उदयपुर पोस्ट के यू ट्यूब चेनल पर अब वास्तु और ज्योतिष विशेषग्य हेमंत मेनारिया सुझायेगें समाधान आप भी जुड़िये .

0

हमारे जीवन में वास्तु और ज्योतिष का काफी महत्त्व है और इस महत्त्व को समझा रहे है जाने माने वास्तु विशेषग्य हेमंत मेनारिया निचे वीडियो पर क्लिक करिए और देखिये आखिर तक विडियो . आपकी समस्याओं को कमेन्ट बॉक्स में लिख भेजिए या फिर विडियो के डिस्क्रिप्शन में लिखे ई मेल पर लिख भेजिए . हफ्ते में दो बार एक नए विषय एक नए समाधान के साथ आयेगे हेमंत मेनारिया . आप खुद समझिये कि आखिर जीवन में वास्तु का क्या महत्त्व है .

निचे विडियो पर क्लिक करिए, चेनल सबस्क्राइब करिए और हमारे साथ जुड़िये,

https://youtu.be/zGEAPZ7V5Jc

 

 

मंच पर शाह मोदी, सैनी और वसुंधरा के पोस्टर पर नहीं दिखा कमल निशान, मुख्यसेवक ने भी नहीं लिया भाजपा का नाम

प्रदेश की मुखिया वसुंधरा के गौरव रथ के भीण्डर जाने को  लेकर बड़े दिनों से चली आ रही पशोपेश को आखिरकार शुक्रवार को विराम लग ही गया। जनता सेना सुप्रीमों और सरकार में निर्दलीय विधायक रणधीर सिंह भीण्डर ने भव्य स्वागत करके दिखा दिया कि इस बार भी यहां भाजपा नहीं सिर्फ महाराज ही जीतकर आ सकते हैं। अपनी खेवनहार को सुनने के लिए यहां बना विशाल पाण्डाल भी कम पड़ गया। हजारों हजार लोगों की भीड़ ने न केवल वसुंधरा का खुश किया बल्कि महाराज की भारी ताकत का अहसास भी पार्टी के उच्च स्तर तक पंहुचा दिया। हालांकि वल्लभनगर क्षेत्र की भारतीय जनता पार्टी भीण्डर में होने वाली सभा से नाखुश थी, यहां के दिग्गजों ने अपने आकाओं तक इस बात को पंहुचाया भी लेकिन सभी ने यहां के कर्मठ कार्यकर्ताओं की एक न सुनी और भीण्डर की सभा को सफल बनाने के लिए दौरे करते रहे। वैसे तो गृहमंत्री  गुलाबचंद कटारिया और रणधीर सिंह भीण्डर के राजनीतिक रिश्ते कैसे है जगजाहिर है। दोनों ही भरे मंचों पर एकदूजे के खिलाफत करते दिखाई दिए हैं। लेकिन इस बार भाई साहब ने उनकी भी नहीं सुनी जिनको गत चुनाव में रणधीर सिंह भीण्डर के सामने खड़ा करके भारतीय जनता पार्टी का प्रतिनिधित्व जिंदा रखा था। उस चुनाव में महाराज का प्रजा ने ऐसा समर्थन किया कि भाजपा क्या कांग्रेस भी कोसों दूर हो गई। बाद में महाराज के नेतृत्व में जनता सेना का निर्माण हुआ और क्षेत्र में होने वाले दूसरे चुनावों में अधिकतर में \ जनता सेना ही बाजी मारती गई। वहीं लगातार मिलती हार से भाजपा कार्यकर्ता मायूस जरूर हुए लेकिन उन्हें भरोसा था कि कभी तो उनके आकाओं की नजर उन पर पड़ेगी। इधर विधायक रणधीर सिंह भीण्डर के चुनावी वादें भी लगातार पूरे होने से जनता का रूझान उनके प्रति कम नहीं हुआ। जिसमें सबसे ज्यादा मुश्किल महाराज को भीण्डर के तहसील बनने के बाद कानोड़ के तहसील बनने तक रही। वहीं पहले तो मेवाड़ संभाग से शुरू हुई वसुंधरा की गौरव यात्रा को लेकर भारतीय जनता पार्टी वल्लभनगर के कार्यकर्ता काफी खुश थे लेकिन जैसे ही रथ के मार्ग और महारानी की सभा की अधिकृत सूचना आई कार्यकर्ताओं में मायूसी छा गई। दर्जनों पदाधिकारी उदयपुर में स्थित पार्टी कार्यालय पंहुच गए और जमकर विरोध प्रदर्शन किया। यहां किसी ने भी उनकी नहीं सुनी और इनके खेवनहार भाई साहब ने भी भीण्डर में  सभा होने की बात का समर्थन ही दिया। यह बात अलग है कि कटारिया जी कीर की चैकी से वसुंधरा के रथ को छोड़कर भटेवर में गुस्साएं कार्यकर्ताओं के  बीच पंहुच गए और मेवाड़ में वसुंधरा का रथ बिना भाई साहब की मौजुदगी में तीसरी बार सभा के लिए आगे बड़ा। इससे पहले मेवाड़ के दिग्गज नेता नाथद्वारा और प्रतापगढ़ में भी रथ के साथ नहीं दिखे थे। वैसे तो यह सभा भी पहले से तय थी लेकिन हर जगह जिस तरह सभा स्थल पर कमल निशान दिखाई दिया यहां ऐसा नहीं था। जाहिर सी बात है जनता सेना सुप्रीमोें रणधीर सिंह भीण्डर प्रदेश की मुखिया वसुंधरा के करीबी हैं तो उन्हें यहां तो आना ही था, लेकिन बिना पार्टी के प्रतीक चिन्ह के सभा को संम्बोधित करना उनके लिए नया अनुभव ही रहा होगा। अपने उद्बोधन में जहां महाराज रणधीर सिंह भीण्डर में  महारानी की तारीफ में कसीदे पढ़े वहीं महारानी ने भी क्षेत्र में विकास की बात कही। गौरव यात्रा के दौरान पहली बार ही ऐसा देखने को मिला कि भारतीय जनता पार्टी के मुख्यसेवक का चेहरा बनी वसुंधरा ने पार्टी के समर्थन की बात यहां नहीं कहीं, बिना भारतीय जनता पार्टी का नाम लिए ही विकास के नाम पर राजस्थान को फिर से मजबूत बनाने पर जोर दिया। चलिए अब बात करते हैं सभा के खत्म होने के बाद दूसरी सभा को संबोधित करने की जहां रथ के काॅर्डिनेटर फिर से रथ के साथ होने थे। इससे पहले क्षेत्र में काफी जगह जनता सेना के कार्यकर्ताआंे ने गौरव रथ का स्वागत किया। सभी के हाथों में महारानी और महाराज के पोस्टर थे और जिनपर लिखा था चलो साथ चले। वहीं भटेवर से वल्लभनगर मार्ग पर करीब 1500 कार्यकर्ताओं की मौजुदगी में वसुंधरा का स्वागत किया गया। यहां वसुंधरा ने सभा तो नहीं की लेकिन रथ पर सवार होकर कार्यकर्ताओं को सम्बोधित जरूर किया। लेकिन यह बात तो महारानी को भी समझ में आ गई की भीण्डर की सभा के हुजूम और भटेवर मंे कार्यकर्ताओं की भीड़ में कितना फर्क है। इस बात से कहीं न कहीं ऐसा लगता है या तो रणधीर सिंह भीण्डर की पार्टी में वापसी तय है या फिर इस सीट पर पार्टी अपना उम्मीदवार ही खड़ा न करें।

