मोबाईल ने ली जान

उदयपुर, मोबाईल पर बात करते समय ट्रेन की चपेट में आने से युवती की मृत्यु हो गई।

सूत्रों के अनुसार गुरूवार सवेरे सेवाश्रम रेल्वे ट्रेक १०८ किमी पर मोबाईल पर बात करते समय उदयपुर से अजमेर जाने वाली लोकल ट्रेन की चपेट में आने से मुडी खेरोदा हाल सेवाश्रम चोराया निवासी रजनी (२४) पुत्री बाबूलाल साहू की मृत्यु हो गई। सूचना मिलने पर जीआरपी थाना पुलिस ने मृतका का शव का पोस्ट मार्टम करा शव परिजनों को सुपुर्द किया। पूछताछ में पता चला कि रजनी अपने मामा सेवाश्रम निवासी पुष्कर लाल साहू के पास रह कर आईटीआई कर रही थी। सवेरे वह ट्रेक के किनारे मोबाईल पर बात करते हुए जा रही थी।

 

बजरी नहीं मिली तो भवन निर्माण कार्य संकट में

भवन निर्माण कार्य संकट में

उदयपुर, । बैंकों ने एक ओर ब्याज दरें बढा रखी हैं तो सरकार नित नये करों का प्रावधान कर जनता पर असाधारण महंगाई का बोझ लादती जा रही है। प्रोपर्टी मार्केट में प्रतिदिन जमीनें महंगी हो रही हैं वहीं सरकार प्रतिवर्ष डीएलसी दरें बढा रही हैं। इस पर माननीय उच्च न्यायालय के आदेशानुसार बजरी निकासी पर रोक को लेकर उत्पन्न होने वाली समस्याओं को रोक पाना मुश्किल हो गया है।

ये विचार आज उदयपुर बिल्डर्स एसोसिएशन के संरक्षक श्याम बी. गुप्ता ने पत्रकार वार्ता में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भवन निर्माण का काम ठप हो जाएगा वहीं इस उद्योग में कार्यरत लाखों लोगों पर रोजी-रोटी का संकट हो जाएगा। भवन निर्माता ब्याज के बोझ से लद जाएंगे वहीं समय पर ग्राहकों को भवन, फ्लैट्स उपलब्ध नहीं करवा पाएंगे जिससे उनकी गुडविल पर विपरीत प्रभाव पडेगा। प्रोजेक्ट्स में देरी से अगले प्रोजेक्ट्स में देरी होगी जिसका सीधा असर व्यापार पर पडेगा।

एसोसिएशन के अध्यक्ष लोकेश चौधरी ने कहा कि निर्माण सामग्री की दरों में गत अप्रेल से इस वर्ष मार्च तक में औसतन ३० प्रतिशत की वृद्घि हो चुकी है जो अत्यधिक असहनीय है। इसका सीधा असर फ्लैैट्स की कीमतों पर पडेगा। पूर्व में कम दरों पर बुक किए गए फ्लैट्स पर उन्हें हानि होगी।

मुख्यमंत्री को दिए जाने वाले ज्ञापन में कहा गया कि रेती के कारण भवन निर्माताओं पर भारी ब्याज का बोझ पडेगा। प्रोजेक्ट्स पर कार्यरत कर्मचारी, मजदूर आदि की रोजी-रोटी पर बन आएगी। आपूर्तिकर्ताओं के व्यापार तथा उनके कर्मचारी-मजदूर भी प्रभावित होंगे। केन्द्र व राज्य सरकार के राजस्व पर विपरीत प्रभाव पडेगा।

