पोस्ट न्यूज़। हज यात्रा पर जाने वालों को मिलने वाली सब्सिडी अब नहीं मिलेगी। केंद्र सरकार ने हज यात्रा पर मिलने वाली सब्सिडी पूरी तरह खत्म कर दी है। सरकार के इस फैसले का मुस्लिम समुदाय ने खुले दिल से स्वागत किया है। मुसलमानों का मानना था कि यह सब्सिडी सिर्फ एक दिखावा थी असल में सब्सिडी के नाम पर एयर्लाइन्स को फ़ायदा पहुचाया जारहा था।
सरकार का ये कहना है कि ये फ़ैसला अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण किए बगैर उनके सशक्तीकरण के एजेंडे के तहत लिया गया है। अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने मंगलवार को हज सब्सिडी ख़त्म करने के सरकार के फ़ैसले की पुष्टि की। मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा, आज़ादी के बाद पहली बार 1.75 लाख मुसलमान बिना सब्सिडी के हज करेंगे. पिछले साल 1.25 लाख लोग हज गए थे. उन्होंने कहा कि सब्सिडी हटाने के फ़ैसले से सरकार के 700 करोड़ रुपये बचेंगे और ये पैसा अल्पसंख्यक की शिक्षा ख़ासकर लड़कियों की तालीम पर खर्च किया जाएगा.

सब्सिडी ख़त्म करने का मुस्लिमों ने किया स्वागत कहा यह सिर्फ लोलीपोप की तरफ थी।
हज सब्सिडी ख़त्म करने को लेकर मुस्लिम समुदाय ने स्वागत करते हुए कहा कि यह एक अच्छा फैसला था क्यूँ कि एक तरह से हज पर जाने वाले यात्रियों से पहले पाबन्द कर एयर्लाइन्स के नाम पर ज्यादा पैसा लिया जाता है और उसके बाद उन्ही पैसों में से मामूली रकम वापस कर उसको सब्सिडी का नाम दिया जाता रहा है। बहुत सारे मुसलमानों का मानना है कि हज सब्सिडी के नाम पर दर असल मुसलमानों को बेवक़ूफ़ बनाया जाता है.उनका कहना है कि हज एक लंबी प्रक्रिया है और सब्सिडी तो सिर्फ़ हवाई यात्रा के किराए में मिलती है. उनके अनुसार इसके नाम पर दरअसल भारत की राष्ट्रीय एयरलाइंस एयरइंडिया को कारोबार दिया जाता है। उनके मुताबिक़ सरकार से मिलने वाली सब्सिडी का फ़ायदा सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया को होता है. अक्सर घाटे में चल रही एयर इंडिया को एक साथ एक लाख से ज़्यादा पैसेंजर मिल जाते हैं. लंबे अर्से से मुसलमानों का एक बड़ा तबक़ा, धार्मिक संस्थाएं और असदउद्दीन ओवैसी जैसे सांसद भी इसे ख़त्म करने की मांग करते रहे हैं. उनकी मांग है कि हज के लिए यात्रियों को अपनी सुविधा के अनुसार जाने की इजाज़त होनी चाहिए.

हज पर जाने का कितना खर्च आता है और कितनी सब्सिडी मिलती है।
हम ज्यादा घुमा कर नहीं और सीधे तौर पर देखें तो सुविधाओं के हिसाब से यात्रियों की तीन केटेगरी होती है और इन केटेगरी के अंतर्गत प्रति हज यात्री से रुपया लिया जाता है जो 2 लाख से २.५ लाख तक होता है। इस 2 या २.50 लाख रूपये में से 35 से 40 हज़ार रुपया वापस सब्सिडी के नाम पर दिया जाता है। अब यहाँ देखने वाली बात यह है कि हज कमिटी से जाने वाले हज यात्रियों को इन्डियन एयर्लाइन्स से ही टिकिट बुक करवाने के लिए प्रतिबंधित किया जाता है। यह एयर्लाइन्स हज के दौरान अपनी टिकिट तीन से चार गुना तक महगी कर देती है। आम दिनों में जहाँ सउदिया अरब के लिए 15 से 20 हज़ार रुपया किराया लगता है वही हज पर जाने वालों से यह एयर्लाइन्स 55000 से 60000 हज़ार रूपये तक वसूला जाता है। और उसमे से ही कुछ रकम सब्सिडी के नाम पर वापस की जाती है जो की असल में हज पर जाने वालों का खुद का ही रुपया है। जबकि इसी दौरान दूसरे यात्रियों से सामान्य किराया लिया जाता है. यानी सरकार सब्सिडी हज यात्रियों को नहीं, बल्कि एयर इंडिया को दे रही थी.”

इस बार हज कमेटी के तहत 1.75 हज़ार यात्री हज पर जा रहे थे जिनको दी जाने वाली सब्सिडी की राशि 700 करोड़ रुपया उसका अगर हिसाम लगाया जाय तो प्रति हाजी 40 हज़ार रुपया बनता है , पिछले साल यह राशि करीब 35 हज़ार रुपया थी।

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