सेवक नहीं महारानी साहिबा और महाराज साहब कहिये।

उदयपुर। राजस्थान गौरव यात्रा के अंतिम दिन भिंडर में पुराने राजे महाराजाओं का ज़माना याद आगया जब ऊँचे सिंहासन पर महाराज और महरानी बैठे हुए रहते थे और सामने उनकी प्रजा जमीन पर बैठे बैठे वाह वाही करती थी। लोकतंत्र के इस काल में एसा द्रश्य शायद ही कही देखने को मिले। लेकिन हमारा ये सोभाग्य हुआ कि हमने वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र के भिंडर कसबे में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और वल्लभनगर विधायक रंधीर सिंह भिंडर की सभा के दौरान यह दर्शय देखा। यह बात अलग है कि यहाँ पर यह जनता के सेवक के रूप में बैठे हुए थे लेकिन संबोधन महाराज साहब और महारानी साहिबा के नाम से ही हो रहा था।
भिंडर की सभा में एक तरह महारानी साहिबा तो दूसरी तरफ महाराज साहब। जी हाँ हम इसी सदी कीबात कर रहे है। आप अगर सोच रहे होंगे कि राजा महाराजों का ज़माना तो लद गया अब किसी को महाराज या महाराणा नाम से संबोधित नहीं किया जाता लेकिन राजस्थान गौरव यात्रा के आखरी दिन भिंडर में सभा के दौरान स्टेज से माइक पर जो आवाजें आरही थी वो सिर्फ महारानी साहिबा और महाराज साहब ही आरही थी। स्टेज के सामने आम प्रजा बैठी थी। सभा के दौरान जिस किसी ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए जिस किसी ने संबोधित किया महारानी साहिबा के नाम से ही संबोधित किया जबकि वल्लभनगर के विधायक रंधीर सिंह भिंडर को महाराजा साहब से ही संबोधित किया जाता है।
लोकतंत्र है ये नेता है और नेता जनता की सेवा के लिए आते है और खुद जनता के सेवक कहलाते है लेकिन शायद सेवक कहलाना इन्हें पसंद नहीं। चाहे खानदान राजसी हो लेकिन जब जनता के बिच में है तो जनता के सेवक ही कहलायेगें अब ये बात अलग है कि सत्ता में आने के बाद यह महाराजा साहब या महारानी साहिबा कहलाना पसंद करें।