प्रेम संग पत्नी भागी

उदयपुर, पति ने पत्नी खिलाफ जेवर चुराकर कथित प्रेमी के साथ फरार हो जाने का प्रकरण पुलिस में दर्ज करवाया है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार हिरणमगरी थानान्र्तगत सेक्टर नो निवासी सर्वत्र कुमार पुत्र प्रेमचंद गोतम ने पत्नी निर्मला, मामा कलाव$ड थाना हरियाणा निवासी सतपाल पुत्र किशनलाल भारद्वाज व उसके पुत्र अजय उर्प* बिट्टू के खिलाफ प्रकरण दर्ज करवाया। कि ८ दिसम्बर ०६ को निर्मला के साथ विवाह हुआ था। व्यवसायिक काम से बाहर जाना प$डता था तथा मामा व उसका पुत्र घर आया करता था। गत दिनों घर पर रिश्तेदार अजय को पत्नी के साथ आपत्तिजनक अवस्था में देखने पर पिता पुत्र को घर आने से मना कर दिया था। २१ अक्टूबर ११ को मैं कार्यवश बाहर गया था एवं मेरे माता पिता पुत्र निलेश्वर के लेकर बाजार गये थे। इस दौरान पत्नी पेटी से मां की सोने की चैन, अंगठी, टोकरिया, चांदी के दो जो$डी पायजेब व २० हजार रूपये निकाल कर आरोपियों के साथ प*रार हो गईं सम्पर्क करने पर आरोपियों के मोबाइल बंद मिले।

महासागर मै पाए जाने वाले नन्हे फाईटोप्लैकटन….

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महासागर मै पाए जाने वाले नन्हे फाईटोप्लैकटन पथ्वी की जलवायु पर काफी प्रभाव डालते है और उन्हें समझने से प्रथ्वी के भावी विनाश की कुंजी समझ में आ सकती है !कैनेडा की वैज्ञानिक मरिया मैल्ड़ोनाडो यह रिसर्च कर रही है की कुछ शेत्रो में फाईटोप्लैकटन क्यों पनपते हे और विपरीत हालत वाले शेत्रो में वे केसे जीवित रहते हे यह अक कोशिकीय एल्जी हर साल ४५ अरब टन कार्बनडाइओक्साइड सोखती हे ! इसमें से १६ अरब टन समुन्द्र से लेती हे !वे आधी पुथ्वी की ओक्सीजन जरुरत पूरी करती हे ! इन्हें समझना पथ्वी के भावी स्वास्थ्य को समझने व नियंत्रित करने के लिए बेहद आवश्यक हे ! वैज्ञानिको के अनुसार समुन्द्र में लौह मात्रा कम होने से फाईटोप्लैकटन का विकास भी रुक जायेगा और समुन्द्र की कार्बन की कार्बनडाइओक्साइड सोखने की शमता भी कम हो जाएगी !

कैमरून के हाथी खतरे में

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ये ह्रदय विदारक तस्वीरें अफ़्रीकी राष्ट्र कैमरून मै हाथियों की दुर्दशा दर्शा रही हें ! वर्ल्ड वाईल्ड लाइफ फण्ड फार नेचर के अनुसार यहाँ आधे से ज्यादा हाथी शिकारियों के हाथों मारे जा चुके है क्योंकि यहाँ हाथियों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त सुरक्षाकर्मी नहीं हैं ! जनवरी से लेकर अब तक २०० हाथी अपने दांतों के लिए मारे जा चुके हें !केमरून की सरकार ने शिकारियों पर लगाम लगाने के लिए विशेष सुरक्षा बल भेजे है पर यह कोशिश बहुत छोटी और काफी देर से की गयी है ! केमरून में डब्ल्यू . डब्ल्यू . एफ . की पर्तिनिधि नताशा कोफोवोरोला ने बताया की शिकारियों ने एक सुरक्षाकर्मी को भी मार दिया था सुरक्षाकर्मी की भी मौत हो गयी है ! शिकारी चांड और सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक से पहले ही हाथियों का सफाया कर चुके है !

