पंचायतीराज विभाग में अफसर-नेताओं पर परिवाद दर्ज करवाना 5 गुना महंगा हो गया है। परिवादी को दस के बजाय 50 रुपए के नॉन ज्यूडिशियल स्टाम्प पेपर पर शपथ पत्र देना होगा। इसके बाद सरपंच, प्रधान या जिला प्रमुख और ग्राम सेवक, बीडीओ या सीईओ के खिलाफ जांच प्रारंभ की जा सकेगी। पंचायतीराज विभाग ने बढ़ाई गई राशि के संबंध में संशोधित आदेश जारी कर दिया गया है। अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं कि जब तक 50 रुपए के स्टाम्प पेपर पर परिवादी का शपथ पत्र नहीं आता। उस परिवाद के बारे में विभागीय स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी। विभाग का कहना है कि झूठी शिकायतों से अफसर, कार्मिक एवं जनप्रतिनिधियों के उत्साह पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा था। इसको देखते हुए यह व्यवस्था चार साल पहले लागू की गई थी।
बिना शपथ पत्र वाली शिकायतों पर अब जांच नहीं करेंगे अधिकारी
गोपनीय शिकायत पर एक तरह से प्रतिबंध
पंचायतीराज विभाग ने यूं तो शिकायत करने वाले को नाम, पता, फोन नंबर के साथ 10 रुपए के नॉन ज्यूडिशियल स्टाम्प पेपर पर शपथ पत्र दिए जाने की अनिवार्यता अगस्त, 2014 में ही लागू कर दी थी। लेकिन, अब 10 रुपए का नॉन ज्यूडिशियल स्टाम्प पेपर उपलब्ध ही नहीं है। इसलिए, इसे बढ़ाकर 50 रुपए कर दिया गया है। पंचायती राज विभाग के संयुक्त सचिव ने यह संशोधित आदेश जारी किए हैं। इसका मतलब साफ है कि किसी के खिलाफ कोई गोपनीय सूचना नहीं दे सकेगा। परिवादी को अपने बारे में पूरा ब्यौरा देना होगा।
सांसद, विधायक एवं सरपंच को फीस से मुक्ति
अफसर, नेता एवं कर्मचारियों के खिलाफ कोई आम आदमी शिकायत दर्ज करवाता है तो उसे अपनी जेब से 50 रुपए खर्च करने होंगे। लेकिन, सरपंच, विधायक या सांसद सहित जनप्रतिनिधियों की ओर से प्राप्त होने वाली शिकायतों पर कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। उनको 50 रुपए के नॉन ज्यूडिशियल शपथ पत्र नहीं देना होगा।

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