अधिवक्ताओं ने मुख्यमंत्री के पोस्टर पर कालिख पोती

उदयपुर। जहाँ एक तरफ उदयपुर संभाग में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपनी गोरव यात्रा निकाल रही है और जन जन तक अपनी सरकार में किये गए कामों का बखान कर रही है वही दूसरी तरफ उदयपुर मुख्यालय के देहली गेट चौराहे पर नाराज़ अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट बैंच की मांग को लेकर वसुंधरा राजे के पोस्टर पर कालिख पोत दी। अधिवक्ताओं ने समूचे मेवाड़ की जनता के साथ राजस्थान सरकार द्वारा छलावा करने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया और टायर जला कर रास्ता भी जाम कर दिया। डेड घंटे तक चले अधिवक्ताओं के प्रदर्शन में सरकार के खिलाफ जम कर नारे बाजी की गयी।
पिछले 36 वर्षों से उदयपुर में हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन अनवरत रूप से जारी है । इस आंदोलन के तहत कई बार सरकार के स्तर पर हाईकोर्ट बेंच संघर्ष समिति की वार्ता भी हो चुकी है । लेकिन अभी तक इतने साल बीत जाने के बावजूद वकीलों को आंदोलन का रास्ता ही अपनाना पड़ रहा है।
दरअसल, दो महीने पहले विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता शांतिलाल चपलोत ने अनशन पर बैठकर इस मांग को पूरा करने की बात कही थी । इस दौरान सरकार के यूडीएच मंत्री श्री चंद कृपलानी ने प्रदेश की मुखिया से वार्ता कर कमेटी गठन कराने की बात की गई थी । यूडीएच मंत्री के इस आश्वाशन के बाद अधिवक्ताओं ने अपने आंदोलन को समाप्त कर दिया था । लेकिन इस बात को पूरा हुए 2 माह से भी अधिक का समय हो चुका है लेकिन सरकार ने अभी तक हाईकोर्ट बेंच को लेकर कमेटी का गठन नहीं किया है । ऐसे में सरकार के इस रवैये को लेकर आज बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने दिल्ली गेट चौराहे पर जाम कर दिया। अधिवक्ताओं ने कहा है कि सरकार जल्द से जल्द इस मांगों को पूरा करें ताकि मेवाड़ के लोगों को सस्ता एवं सुगम न्याय मिल सके। देहलीगेट पर चक्काजाम करने के बाद अधिवक्ता समूह जिला कलेक्ट्री के बाहर पंहुचा जंहा पर राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते हुए मुख्यमंत्री वसुधंरा राजे के पोस्टर पर कालिक पोत दी। अधिवक्ता समूह मुख्यमंत्री राजे की ओर से कमेठी के गठन करने का वादा करने के बाद भी अभी तक कमेठी नही बनने से अधिवक्ताओं में भारी आक्रोश है। गौरतलब है कि प्रदेश के मुखिया उदयपुर संभाग में राजस्थान गौरव यात्रा के माध्यम से जगह जगह विधानसभाओं का दौरा कर रही है । इसी को ध्यान में रखते हुए वकीलों ने फिर से इस आंदोलन को उग्र करते हुए अपनी बात को पहुंचाने और सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की है।

NIKITA PROVES TO BE AN INSPIRATION TO ALL OTHERS LIKE HER

12-year old Nikita has a dream. She aspires to be a teacher when she grows up. Today Nikita, is an inspiration to all the children in her village. She now talks in English and her entire personality has changed. Not only her parents but the entire village takes pride in her.

Nikita belongs to a small village called Dagla ka Kheda and like all other children, she attended the government school till her 4thgrade. Little did she know that her dedication towards studies will bring her this far.

Hindustan Zinc under its Shiksha Sambal project, every year selects few such underprivileged children to appear for a written test post which, the selected students are provided with free education till 12th, in the Hind Zinc School. In 2016, even Nikita appeared for the test along with 30 other children and got shortlisted for further education in Zinc School.

The Shiksha Sambal project aims at strengthening the learning of subjects – Science, English and Maths. This project is being implemented in 60 government schools located in communities around the company’s operations, across Ajmer, Bhilwara, Chittorgarh, Rajsamand and Udaipur districts of Rajasthan. Shiksha Sambal reaches out to over 7,000 rural & tribal students from classes 9th to 12th.

While Nikita is a student at Hind Zinc School, her mother, Jaswant Kunwar is a part of Hindustan Zinc’s Sakhi Self Help Groups – Radha Rani and Bholenath Samooh. She feels exhilarated to see her daughter teach the other children of her village.

Nikita’s father is a simple farmer in the village. She has two younger sisters; one is Riti, studying in the 4th grade and a 1-year old younger sister, who is named after the parent company, Vedanta.

