केसे तय करवाएं अपनी सैलेरी

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नेहा राज,..

 आप किसी अच्छी कंपनी में काम कर रहे हैं, पर मन में असंतोष है कि सैलेरी अच्छी नहीं मिल रही। ऎसी स्थिति हर किसी के साथ हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि इंटरव्यू में सलेक्ट होने के बाद सैलेरी के विषय में खुलकर बात कर ली जाए। इस मुद्दे पर आपको समझदारी से काम लेना होगा।

 होमवर्क पूरा करें

ज्यादातर कैंडिडेट्स को कंपनी और सैलेरी स्ट्रक्चर के बारे में कोई जानकारी नहीं होती। कई बार कैंडिडेट्स कह देते हैं कि मुझे अपने पद और लेवल के मुताबिक सैलेरी नहीं दी जा रही है। पर इससे पहले आपको कंपनी के सभी पदों और तनख्वाह के बारे में जानकारी जुटा लेनी चाहिए। यह भी याद रखें कि दो फम्र्स की ग्रेड्स समान नहीं हो सकती। साथ ही यह भी पता कर लें कि कंपनी की पे-स्केल, इंक्रीमेंट पॉलिसी और बोनस की नीति क्या है? इसके बाद अपने अनुभव, योग्यता और उपलब्धियों को इन कसौटियों पर परखें। कई बार इंडस्ट्री में मिलने वाले एक्सपोजर पर भी गौर किया जाता है। इसी के अनुरूप वेतन की बात की जाती है।

 घर तक कितना पहुंचेगा?

ज्यादातर युवा मैनेजर्स तनख्वाह फिक्स करवाते समय इस बात पर गौर करते हैं कि आखिर में कट-पिटकर कितने पैसे हाथ में आएंगे? वहीं कंपनियां टोटल कॉस्ट को ध्यान में रखती है। बातचीत के दौरान कैंडिडेट्स दूसरे फायदों को नजरअंदाज करते हैं, वहीं कंपनी सही टैलेंट को खोजने पर फोकस करती है। ज्यादातर कंपनियां मूल तनख्वाह में दीर्घावधि के इंसेंटिव जोड़ती है। इसके बारे में भी कैंडिडेट को ध्यान देना चाहिए। कैंडिटेट को कॉस्ट टू कंपनी के सभी पहलुओं को समझने का प्रयास करना चाहिए। इसके साथ-साथ पिछले सालों से तुलना की जा सकती है कि वैरिएबल कंपोनेंट्स के साथ कितना भुगतान किया जा रहा है।

 आपको चांद भी मिल सकता है!

सैलेरी नेगोसिएशन एक कला है। कई बार समय से पहले, जरूरत से ज्यादा मांग आपकी मेहनत पर पानी फेर सकती है। आपको कंपनी की डिमांड के अनुरूप ही काम करना है। कंपनी जो काम आपको दे रही है, उसकी इंडस्ट्री में क्या वैल्यू है, यह आपको पता होनी चाहिए। इसके बाद इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि कंपनी आगे से क्या ऑफर कर रही है? कंपनी जो पैकेज ऑफर कर रही है, क्या वह इंडस्ट्री और वर्क टाइप के अनुसार नहीं हो, तो आप अपनी बात को पुरजोर तरीके से कह सकते हैं। कई बार आप इंतजार नहीं कर पाते और गलत सैलेरी की मांग के कारण ही नजरअंदाज कर दिए जाते हैं। ऎसे में सही यही है कि आप दूसरे कैंडिडेट्स को मोल-भाव करने दें और अपने पत्ते छुपाकर रखें। आखिर में जितने कम कैंडिडेट्स होंगे, आपकी बात उतने ही ध्यान से सुनी जाएगी। हो सकता है कि फासला नजरों का धोखा हो और चांद आपकी पहुंच में हो।

 … पर मुट्ठी खुली रखनी होगी

कई बार कैंडिडेट बदमिजाज एटिट्यूड के साथ जाते हैं और तनख्वाह में एक फिक्स इजाफे की बात करते हैं। कैंडिटेट को लगता है कि बातचीत से पहले ही अपनी शर्तो को साफ कर दें। पर यह तरीका घातक हो सकता है। बाद में कई बार कैंडिडेट के साथ यही होता है कि चौबेजी छब्बेजी तो बन नहीं पाते, बल्कि दुब्बेजी बनकर रह जाते हैं। मतलब जहां आप कंपनी के मैनेजमेंट से मिलने से पहले ही आप शर्तो को गिना रहे थे, वहीं अब कंपनी अपनी तनख्वाह पर भी आपको रखने से परहेज कर रही है। कुल मिलाकर सैलेरी नेगोसिएशन के समय ज्यादा हार्ड बनने की कोशिश फिजूल है। इससे नुकसान आपका ही होगा। हो सकता है कि आपका काम शानदार हो और इंडस्ट्री में आपकी वैल्यू ज्यादा हो, पर कई बार दाव उल्टा पड़ सकता है। इसलिए होशियारी इसी में है कि ऑफर पर सोचने के लिए समय लें और सही तर्को के आधार पर अपनी बात को रखें।

 हमें कॅरियर चाहिए और पैसा भी

किसी भी शानदार कॅरियर को पैसे से तोलकर देखा जा सकता है, पर यह हमेशा याद रखें कि लालच का कोई अंत नहीं होता। कई बार सैलेरी से ज्यादा लर्निग प्रोसेस और अपाच्र्युनिटी ज्यादा मायने रखती है। जब सब कुछ बैलेंस हो, तभी पैसे की धुन रखनी चाहिए। कैंडिडेट्स को अपनी स्किल्स को इम्प्रूव करने और नए एम्प्लॉयर के अनुरूप सैट करने पर ज्यादा जोर देना चाहिए।

