उदयपुर पोस्ट। SC-ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में आज कई दलित संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया है. भारत बंद को कई राजनीतिक पार्टियों और कई संगठनों ने समर्थन भी दिया है. संगठनों की मांग है कि अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 में संशोधन को वापस लेकर एक्ट को पहले की तरह लागू किया जाए. दलित संगठनों के विरोध का असर राजस्थान में खासा देखने को मिला कई जगह हिंसक प्रदर्शन भी किये गए।
उदयपुर शहर में भी आज सुबह से ही दलित संगठनों ने बंद के विरोध में रेलिया निकाल प्रदर्शन किया। कोर्ट चौराहे से निकाली गयी रैली चेतक हाथीपोल अश्विनी बाज़ार बापू बाज़ार सूरजपोल होते हुए देहली गेट पहुची जहाँ काफी देर तक प्रदर्शन किया।

भारत बंद के दौरान राजस्थान के कई जगहों पर हालात बेकाबू हो गए। खासतौर से बाड़मेर और राजधानीजयपुर से प्रदर्शनकारियों के उपद्रव ने पुलिस के पसीने छुड़ा दिए। सडकों से लेकर रेलवे ट्रेक तक विरोध प्रदर्शन का सिलसिला सुबह से दोपहर तक बदस्तूर जारी रहा। लेकिन इस बीच केंद्र सरकार ने भी अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) अत्याचार निवारण अधिनियम से संबंधित उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश की समीक्षा के लिए पुनर्विचार याचिका दायर कर दी।सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय के माध्यम से सरकार ने इस मामले में याचिका दायर करके शीर्ष अदालत से अपने गत 20 मार्च के आदेश पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया है। सरकार का मानना है कि एससी और एसटी के खिलाफ कथित अत्याचार के मामलों में स्वत: गिरफ्तारी और मुकदमे के पंजीकरण पर प्रतिबंध के शीर्ष अदालत के आदेश से 1989 का यह कानून ‘दंतविहीन’ हो जायेगा।
मंत्रालय की यह भी दलील है कि सर्वोच्च न्यायालय के हालिया आदेश से लोगों में संबंधित कानून का भय कम होगा और एससी/एसटी समुदाय के व्यक्तियों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी होगी। उच्चतम न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में व्यवस्था दी है कि एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत दर्ज मामलों में बगैर उच्चाधिकारी की अनुमति के अधिकारियों की गिरफ्तारी नहीं होगी।

– केन्‍द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि हम समझते हैं कि लोग प्रदर्शन क्‍यों कर रहे हैं पर विपक्ष इस पर राजनीति क्‍यों कर रहा है? उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस ने डॉ. भीम राव अंबेडकर को कभी भारत रत्‍न नहीं दिया लेकिन अब उनके अनुयायियों की तरह दिखा रहे हैं.
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. मैं सभी राजनीतिक दलों और संगठनों से अपील करता हूं कि वह शांति बनाएं रखें और किसी तरह की हिंसा ना करें.

– दलितों के प्रदर्शन को लेकर कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया है. राहुल ने कहा है कि दलितों को भारतीय समाज के सबसे निचले पायदान पर रखना आरएसएस /बीजेपी के डीएनए में है, जो इस सोच को चुनौती देता है उसे वे हिंसा से दबाते हैं. उन्‍होंने कहा कि हजारों दलित भाई-बहन आज सड़कों पर उतरकर मोदी सरकार से अपने अधिकारों की रक्षा की मांग कर रहे हैं. हम उनको सलाम करते हैं.

भारत बंद को लेकर हो रही हिंसा पर यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने लोगों से अपील की है कि कानून व्‍यवस्‍था को ना बिगाड़े. उन्‍होंने कहा कि अगर किसी को कोई दिक्‍कत है तो सरकार के संज्ञान में लाए.

– मेरठ में प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया. मेरठ में प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए थे और कारों में आग लगा दी थी जबकि शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने की बात कही गई थी.

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