Jaswant says, “No other organization would have done this for my children. I am very grateful to Hindustan Zinc for bringing such a positive change in Nikita, something that I couldn’t have done by myself. Today my other daughter feels motivated looking at her elder sister. It is a great feeling”.

Along with Nikita, two more girls, Saroj and Reena Vaishnav from the village Pavtiyan, were selected.

With the help of this initiative, today’s Nikita will be tomorrow’s hope for many others like her, aspiring to learn and grow…

जिंदा हो तो जिंदा होने का सबूत भी तो दो – हिन्दू मुस्लिम नहीं इंसान बन कर एक बार आवाज़ उठाओ ,…

ज़िंदा हो तो साथ चलो ,..जिस्म में लहू है तो साथ चलो,.. ज़मीर मरा ना हो तो साथ चलो,.. तुम्हारी भी बेटी हो तो साथ चलो .

बिहार के मुजफ्फर पुर और यु पी के देवरिया पर एक आवाज़ ,..  Akku Talk का एक विडियो देखिये ,..

वैसे देश की ग़रीब और अनाथ बच्चियों के लिए कौन सोचता है? जिन्हें सिगरेट से जलाया गया, रॉड से पीटा गया, नींद की गोलियां देकर बलात्कार किया गया, गर्म लोहे से दागा गया. फिर भी वे जिंदा हैं. इस दागदार दुनिया के बावजूद कुछ उम्मीदें बचीं हैं.

हम कामना करें अक्षम्य बर्बरता और असमानताओं के हम कभी आदी ना हों. घोर दुखों के बीच खुशी के अंकुर तलाश लें. लजाते सौन्दर्य का उसकी खोह तक पीछा करें और सबसे अहम है न्याय के लिए उम्मीद बनी रहे.

न्याय के लिए उम्मीद फिर भी मत छोडिये अपने अन्दर के मरे हुए इंसान को जगाइए ,.. जिम्मेदारों से सवाल कीजिये ,.. अपने ऊपर से हिन्दू मुस्लिम की खाल हटाकर एक बार इंसान बन कर आवाज़ उठाइये सत्ता की कुर्सियों पर बैठे लोगों से सवाल कीजिये अपने ज़िंदा होने का सबुत दीजिये 

विडियो को शेयर कीजिये और चेनल को सबस्क्राइब जरूर कीजिये

वल्लभनगर और रणधीर सिंह भिंडर एक बार फिर चर्चा में – कौन दिखाएगा C M की सभा में काले झंडे ?

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की राजस्थान गौरव यात्रा के तहत 10 अगस्त को जिले के वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र के भींडर में होने वाली सभा को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं में विरोध तेज हाे गया है। सभा भींडर की बजाय भटेवर में करने की मांग को लेकर मंगलवार को वल्लभनगर क्षेत्र के प्रभारी गणपत मेनारिया के नेतृत्व मेंं कार्यकर्ता, पदाधिकारी पटेल सर्कल स्थित भाजपा कार्यालय पहुंचे और देहात जिलाध्यक्ष गुणवंत सिंह झाला को चेतावनी दी कि अगर भींडर में सभा हुई तो कार्यकर्ता इसका बहिष्कार करेंगे और यात्रा को काले झंडे भी दिखाएंगे। झाला ने तत्काल यात्रा संयोजक गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया को फोन किया तो उन्होंने कहा कि जो आना चाहें वो आएं, जो नहीं आना चाहते वो नहीं आएं। सभा भींडर में ही होगी। झाला ने यात्रा के सह संयोजक अशोक परनामी, संगठन महामंत्री चंद्रशेखर से भी बात की। परनामी ने कहा कि कार्यक्रम जनता का है और इसमें जनता को बुलाना है। यह सुनकर गुस्साए कार्यकर्ता भाजपा कार्यालय के बाहर ही धरने पर बैठ गए और सीएम हाय-हाय, राव राजेंद्र सिंह हाय-हाय के नारे लगाने शुरू कर दिए। देहात महामंत्री चंद्रगुप्त सिंह चौहान ने शाम को प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी, कटारिया व चंद्रशेखर से फिर से बात की। इन पदाधिकारियों ने कहा कि मांग पर विचार कर रहे हैं। फिर 3 घंटे बाद शाम 6 बजे धरना समाप्त हुआ।

इसलिए विरोध : सीएम की सभा से रणधीर का वोट बैंक होगा मजबूत, पिछले विस चुनाव में भाजपा के मेनारिया की हुई थी जमानत जब्त
पिछले विधानसभा चुनाव में कटारिया से अनबन के चलते वल्लभनगर से रणधीर सिंह को टिकट नहीं मिला था। फिर भींडर निर्दलीय चुनाव लड़े और जीत गए। भाजपा के गणपत मेनारिया की जमानत जब्त हो गई थी। जीत के बाद रणधीर सिंह ने जनता सेना का गठन किया। भींडर की पत्नी भाजपा महिला मोर्चा में प्रदेश उपाध्यक्ष हैं और रणधीर सिंह सीएम के नजदीकी भी माने जाते हैं। ऐसे में भाजपा कार्यकर्ताओं को चिंता है कि सीएम की भींडर में सभा होने से रणधीर सिंह का वोट बैैंक मजबूत होगा। वहीं रणधीर सिंह की सक्रिय राजनीति का असर विधानसभा चुनाव में दिख सकता है। विधायक भींडर ने पिछले तीन-चार माह में जनता सेना का बड़े स्तर पर विस्तार कर पदाधिकारी नियुक्त किए हैं।

