एक साधारण कार्रवाई की तरह गत २ जुलाई,२०१२ को घण्टाघर थाने का एक सहायक निरीक्षक पालीवाल के घर जा कर उसका पासपोर्ट अपने कब्जे में ले कर कार्रवाई का समापन कर दिया। इस प्रकरण में यह जानते हुए भी कि यह एक संवेदनशील मामला है,पुलिस की उदासीनता उसकी कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाती हैं।

अपराधों का सिलसिला जारी: पासपोर्ट जारी होने के बाद भी आरोपी के द्वारा वारदातों का सिलसिला जारी रहा जिसके तहत थाना गोवर्धन विलास में प्रकरण संख्या ६३/१२ के तहत न्यायालय में चालान हो चुका है तथा वर्तमान में शहर के सूरजपोल थाना में आई.टी.एक्ट के तहत प्रकरण संख्या ७३/१३ में मुकदमा दर्ज है।

यह है मामले के मुख्य दोषी: आरोपी हरीश पालीवाल इस मामले में मुख्यत:मिथ्या जानकारी देने का दोषी है। दूसरी ओर सत्यापन रिपोर्ट देने वाले थानाधिकारी सहित तीनों पुलिस कर्मी भी इस मामले में दोषी हैं जिनके विरूद्घ विभाग को कार्यवाही करनी चाहिए।

यह है प्रावधान: ऐसे मामलों में पासपोर्ट एक्ट १९६७ के अन्तर्गत आई.पी.सी. की धारा ४२० तथा ४७१ में प्रकरण दर्ज हो कर दो वर्ष का कारावास एवं ५० हजार रूप्ये तक जुर्माना का प्रावधान हैं।

पूर्व में इस प्रकार के प्रकरण में यह हुआ था: अक्टूबर २००९ में सी.आई.डी जोन उदयपुर की रिपोर्ट पर तत्कालीन पुलिस अधीक्षक संजीव नार्जरी ने आरोपी राजेश खरा$डी पिता नरेन्द्र खरा$डी निवासी खैरवा$डा के विरूद्घ पासपोर्ट आवेदन मे गलत जानकारी देने पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे। इस प्रकरण में गलत तथ्यों के आधार पर पासपोर्ट हथियाकर भी आरोपी कानून की पक$ड से दूर खुला घूम रहा है और पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर रही है।

इनका कहना है:

आरोपी का पासपोर्ट जप्त कर लिया गया है। अब जो भी कानून के अनुसार कार्यवाही होगी उसके विरूद्घ की जायेगी।

– हरिप्रसाद शर्मा

जिला पुलिस अधीक्षक

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