अब इंटरनेट पर पीएचडी थिसिस ओनलाइन

सुविवि और इनफ्लिबीनेट सेन्‍टर

के बीच हुआ एमओयू

उदयपुर, 10 अप्रेल (का.स.)। मोहनलाल सुखाडिया विश्‍वविद्यालय और इनफ्लिबीनेट सेन्‍टर अहमदाबाद के बीच मंगलवार को विज्ञान महाविद्यालय के विवेकानन्‍द सभागार में आयोजित एक समारोह में एक एमओयू हस्‍ताक्षर किया गया जिसके तहत सुविवि में किए जा रहे रिसर्च को दुनिया भर के शोधार्थी भी ओनलाइन पढ सकेंगे।

समारोह की अध्‍यक्षता विज्ञान महाविद्यालय के अधिष्‍ठाता प्रो महीप भटनागर ने की। डीन पीजी स्‍टडीज प्रो वेणुगोपालन ने इस परियोजना से शोधार्थियों को होने वाले फायदों की जानकारी दी तथा बताया कि यह बेहतर शोध में मददगार सिद्ध होगा। समारोह के मख्‍य वक्‍ता इनफ्लिबीनेट अहमदाबाद के वैज्ञानिक डा मनोज कुमार थे। दोनों पक्षों की ओर से एमओयू पर आपस में हस्‍ताक्षर कर करार किया गया। इस अवसर पर यूनिवर्सिटी सेन्‍ट्रल लाइब्रेरी के प्रभारी प्रो एके गोस्‍वामी तथा डा रामकेश मीणा ने भी विचार व्‍यक्‍त किए।

इनफ्लिबीनेट अहमदाबाद की ओनलाइन कम्‍पनी है जो शोधगंगा नाम से एक परियोजना संचालित करती है जिसके साथ देश भर की 54 यूनिवर्सिटीज एमओयू हस्‍ताक्षर कर चुकी है। शोधगंगा में शामिल होने से सुविवि के पीएचडी शोधार्थियों की थिसिस दुनियाभर में पीएचडी स्‍कालर्स के लिए मार्गदर्शक और संदर्भ सामग्री के तौर पर काम में आ सकेगी। इसी तरह सुविवि के शोधार्थी भी अन्‍य यूनिवर्सिटीज में हो चुकी पीएचडी थिसि‍स का अवलोकन और अध्‍ययन इस शोधगंगा के माध्‍यम से कर पाएंगे। कम्‍पनी की ओर से एक साफ्टवेयर दिया जाएगा जिससे थिसिस की आपस मे नकल को आसानी से पकडा जा सकेगा। इससे मौलिक शोध कार्य अध्‍ययन किए जा सकेंगे तथा उसके कापी करने के खतरे से भी बचाव होगा। यह साफ्टवेयर यह भी सूचना देगा कि किसी शोध कार्य की आपस में नकल तो नही की गई है। यूजीसी की ओर से थिसिस के इस डिजिटल करने की प्रक्रिया और लेब बनाने के लिए इनफ्लिबीनेट के माध्‍यम से अनुदान भी दिया जाएगा और समय समय पर इसका मूल्‍यांकन भी होगा। इस करार के साथ ही सुविवि देश का 55 वां तथा प्रदेश का दूसरा विश्‍वविद्यालय हो गया है जिसने इस तरह का करार किया है।

नाव ने डूबाई नैय्या, 7 मजदूरों की मौत

उदयपुर , डूंगरपुर जिले के चितरी थानाक्षेत्र स्थित एक तालाब में डूबने से सात मजदूरों की अकाल मौत हो गई। कई पेट में पानी भर जाने से अचेत हो गए। नाव में सवार मजदूर तालाब के उस पार ईंट भट्टïे पर मजदूरी के लिये जा रहे थे। सभी मृतक बंजारा जाति के हैं। हादसे की सूचना पर कलेक्टर पूनम, एसपी डान के. जोस सहित सभी आलाधिकारी मौके पर पहुंचे। गोताखोंरो ने सभी शव बाहर निकल दिए है। कलेक्टर ने मृतकों के परिजनों को नियमानुसार आर्थिक सहायता की घोषण की है।