कार्यकर्ताओं ने पार्टी से पूछे यह सवाल…
क्या हम निर्दलीय विधायक भींडर की गोद में जाकर बैठ जाएंω?
हम कमल फूल पकड़ कर बैठे रहे और यहां जड़ों में तेजाब डाल रहे हैं।
पीएम मोदी की जयपुर सभा में वल्लभनगर से भाजपा कार्यकर्ता 13 बसें लेकर गए। सीएम की सभा तय करने से पहले पार्टी पदाधिकारियों को यहां के कार्यकर्ता क्यों याद नहीं आएω?
वल्लभनगर-भींडर में भाजपा का एक भी झंडा नहीं लगा तो क्या स्थिति हाेगीω?

महिला सब इंस्पेक्टर ने मांगी 50 लाख की रिश्वत पहली किश्त 5 लाख रुपये लेते ACB ने किया गिरफ्तार

0

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने शिप्रापथ थाने में तैनात महिला सब इंस्पेक्टर बबीता और उसके वकील पति अमरदीप को मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया। उनपर शिप्रापथ इलाके में ऑनलाइन विज्ञापन का काम करने वाले एक फर्म संचालक को बिटकॉइन व आईटी एक्ट में फंसाने की धमकी देकर 5 लाख रु. की रिश्वत लेने का आरोप है। वह 50 लाख रु. मांग रही थी लेकिन सौदा 45 लाख तय में हुआ। बबीता ने थाने के सामने स्थित एक रेस्टोरेंट में परिवादी से पहली किस्त के 5 लाख लिए और उसे ले जाने के लिए अपने पति अमरदीप को मौके पर बुलाया। जब अमरदीप वह राशि लेकर रेस्टोरेंट के बाहर निकला तो एसीबी ने दोनों को रंगे हाथों पकड़ लिया और रिश्वत की राशि बरामद कर ली। अब एसीबी दोनों से पूछताछ कर रही है .

एसीबी ने आरोपियों के घर पर भी सर्च किया। जहां पर करोड़ों रुपए के प्रोपर्टी के दस्तावेज व 5 लाख रुपए से ज्यादा की नकदी मिली।
पति ने जुटा रखे थे बिटकॉइन से लेनदेन के सबूत : बबीता के पति अमरदीप ने शिप्रापथ पर ऑनलाइन मार्केटिंग व विज्ञापन डिजाइनिंग का काम करने वाली एक फर्म के बिटकॉइन के मार्फत लाखों रुपए के लेन-देन के सबूत जुटा रखे थे। कंपनी के लेन-देन के डाटा की रिकॉर्डिंग सब इंस्पेक्टर के पति अमरदीप के पास थी। अमरदीप अपनी पत्नी के मार्फत आईटी एक्ट में मुकदमा दर्ज करने की धमकी दे रहा था। वह 10 दिन पहले फर्म संचालक से मिला भी था। अमरदीप और बबीता ने फर्म संचालक को आईटी एक्ट के तहत मुकदमे से बचाने की एवज में 50 लाख रुपए की डिमांड की। फर्म संचालक ने जब इतनी राशि देने से इनकार किया तो दोनों के बीच में 45 लाख रुपए में सौदा तय हुआ। इसके बाद पीड़ित ने एसीबी को शिकायत की। शिकायत के बाद एसीबी ने मामले का सत्यापन किया और मंगलवार को बबीता को परिवादी रिश्वत की पहली किश्त देने थाने पर आया था। थाने से बबीता ने परिवादी को नजदीकी चस्का रेस्टोरेंट में बुला लिया और उससे रिश्वत की राशि ले ली।
फर्म के एजेंट ने दिया था पैन ड्राइव में लेन-देन का डाटा : एसीबी की जांच में सामने आया कि फर्म में सोनू नाम का एक युवक कमीशन पर एजेंट का काम करता था। सोनू को कंपनी के ऑनलाइन लेन-देन और बिटकॉइन से होने वाले लेन-देन की जानकारी थी। सोनू ने फर्म का पूरा रिकॉर्ड एक पैन ड्राइव में ले लिया था और यह पैन ड्राइव सोनू ने महिला सब इंस्पेक्टर बबीता के पति अमरदीप को दे दिया था। इसके बाद अमरदीप ने अपनी पत्नी बबीता के साथ मिलकर फर्म के संचालक को आईटी एक्ट में फंसाने की धमकी देकर रिश्वत लेने की योजना बनाई।

