उदयपुर। काले कानून पर बेकफूट पर आई राज्य सरकार ने एक ओर फरमान सुनाते हुए फैसला किया है कि भारतीय जनसंघ के संस्थापको में से एक पंडित दीनदयाल उपाध्याय( pandit deendayal upadhyay) को जल्द ही अशोक स्तंभ (ashok stambh) की बराबरी दी जाएगी। सम्राट अशोक महान के बौद्ध धर्म के प्रवर्तन के सूचक चक्र एवं अशोक स्तंभ (ashok stambh) के शीर्ष पर चार शेरों तथा उनके नीचे गाय एवं घोड़े सहित प्रतिमा को संविधान निर्माताओं ने देश का सर्वोच्च प्रतिक माना यही चिन्ह अब तक सरकारी दस्तावेजों को सत्यापित करता आ रहा है। भारत सरकार के इस सर्वोच्च चिन्ह की बराबरी दीनदयाल उपाध्यय के चित्र से करवाने का फरमान एक बार फिर राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की दिमागी हालत उजागर करता है। जल्द ही सरकारी आदेशों, शासकीय पत्रों और लेटर हैड पर अब आपको स्तम्भ या महात्मा गांधी के चित्र के स्थान पर पण्डित दीनदयाल ( pandit deendayal upadhyay) का चित्र दिखेगा। मुख्य मंत्री राजे के कार्यालय में बनी योजना के तहत हर सरकारी विभाग, संस्थान, निकाय और प्राधिकरणों से लेकर अन्य सहयोगी संस्थाओं को यह आदेश जारी किए जाएंगे। आगामी 13 दिसम्बर को राज्य सरकार को चार साल पूरे होने जा रहे हैं और यह आदेश उसी तारिख से मान्य भी माने जाएगा। सरकारी पत्र पर पण्डित दीनदयाल उपाध्याय का पासपोर्ट साईज फोटो युक्त गोल लोगो लगाना होगा और यह भी भगवा रंग का होगा। आपको बता दे कि भामाशाह कार्ड में भी मुख्य मंत्री की तस्वीर का विपक्ष ने विरोध किया था। लेकिन इस बार तो सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने अपनी मनमर्जी के चलते भाजपा नेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय को सम्राट अशोक महान के समकक्ष बिठा दिया। गोया की दीनदयाल उपाध्याय सम्राट अशोक की बराबरी रखते हो, इस आदेश के बाद विपक्ष और राजनीतिक हल्के में सरकार का विरोध भी शुरू हो गया है। क्योंकि सभी का मानना है कि जनसंघ से जुड़े पंडित उपाध्याय का फोटो सरकारी पत्रों में लगाना प्रदेश को भगवामयी करने के अलावा कुछ भी नहीं है, जो तर्क संगत भी नहीं है। यह कार्य राश्ट्रपिता की बराबरी रखने का प्रयास मात्र है।

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