एस.पी. डान के. जोस ने बताया कि उक्त हादसा आज प्रात: करीब 8.30 बजे यहां बाबा की बार तालब में हुआ। एसपी ने बताया कि नाव में करीब 18 लोग सवार थे, जिसमें 7 की डूबने से मृत्यु हुई, जबकि कई लोग जो तैरने में पारंगत थे वे बाहर निकल आए। कुछेक अचेत है जिन्हें निकटतम अस्पताल ले जाया गया है। मृतकों की शिनाख्त कर ली गई है। थाने के एएसआई गोपाल सिंह ने बताया कि हादसे में महुआ निवासी सुशीला पुत्र वक्ता, चिमा पुत्र बबला, सुशीला पुत्री मंदौर, कल्पेश पुत्र फतह सिंह, अल्पा पुत्र नाथू एवं कपिला पुत्री रामचन्द की डूबने से मृत्यु र्हु। तैर कर बाहर निकल आए लोगों ने पुलिस को बताया कि नाव में करीब 18 लोग सवार थे। महुआ आला के बंजारा जाति के यह मजदूर प्रतिदिन लकड़ी की नाव में तालाब के उस पार इण्डेलिया गांव में ईट भट्टïे पर मजदूरी में लिये जाते थे। मजदूरों के अधिकांश युवा और युवतियां थी।

जांच के निर्देश: मौके पर पहुंचे आला अधिकारीयों ने नाव हादसे की वजह अभी पता नहीं चली है। लकड़ी की इस नाव में संभवत: कुछ मजदूर का वजन एक तरफ ज्यादा था। इस कारण नाव अनियंत्रित हो गई और पलट गई। हालांकि प्रशासन के अधिकारी ने रोजाना इस तरह तालाब पार करने वाले मजदूरों की सुरक्षा के बारे में पूछने पर कोई स्पष्टï जवाब नहीं दे पाए। कलेक्टर पूनम ने उक्त हादसे की जांच के निर्देश दिए है। साथ ही मृतकों के परिजनों को राज्य सरकार के नियमानुसार आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। कलेक्टर पूनम ने अपरान्ह को बताया कि वह सूचना पर मौके पर पहुंची है तथा घटना के बारे में जानकारी ली जा रही है, प्रभावित मजदूरों के परिजनों को सहायता मुहैैया कराई जा रही है।

 

हवा में उड़ेगी कार

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उड़ने वाली कार अब एक सपना नही रह गयी हे ! अमेरिकी कम्पनी टेराफुजिया ने एक ऐसी कार बनाई है जो उड़ भी सकती है ! अभी इसे फेरडल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन से परिक्षण उड़ान कि अनुमति मिली है ।उम्मीद है कि लगभग 1.44 करोड़ रूपये कि कीमत कि यह कार अगले वर्ष बाज़ार में आजायेगी दो लोगों के लिए उपयुक्त इस कार के पंख मोड़ कर बंद किये जासकते है । यह कार ज़मीं पर सामान्य कार कि भांति चलेगी । इसके टेंक में 87 लीटर पेट्रोल आसक्त है ।सड़क पर 14 .92 किलोमीटर प्रति लीटर के हिसाब से चलेगी और हवा में 11 .89 किलोमीटर प्रतिलीटर चलेगी उड़ान भरने के लिए इसे 1700 फुट के रनवे कि जरूरत होगी

 

इंसानी शरीरो पर पेंटिंग

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पहली नजर में यह लेण्ड केनवास पर बनी ऑयल पेंटिंग की तरह लग रही हे ! पर गौर से देखने पर बेहद पैनी नजर वाले लोग की यह पहचान पाएंगे की यह पहाड़ी पराक्रतिक द्र्श्य अविश्विनीय रूप से एक महिला के अनाव्रत शारीर पर बना हे ! पर्तिभाशाली कलाकार न्युओर्लियांस के क्रेग टेर्सी ने घंटो की कड़ी मेहनत के बाद यह अदभुत तस्वीर बनाई हे ! क्रेग कहते हे कि वे विशेष रूप से मानव त्वचा के लिए बने रंगों का प्रयोग करते हे ! क्रेग अब तक 500 इंसानी शरीरो पर पेंटिंग कर चुके हे !

