जेलों के कैमरे हुए अंधे

Date:

images (7)उदयपुर। प्रदेशभर की जेलों में अपराधियों पर नजर रखने के लिए लगाए गए कैमरे नाकारा हो चुके हैं। जेलों में मोबाइल फोन मिलने के मामले में जेल प्रशासन ने माना है कि उदयपुर सेंट्रल जेल सहित जयपुर, जोधपुर, अजमेर, कोटा व बीकानेर की जेलों में लगे सीसीटीवी कैमरे पुरानी तकनीक हैं और अब वे कचरा बन चुके हैं। पूर्व में इन कैमरों को सुधारने के कई प्रयास किए, लेकिन कैमरों को सुधारने के भी प्रयास असफल रहे हैं। उदयपुर की सेंट्रल जेल के भी सीसीटीवी कैमरे पुरानी तकनीक के ब्लैक एंड व्हाइट है, जो नाकारा है।
हाईकोर्ट ने दिए थे आदेश: हाईकोर्ट ने जेलों में बंदियों के पास मोबाइल मिलने पर लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान मामले में सुनवाई करते हुए जेल प्रशासन को 16 अगस्त, 2013 के आदेश से निर्देश दिया था कि वे जेलों में सुधार व्यवस्था के संबंध में की गई कार्रवाई व सुझाव की रिपोर्ट पेश करें। इस पर कल जयपुर जेल प्रशासन ने रिपोर्ट पेश की। इस मामले में अदालत ने न्याय मित्र को कहा है कि वे भी दो सप्ताह में अपने सुझाव अदालत को बताएं। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने बंदियों के पास जेलों में मोबाइल फोन मिलने और जेल से अपराध को अंजाम देने की वारदातों को गंभीरता से लेते हुए 28 फरवरी, 2012 को स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए प्रदेश की सभी जेलों की तलाशी लेने का निर्देश भी दिया था और सरकार व जेल प्रशासन को कहा था कि वे सुनिश्चित करें कि जेलों में बंदियों के पास मोबाइल फोन व इलेक्ट्रोनिक उपकरण न मिलें।
जेल प्रशासन की रिपोर्ट: सेंट्रल जेल जयपुर के उपाधीक्षक प्रमोद शर्मा ने अदालती आदेश के पालन में हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश कर यह जानकारी दी कि उदयपुर, जयपुर, जोधपुर, अजमेर, कोटा व बीकानेर की जेलों के कैमरे पुरानी तकनीक है, जिनको बार-बार दुरुस्त करवाना पड़ता है। इसकी रिपेयरिंग में भी काफी खर्च आता है। साथ ही जेल प्रशासन ने रिपोर्ट में कहा कि जेलों में मोबाइल रखना, उपयोग करना व उसकी सप्लाई करने को गैर जमानती अपराध माना जाए और अपराध के लिए मोबाइल का उपयोग करना भी दंडनीय बनाया जाए। जेलों में वार्डर, हैड वार्डर कैडर के पदों पर नियुक्ति हो। जेलों में तैनात स्टाफ की ड्यूटियों को समय-समय पर बदला जाए।
प्रदेश की जेलों में ये उपकरण जरूरी: रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि प्रदेश की सभी जेलों में सीसीटीवी कैमरे, सेलुलर जैमर्स, इलेक्ट्रोनिक डोर मेटल डिटेक्टर, हैंड मेटल डिटेक्टर, बायोमेट्रिक्स एसेसे कंट्रोल सिस्टम, बॉडी स्कैनर एंड बैग स्कैनर, डीप सर्च मेटल डिटेक्टर, एक्सरे मशीन व टेलीफोन बूथ जरूरी है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जो जेल शहर व कस्बे के बीच में हों, उन्हें आबादी से दूर स्थापित किया जाए और आला अफसरों द्वारा जेल स्टॉफ की तलाशी ली जाए। साथ ही डीजी जेल द्वारा आकस्मिक निरीक्षण किया जाए।
:जयपुर जेल प्रशासन ने अदालत में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में क्या कहा मुझे इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन यह बिलकुल सही है कि उदयपुर की जेल में लगे सीसीटीवी कैमरे काफी पुरानी तकनीक के ब्लैक एंड व्हाइट है, जिन्हें बार-बार दुरुस्त करवाना पड़ता है और फिर खराब हो जाते हैं। जेलों में उच्च तकनीक की सुरक्षा की भी आवश्यकता है।
-कैलाश त्रिवेदी, जेल अधीक्षक

Shabana Pathan
Shabana Pathanhttp://www.udaipurpost.com
Contributer & Co-Editor at UdaipurPost.com

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

1win казино и БК.568 (3)

1win — казино и БК ...

1win казино и БК.568 (3)

1win — казино и БК ...

Bookmakers hors ARJEL en France fonctionnement.239

Bookmakers hors ARJEL en France - fonctionnement ...

Glory Casino Login.763

Glory Casino Login ...