एसीबी के एडिशनल एसपी नरोत्तम वर्मा ने बताया कि पिछले सप्ताह फर्म के संचालक ने शिकायत की थी कि फर्म ऑनलाइन ही कामकाज करती है और लेन-देन भी ऑनलाइन ही होता है, कंपनी बिटकॉइन का काम फर्म नहीं करती।

दुष्कर्म का केस दर्ज नहीं करने पर सस्पेंड भी हो चुकीं
बबीता वर्ष 2010 बैच की महिला सब इंस्पेक्टर है। पांच माह पहले बबीता को जयपुर कमिश्नरेट पुलिस लाइन से शिप्रापथ थाने में लगाया गया था। वह लम्बे समय से पुलिस लाइन में ही थी। इससे पहले बबीता ईस्ट जिले के प्रतापनगर थाने में तैनात थी। तब उस पर दुष्कर्म का एक मुकदमा दर्ज नहीं करने और आरोपी का पक्ष लेने के आरोप लगे थे। तब उसे प्रारंभिक जांच के बाद सस्पेंड कर दिया गया था।

कल्पेश करुण कथा : पांच करोड़ दे दोगे तो धीरे धीरे मरोगे, वरना साइनाइड तो है ही – सलोनी अरोड़ा

0

इंदौर कीर्ति राणा 

दैनिकभास्कर के ग्रुप एडिटर कल्पेश आत्महत्या कांड की कथित मुख्य आरोपी सलोनीअरोरा को गिरफ्तार करने में सफलता भी उसी के अंतरंग मित्र आदित्यचौकसे के कारण मिली है।पुलिस ने कल्पेश के द्वारा लिखे छह पेज के जिस गोपनीय पत्र को (आत्महत्या के बाद) मृत्युपूर्व लिखा कथन माना है, उस पत्र में इन्हीं आदित्य चौकसे के नाम का भी जिक्र है।
दैनिक भास्कर भवन की तीसरी मंजिल से कूद कर भास्कर के ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक की 12-13 जुलाई की रात संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी, दूसरे दिन उनकी मौत का कारण दिल का दौरा पड़ना बताया गया, पुलिस के हवाले से बाकी अखबारों ने इसे आत्महत्या ही लिखा था। घटना के 22 दिन (पौन महीने) बाद गिरफ्तार हुई इस कांड से जुड़ी भास्कर की ही पूर्व पत्रकार सलोनी अरोरा के इस अंतरंग मित्र को पुलिस दल ने अपने साथ रखा था चूंकि उसे ही सलोनी के रिश्तेदारों, मुंबई के उसके संपर्कों तथा वह किन के साथ उठती-बैठती है यह सारी जानकारी थी। पुलिस ने इंदौर के अलावा रतलाम, नीमच आदि शहरों में उसके जिन भी रिश्तेदारों के यहां छापे मारे उस कार्रवाई में भी आदित्य का सहयोग रहा है।
अरोरा की तलाश में संबंधित थाने का पुलिस दल पिछले दस दिन से मुंबई में डेरा डाले हुआ था । टीआई दो दिन पहले इंदौर आ गए थे लेकिन दो उप निरीक्षक और पुलिस कर्मी वहीं थे।ये दल अपनी हर गतिविधि से इंदौर में वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा रहा था।
एडीजीपी अजयदेवशर्मा ने इस प्रतिनिधि से चर्चा में कहा कि पुलिस पार्टी को शनिवार की शाम सात बजे के करीब सलोनी को हिरासत में लेने में सफलता मिली। पुलिस जांच दल उसे लेकर इंदौर के लिए रवाना हो गया है।रविवार की सुबह सात बजे तक ये लोग इंदौर पहुंच जाना चाहिए। हालांकि कल अवकाश है पर हमारी कोशिश रहेगी कि कल ही कोर्ट में चालान पेश कर दें। चूंकि सलोनी से इस पूरे मामले और मृत्युपूर्व कल्पेश ने जो गोपनीय पत्र दिया था, जिसे सुसाइड नोट मान रहे हैं उसे लेकर भी पूछताछ करना है इसलिए कोर्ट से सलोनी के रिमांड की मांग करेंगे।
गोपनीय पत्र कैसे हुआ सार्वजनिक ? 
घटना के बाद से तमाम मीडियाकर्मीक्राइमरिपोर्टर इस हाईप्रोफाइल केस के फालोअप को लेकर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के संपर्क में थे लेकिन पुलिस ने कोई जानकारी देना तो दूर याग्निकपरिवार की इमेज धूमिल न हो जैसे कारण बताते हुए उस पत्र की भी गोपनीयता को भंग नहीं होने दिया। फिर आज अचानक वह चर्चित आडियो जिस में वह पांच करोड़ की डिमांड कर रही है और एडीजीपी को मृत्यु से पांच दिन पूर्व लिखा पत्र एक मीडिया पोर्टल पर वायरल हो गया। इस संबंध में पुलिस के आलाअफसरों से चर्चा की तो उनका कहना था हमें बताना होता तो आप को उसी दिन बता देते। हो सकता है उनके भाई (नीरज) या उनके वकील आदि ने किया हो, हमें तो आप से ही पता चला था कि फेसबुक पर उनके भाई ने पुलिस कार्रवाई को लेकर कुछ हताशा व्यक्त की है।
पुलिस ने सादे कपड़ों में बेटे का पीछा किया : गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने सादे कपड़ों में सलोनी के बेटे का पीछा किया। जैसे ही वह उससे मिलने पहुंची, उसे पकड़ लिया।डीआईजीहरिनारायणचारीमिश्र के मुताबिक पुलिस सलोनी का 15 दिन से पीछा कर रही थी। भाई, बहन, जीजा, दोस्तों सहित करीब डेढ़ सौ लोगों की कॉल डिटेल निकाली गई। इसी दौरान दिल्ली में रहने वाले मामा का नंबर हाथ लगा। उस नंबर को निगरानी में रखा गया तो पता चला सलोनी मेरठ में है।पुलिस वहां पहुंची, लेकिन एक दिन पूर्व ही वह दिल्ली होते हुए मुंबई पहुंच गई। उधर, पुलिस को जानकारी मिली थी कि सलोनी का बेटा मुंबई में अंधेरी स्थित नामी कोचिंग में पढ़ाई कर रहा है। पुलिसकर्मी सादे कपड़ों में कोचिंग के बाहर खड़े रहे और बेटे की रेकी करने लगे।

