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उदयपुर | उदयपुर संभाग में सरकार आपके द्वार आकर चली गयी लेकिन सरकार कि मुखिया से उसी की पार्टी के लोग नाराज़ हो चले है और उनमे खुद को उपेक्षित रखने का आक्रोश भी है | सरकार दस दिन यहां रही लेकिन मुख्यमंत्री एक भी दिन समय निकाल कर अपने ही पाट्री के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से नहीं मिली इस बात का भाजपा के शहर के पदाधिकारियों और उनके साथ काम करने वाले आम कार्यकर्ताओं में भारी रोष है|
मुख्य मंत्री के जाने के बाद मुख्यमंत्री द्वारा पार्टी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से नहीं मिलना कार्यकर्ताओं में रोष का विषय बनता जा रहा है | पार्टी के पदाधिकारी तो यहां तक कह रहे है कि चुनाव के पहले कार्यकर्ताओं से और हमसे मतलब था तो हमारे बीच में आगयी लेकिन अब कार्यकर्ता तो दूर स्थानीय पदाधिकारियों से एक मीटिंग तक रखना मेडम को गवारा ना हुआ | शहर के एक बड़े पदाधिकारी ने तो मुख्य मंत्री के सरकार आपके द्वार दौरे पर ही सवालिया निशान लगा दिया और कहा कि महलों में रहने की आदि महारानी को समझना चाहिए कि मीडिया को दिखाते हुए एक टुकड़ा रोटी का चटनी के साथ खा लेने से गरीब का दर्द दूर नहीं होता जो मुख्य मंत्री कार्यकर्ताओं के साथ जाजम पर बैठ कर उनके दुःख दर्द नहीं सुन सकती उनकी जन सुनवाई नहीं कर सकती तो जनता के लिए क्या करेगी | उन्हें सिर्फ लोगों को और मिडिया में दिखाना है इसलिए दस दिन तक नौटंकी की |
कार्यकर्ताओं में इस बात का आक्रोश भी था कि उदयपुर शहर मेवाड़ का और पुरे संभाग का केंद्र है | और कार्यकर्ताओं की बदौलत ही संभाग की सारी सीटें लोकसभा में भाजपा के खाते में आई है | और विधान सभा में भी भारी जीत हुई | आज उन्ही कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को दरकिनार कर दिया गया | एक पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी के खिलाफ नहीं जा सकते वर्ना ऐसे मुख्यमंत्री के नेतृत्व में हमे काम ही नहीं करना है | और इसका परिणाम कही ऐसा नहीं हो आने वाले नगर निगम के चुनाव में देखना पड़ जाय |
मुख्य मंत्री वसुंधरा राजे १४ अगस्त को उदयपुर आई थी और राज्य स्तरीय स्वतन्त्रता समारोह का कार्यक्रम कर १६ से सरकार आपके द्वार के अंतर्गत यही रही | इस बीच एक भी स्थानीय पार्टी के पदाधिकारियों य कार्यकर्ताओं की बैठक नहीं रखी गयी | यही नहीं कई मंडल अध्यक्ष व् अन्य कई पदाधिकारियों के पास तो राज्य स्तरीय स्वतन्त्रता समारोह के कार्ड तक नहीं पहुंचे | जिलाध्यक्ष दिनेश भट्ट भी १५ अगस्त की पूर्व संध्या पर सहेलियों की बाड़ी में होने वाले एट होम कार्यक्रम में कार्ड होते हुए भाग नहीं लिया क्यों कि उनका मानना था कि मेरे किसी पदाधिकारी के पास आमंतण पत्र नहीं है में अकेला कैसे जा सकता हु | सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के पूर्व एक राज्य स्तरीय बैठक रखी गयी वह भी चुंण्डा पैलेस में जहां आम कार्यकर्ताओं या अन्य कोई भी जिले के पदाधिकारियों को जाने की अनुमति नहीं थी | उसके बाद पुरे जिले में दस दिनों तक कोई भी ऐसी बैठक नहीं रखी गयी जिसमे आम कार्यकर्ता या पदाधिकारी मुख्यमंत्री से मुलाक़ात कर सकें | मुख्यमंत्री का महलों में रुकना भी चर्चा का विषय बना रहा | यहाँ जितने दिन रुकी या तो देवी गढ़ पैलेस में या फिर होटल लीला में जहां सिर्फ वीआईपी लोग ही पहुंच सकते है | आखरी दिन २४ अगस्त को शहर जिलाध्यक्ष और देहात जिलाध्यक्ष को जरूर देवीगढ़ में औपचारिक मुलाकात के लिय बुलाया था |

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