सिंघानिया यूनिवर्सिटी पर काश्तकारों के हितों पर कुठाराघात करने का आरोप

भटेवर के खालातोड तालाब की जमीन ओर बरसाती नाले पर नियम विरूद्घ निर्माण रोकने की मांग

उदयपुर, भटेवर स्थित सिंघानिया युनिवर्सिटी द्वारा पिछले कई समय से तालाब के पेटे की डूबत में आने वाली जमीन तथा तालाब को भरने वाले बरसाती नाले पर अतिक्रमण कर निर्माण कार्य करने से क्षेत्र के काश्तकारों किसानों के हितों पर कुठाराघात हो रहा है।

गुर्जर कृषि प*ार्म हाउस के संचालक लक्ष्मी लाल गुर्जर ने बताया कि भटेवर पंचायत का खाला तो$ड तालाब पिछले कई समय से अतिक्रमण के चलते दम तो$डता जा रहा है। इस तालाब के भरने वाले बरसाती नाले में सिघांनिया यूनिवर्सिटी द्वारा अतिक्रमण के बाद किये जा रहे निर्माण कार्यो से नाले का मार्ग अवरूद्घ हो गया है जिससे तालाब में पानी नहीं पहुंच पाता है।

रियासत काल से इस तालाब के पानी का उपयोग क्षेत्रवासियों को शुद्घ पेयजल, किसानों को कृषि भूमि की सिंचाई तथा मवेशियों को पानी पिलाने के लिए किया जाता रहा है। सिंघानिया यूनिवर्सिटी द्वारा अतिक्रमण के जरिए लगातार अवरोध पैदा करते रहने से इस तालाब की उपयोगिता धीरे धीरे नष्ट होती जा रही है।

शुद्घ पानी के लिए विख्यात यह तालाब धीरे धीरे प्रदूषण का शिकार हो रहा है । सिघांनिया यूनिवर्सिटी का सिवरेज का सारा गंदा पानी इस बरसाती नाले में ही छोडा जा रहा है ओर यह गंदा पानी जाकर सीधा तालाब में समाहित हो रहा है। नतीजन तालाब का शुद्घ पानी सिवरेज के गंदे पानी के साथ मिलने के बाद न तो इंसानों के पीने लायक ओर ना ही जानवरों के और तो ओर इस पानी से किसान अपने खेतों की प*सलों की सिंचाई भी नहीं कर पा रहे है क्यों कि इससे प*सले खराब हो सकती है। इतना ही नहीं सिवरेज के पानी से तालाब में रहने वाले जलीय जीवों पर भी मौत का खतरा मण्डरा रहा है कई जीव तो नष्ट भी हो चुके है। गुर्जर ने बताया कि तालाब पेटे में आने वाली डूबत जमीन और बरसाती नाले को सिघांनिया यूनिवर्सिटी उसके नाम पर आवंटन होना बता रही है जबकि वह कानूनी तौर पर आंवटित हो ही नहीं सकती क्यों कि सुप्रिम कोर्ट ने अपने आदेश में साप* निर्देश दे रखे है कि कहीं भी सरकारी नदी, नाला या डूब क्षेत्र में आने वाली जमीन की अवाप्ति या आवंटन किसी भी सूरत में नहीं हो सकता। पि*र यहां किस नियम कानून के तहत यह सब हुआ है। जिला कलेक्टर से निष्पक्ष जांच व उचित कार्यवाही के लिए अपेक्षित है।