ब्लेकमेलिंग की ऑडियो सुनाने के लिए विडियो देखिये 

https://youtu.be/d3fWGrzHyoM

 

कॉल रिकॉर्डिंग से पता चला कि सलोनी शनिवार को बेटे से मिलेगी। शाम को उसका बेटा कोचिंग से पनवेल के लिए रवाना हुआ। जैसे ही सलोनी उससे मिली, पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।याग्निक की खुदकुशी के बाद भाई नीरज की शिकायत पर 20 जुलाई को पुलिस ने सलोनी के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था।
यह कह रही है वह आडियो में
कल्पेश करुण कथा के दुखांत के कारण बने जिन आडियो की देश भर के मीडिया जगत में घटना वाले दिन से ही चर्चा रही है उस शृंखला का ताजा आडियो जो आज वायरल हुआ है( विस्तार से यूट्यूब पर सुन सकते हैं) उसमें जहां सलोनी के तेवर आक्रामक हैं वहीं कल्पेश की आवाज डरी सहमी तो है ही बातचीत के अंदाज से आभास होता है कि वे अपनीइमेज को लेकर बेहद सतर्क और उससे कहीं अधिक चिंतित भी हैं। सलोनी कह रही है आपने बहुत अच्छा काम किया मेरी जॉब लेकर… कल्पेश दबी आवाज मे कह रहे हैं मैंने आप का जॉब नहीं खाया , मेरी बात को समझिए तो सही। (इससे पहले के आडियो में सलोनी सिर्फ हां हूं करती सुनाई देती रही है) यह पहला ऐसा ऑडियो है जिसमें वह डराने वाली भाषा के साथ ही आक्रामक भी नजर आती है। जॉब जाने के बदले जहां वह पांच करोड़ की डिमांड कर रही है वहीं धमकी भरे लहजे में सलाह दे रही है तो फिर इसी वक्त भास्कर से रिजाइन कर दीजिए नहीं तो मैं यह बम फोड़ दूंगी, रिजाइन नहीं करेंगे तो स्लो पायजन तो है ही।
इस पूरे आडियो को सुनते हुए लगता है कि एक तरफ जहां कल्पेश को इन आडियो के वायरल होने पर घर-परिवार-संस्थान-समाज और देश के मीडिया जगत में अपनी प्रतिष्ठा गर्त में मिल जाने की चिंता है वहीं सलोनी को अपने कैरियर, महिला के नाते होने वाली बदनामी की रत्ती भर भी परवाह नहीं है। वह आडियो में कह रही है कल्पेश तुम्हें पता नहीं हैं ये सारा मसाला मैं तुम्हें बर्बाद करने के लिए लगे लोगों के हाथ मैं सौंप दूं तो इतना पैसा यूं ही मिल जाएगा। मुझे मेरा पद दिलाओ, सम्मान दिलाओ, मेरा लड़का है, तुम्हें उसकी चिंता नहीं है। मैं किसी को रिपोर्ट नहीं करूंगी, जब इच्छा होगी अखबार के अन्य परिशिष्ट के लिए लिखूंगी। तुम क्यों नहीं कर सकते…तुम्हें पता है बंगला, गाड़ी, शान की जिंदगी जीना मेरे लिए मुश्किल नहीं है, मुंबई नगरी में कई करोड़पति हैं मैं जिससे संबंध बना लूं यह सब आसानी से मिल जाएगा, रिलेशन में सब इंतजाम हो जाते हैं। मुझे किसी का नाम नहीं चाहिए….।
करीब चार मिनट के इस आडियो को सुनने के बाद इस पूरे कांड से नावाकिफ शख्स भी अपनी यही राय देगा कि इस औरत के तेवर सुन कर तो लगता है कि यह किसी भी हद तक गिर सकती है।