उदयपुर में बेकाबू स्वाइन फ्लू – एमबी हॉस्पिटल के जिम्मेदार पल्ला झाड़ रहे है।

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उदयपुर। बेकाबू स्वाइन फ्लू और जिम्मेदारों की चुप्पी महाराणा भूपाल चिकित्सालय के स्वाइन फ्लू वार्ड की कुछ अनोखी कहानी ही कह रही है। स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या हर रोज़ बढ़ रही है, वार्ड में मौत का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है । सोमवार को भी दो मरीज भर्ती किये गए छह मरीजों की हालत गंभीर है जब कि नो मरीज वेंटिलेटर पर है और २८ अन्य मरीज वार्ड में भर्ती है। इधर प्रशासन ने भी अलर्ट जारी कर दिया है।
स्वाइन फ्लू बेकाबू हो गया है और बिमारी से ज्यादा बेकाबू महाराणा भूपाल चिकित्सालय वार्ड के हालात है। प्रशासन की पूरी मुस्तेदी चिकित्सा विभाग की सतर्कता के बावजूद भी महाराणा भूपाल चिकित्सालय के जिम्मेदार अधीक्षक और वार्ड इंचार्ज अपनी जिम्मेदारियों से बचते फिर रहे है। १० बेड के वेंटिलेटर वार्ड में ९ मरीज वेंटिलेटर पर है जिसमे ६ मरीज अपनी जिंदगी और मौत के बिच झूल रहे है जिनकी आखरी साँसे अटकी हुई है। इसके अलावा स्वाइन फ्लू वार्ड ,में कुछ ३० मरीज भर्ती है। बेपरवाह अस्पताल प्रशासन की वजह से कई अक्सर जनरल वार्ड में भर्ती मरीज वेंटिलेटर पर पहुच रहे है। अस्पताल प्रशासन को जिला कलेक्टर ने स्वाइन फ्लू वार्ड को ५० बेड तक बढाने के आदेश दिए है लेकिन इसके बावजूद भी अभी तक बेड की संख्या नहीं बड़ाई गयी है। इधर जब महाराणा भूपाल चिकित्सालय अधीक्षक विनय जोशी व् वार्ड इंचार्ज ओपी मीणा से वार्ड की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी जाती है तो कॉल कट कर दिया जाता है। सूत्रों की माने तो स्वाइन फ्लू वार्ड की अव्यवस्था धीरे धीरे स्वाइन फ्लू रोगियों के लिए मौत का वार्ड बनता जा रहा है।
डिप्टी सीएमएचओ डॉ. राघवेन्द्र रॉय ने बताया की सोमवार को दो स्वाइन के मरीजो पोजेटिव पाया गया केशव नगर निवासी ३५ वर्षीय महिला एवं स्वामी नगर निवासी ६१ वर्षीय व्राद्ध जिन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया व् उस क्षेत्र में स्क्रीनिंग के लिए मेडिकल टीमें भेजी गयी।
अतिरिक्त जिला कलक्टर (शहर) सुभाष चन्द्र शर्मा ने कहा कि स्वाइन फ्लू के प्रभावी नियंत्रण के मद्देनजर चिकित्सा विभाग विशेष सतर्कता बरतें। शर्मा सोमवार को मौसमी बीमारी नियंत्रण को लेकर चिकित्सा, शिक्षा, जलदाय, विद्युत एवं संबंधित विभागों के अधिकारियों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्वाइन फ्लू रोगी की तत्काल पहचान को लेकर जागरूकता लाने पर जोर दिया जाए। संभावित रोगियों को तुरंत उचित इलाज मुहैया कराने के साथ ही संक्रमण के बचाव पर विशेष ध्यान दें, जांच व दवा वितरण की पुख्ता व्यवस्था हो।
एडीएम ने विद्यालयों व जन सरोकार वाले विभागों के जरिए आईईसी सामग्री वितरण से जनजागरूकता लाने व शिक्षकों के माध्यम से अभिभावकों को भी जागरूक करने पर जोर दिया गया।उन्होंने मौसमी बीमारियों के नियंत्रण को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजीव टांक से विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने पेयजल क्लोरीनेशन, विद्यालयों में प्रार्थना सभाओं में विद्यार्थियों को जानकारी देने आदि पर जोर दिया।

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