pasina296907-06-2014-10-12-99Nगर्मी में आमतौर पर पसीना निकलना एक आम समस्या है, कई लोगों को बहुत ज्यादा गर्मी लगती है और वे पसीने से तर-बतर हो जाते हैं। कुछ लोगों के पसीने में बहुत ही तीक्ष्ण और गंदी दुर्गध आती है। इस पसीने के कारण आपके कपड़ों से दुगंüध भी आने लगती है।

इससे बचाव के क्या तरीके हो सकते हैं, आईये जानते हैं।

पसीना शरीर की बदबू के लिए सबसे बड़ा कारण है। दरअसल शरीर के तापमान में संतुलन बनाये रखने के लिए शरीर से पसीना निकलता है। पसीने के लिए कई चीजे जिम्मेदार हैं, जिनमें एक बैक्टीरिया भी है। बैक्टीरिया एपोक्राइन ग्रंथि के उत्सर्जन से पनपते हैं और उसकी गतिविधि के आधार पर ही बढ़ते हैं। ये एमीनो एसिड का निर्माण करते हैं, जिसका परिणाम बदबूदार गंध होती है।

कैसे बचे शरीर की दुर्गंध से

शरीर की साफ-सफाई पर विषेश ध्यान दें, अपनी बाडी के अंडरआर्मस और उन जगहों को स्वच्छ रख कर आप पसीने की बदबू से बच सकते हैं, जहां से सबसे ज्यादा पसीना निकलता है। । रोज अपने शरीर को पानी और साबुन से साफ करें। व्यायाम करने के बाद जरूर नहाएं, ताकि कीटाणुओं से भी बचे रह सकें।

गर्मीयों में हे सके तो सूती कपड़े पहनें ये कपड़े पसीने के सोखते हैं। रेशमी कपड़ों में पसीना नहीं सूख पाता और बदबू आती है । इस बात का ध्यान भी रखें कि आप के अंडरगार्मेट भी सूती व मुलायम हों, और आप के साईज से ज्यादा टाईट न हों,

गर्मी के मौसम में अधिक मसालेदार न खायें लहसुन, करी या अन्य मसाले आपके पसीने की गंध को बढ़ा सकते हैं, इसलिए बेहतर खुशबू के लिए इन आहारों से बचिए। तरल पदार्थो के सेवन ज्यादा मात्रा में करें।

गर्मी में पसीने से बचने के लिए शेव करना न भूलें, शरीर में बाल अधिक होने से भी बदबू बढ़ती है, क्योंकि ये बैक्टीरिया को पनपने में मदद करते हैं। अगर आप रोज बालों को साफ नहीं करेंगे तो आपको रोज बदबू से दो-चार होना पड़ेगा। शरीर के अंडरआर्मस और अन्य भागों के अनचाहे बालों को रिमूव कर दें। साफ-धुले हुए अंडरगार्मेट्स पहने, अंडरगार्मेट्स को धूप में सुखा कर पहने,

पसीने की दुगंüध से बचने के लिए डिऑड्रेंट का प्रयोग करें। इससे पसीने के लिए जिम्मेदार जीवाणु पनपते नहीं हैं। यह पूरी तरह से सुरक्षित भी होता है।

पसीने को कम करने के बारे में सोचें। बोटुलिनम टॉक्सिन एक उपचार है, जो सुरक्षित भी है। इसके तहत व्यक्ति की बांह में बोटुलिनम टॉक्सिन के कुछ इंजेक्शन दिये जाते हैं। यह टॉक्सिन दिमाग से पसीने की ग्रंथियों के संपर्क को तोड़ देता है, जिस कारण पसीना अधिक नहीं आता। एक बार उपचार के बाद यह 2 से 8 महीने तक काम करता है।

Previous articleगुजरात में शादीशुदा महिला से आठ लोगों ने किया गैंगरेप
Next articleमरीजों की जान से खिलवाड़ कर रही हैं बेअसर दवाएं
Contributer & Co-Editor at UdaipurPost.com

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here