और शायद यही कारण रहे कि 11 साल से उसके फोन कॉल्स अटैंड करने वाले कल्पेश पिता भूपतिलाल याग्निक निवासी 66 साकेत नगर जैसे चिंतक-विचारक-प्रखर पत्रकार ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि पति से त्रस्त जिस सलोनी की व्यथा सुन सुन कर वे द्रवित होते रहे, महिलाओं के सम्मान के लिए निरंतर लिखते रहने के साथ सलोनी भोला कलह को भी महिला सम्मान की रक्षा के लिहाज से प्रमुखता से सुनते और सलाह देते रहे, यह उसका इमोशनल अत्याचार था। यह बात भी उन्हें तब और सताने लगी जब निरंतर धमकियां देने वाली सलोनी ने यही सारे आडियो उनकी पत्नी-भाई आदि परिजनों को भी सेंड कर दिए। ऑफिस में ग्रुप एडिटर की जिम्मेदारी के तनाव के चलते, सलोनी की धमकियों के जवाब में कभी परिसर तो कभी परिसर से बाहर याचना भरे स्वर में लंबी चर्चा, इस सारे प्रकरण की पल पल की जानकारी एमडीकार्यालय तक पहुंचने से डाउन होती इमेज और प्रबंधन का बदलता व्यवहार, घर पर हर दिन बढ़ती कलह जैसे कारणों से उपजी गहन निराशा में उन्होंने हर दृष्टि से कार्यालय भवन की छत से कूद कर आत्महत्या करना ही उचित समझा।
इस कल्पेश करुण कथा में अब आगे क्या
यह पूरी लड़ाई तो छोटे भाई नीरयाग्निक को ही लड़ना है। मौत कि खबर को लेकर जो विरोधाभास सामने आया उससे कई बातें अखबार से जुड़े स्थानीय और अन्य संस्करणों के स्टॉफ को समझ आ चुकी थी। नीरज पर रामायण के पात्र भरत के रूप में कई जिम्मेदारी है। परिवार को संभालना, कोर्ट में लड़ना, यूं तो भाजपा में नीरज की भी खूब पहचान है लेकिन चुनावी साल में सबने अपना लाभ शुभ सोच लिया तो परेशानियां कम नहीं होगी। सरकार के स्तर पर नीरज को अब उतना सपोर्ट क्यों मिलेगा।
दूसरा पहलु : अभी तो पुलिस ने उस छह पेजी पत्र को आधार बना कर सलोनी अरोरा पर विभिन्न धाराएं लगाकर उसे गिरफ्तार किया है। #कोर्ट में चालान और केस डायरी पुटअप होने के बाद पुलिस के हाथ में कुछ नहीं रहेगा । पुलिस के पास अभी वही सारे सबूत हैं जो नीरज ने उपलब्ध कराए हैं। जिस तरह कोर्ट में तारीख-पेशी चलती रहेगी सलोनी अरोरा के वकील को भी सिद्ध करना होगा कि कल्पेश की आत्महत्या के लिए मेरी पक्षकार दोषी नहीं है। बहुत संभव है कि कल्पेश ने अपने पत्र में सलोनी से 11 साल से जिस जान पहचान का जिक्र किया है वही बात उसके पक्ष में चली जाए। अभी तो ये तीन चार आडियो ही सामने आए हैं यदि (जैसा कि पत्र में कल्पेश ने कहा है) 11वर्षों से फोन पर हुई चर्चा के आडियो बना रही थी तो खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए वह ऐसे आडियो भी पेश कर सकती है जो इस केस में कल्पेश का पक्ष कमजोर साबित कर सकते हैं।
और यह तीसरा पहलु आदित्य चौकसे
अभी तो आदित्य चौकसे ने सलोनी अरोरा को गिरफ्तार कराने में पुलिस की मदद कर दी है, बहुत संभव है कि पुलिस इसे सरकारीगवाह बना ले। यदि कोर्ट में आदित्य पलट गया तो? यह तो इसलिए महत्वपूर्ण है कि चर्चा यह भी है कि कल्पेश से तो सलोनी की टेलिफोनिक अंतरंगता ही सामने आई है आदित्य चौकसे से और अधिक निकटता है। जो सलोनी कल्पेश के आडियो बना सकती है उसके दिमाग में आदित्य को लेकर कुछ ना चल रहा हो यह संभव नहीं। उसे सरकारी गवाह बनते देख कोर्ट में यह पैंतरा भी चल सकती है कि पांच करोड़ की डिमांड वाला रास्ता उसने ही सुझाया था यह तय है कि भय्यूमहाराज के सुसाइड केस का खात्मा जितनी जल्दी हो गया था, यह केस उतना ही अधिक समय लेगा।