 पैसा के साथ-साथ काम भी बढ़ेगा

जो कैंडिडेट्स सिर्फ ज्यादा से ज्यादा सैलेरी के बारे में सोचते हैं, वे यह भूल जाते हैं कि पैसे के साथ उन पर ज्यादा जिम्मेदारियां और ज्यादा टारगेट्स लादे जाने वाले हैं। अगर आप प्लेसमेंट कंसल्टेंट के संपर्क में हैं, तो खुद को राजा समझने की भूल न करें। आपको लचीला रूख भी अपनाना होगा। अगर काम करने का माद्दा और जुनून है, तो सैलेरी की मांग रखें, पर काम के लिए तैयार भी रहें।

राज्यभर के 125 ब्यूटिशियन 20 को उदयपुर में

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उदयपुर, 17 दिसम्बर। हेयर एण्ड ब्यूटी ऑर्गेनाइजेशन (एचबीओ) का राज्य स्तरीय प्रथम सम्मेलन मंगलवार 20 दिसंबर को होटल इंडिया इंटरनेशन में आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन में 16 शहरों के लगभग 125 ब्यूटी थेरेपिस्ट, हेयर ड्रेसर व मेकअप आट्र्रिस्ट भाग लेंगे।

शनिवार को प्रभात स्पा सैलुन पर आयोजित प्रेसवार्ता में एचबीओ के अध्यक्ष अशोक पालीवाल ने बताया कि सम्मेलन की मुख्य अतिथि ऑल इंडिया हेयर एण्ड ब्यूटी एसोसिएशन (एआईएचबीए) की अध्यक्षा संगीता चौहान होंगी। इस अवसर पर संगीता चौहान द्वारा एआईएचबीए की राजस्थान शाखा का शुभारंभ किया जाएगा। एक दिवसीय यह आयोजन प्रात: 9.30 से सायं 5.30 बजे तक होगा। इसी क्रम में 21 दिसंबर को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की जायेगी।

अशोक पालीवाल ने बताया कि एचबीओ का उद्देश्य एकता को बढ़ावा देना, शिक्षा का महत्व प्रतिपादित करना एवं प्रतियोगिताओं के साथ फैशन व ब्यूटी के क्षेत्र को बढ़ावा देते हुए रोजगार के अवसर प्रदान करना है। संगठन द्वारा राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली प्रतियोगिताओं की तैयारियों के लिए समय-समय पर विशेष प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जायेंगे। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में ट्राइबल कृष्णा की थीम पर फैशन 2012 रेम्प शॉ का आयोजन किया जाएगा जिसकी क्रिएटिव टीम में श्वेताशा पालीवाल, तृप्ति वैष्णव, मंजू शर्मा, पुष्कर सेन तथा आशा पालीवाल को शामिल किया गया है।

पालीवाल ने बताया कि सम्मेलन में बाल, नाखून, त्वचा आदि की देखभाल करने हेतु हेयर ड्रेसर व ब्यूटिशियन प्रजेन्टेंशन देंगे। सम्मेलन में राष्ट्रीय स्तर की टॉप ब्यूटी मेग्जिन सेलोन इंटरनेशनल, हनीमनी, आईडीवा, ब्यूटी टूडे तथा स्टाइल स्पीक के प्रतिनिधि भी भाग लेंगे।

 

तेज चले और रहे मौत से दूर

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नेहा राज ,

सिडनी, 16 दिसम्बर (आईएएनएस)। एक नये अध्ययन के अनुसार 70 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र का व्यक्ति अगर पांच किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलता है, तो उसके लम्बे समय तक जीने की उम्मीद होती है।

सिडनी में कोंकोर्ड अस्पताल के शोधकर्ताओं ने “कोंकोर्ड हेल्थ एंड ऎजिंग इन मैन्स प्रोजेक्ट”(सीएचएएमपी) में हिस्सा लेने वाले 70 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 1,705 पुरूषों के चलने के तौर-तरीका का विश्£ेक्षण किया है।

अस्पताल के बयान के अनुसार अध्ययन में हिस्सा लेने वाले आधे लोगों का जन्म आस्ट्रेलिया में ही हुआ था, जबकि 20 प्रतिशत लोगों का जन्म इटली में हुआ। ब्रिटेन, ग्रीस और चीन में पैदा हुए लोगों को भी अध्ययन में शामिल किया गया था।

अध्ययन के दौरान कुल 266 मौतें हुई। परिणामों से पता चलता है कि इन सभी की चलने की औसतन रफ्तार 0.88 मीटर प्रति सेकेंड(एमपीएस) थी। वहीं 1.36 एमपीएस(पांच केएमपीएस) और इसके अधिक रफ्तार से चलने वाले लोगों में किसी की भी मौत नहीं हुई।

कैंसर के प्रति सचेत रहें – राज्यपाल

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उदयपुर, 16 दिसम्बर/ राज्यपाल शिवराज वी.पाटील ने चिकित्सकों, शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों एवं मीडिया जगत का आह्वान किया कि वे केंसर जैसी गंभीर बीमारी की प्रभावी रोकथाम के लिए अग्रणी शोध कार्यों को बढ़ावा देते हुए आम जनता को जागरूक करने के लिये प्रतिबद्ध हां।

राज्यपाल आज यहां उदयपुर के इन्दर रेजीडेंसी में आयोजित ट्रांसलेशनल केंसर रिसर्च की चौथी कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।

श्री पाटील ने कहा कि केंसर रोग एक घातक रोग होने के बावजूद समय पर इलाज से निदान योग्य है। उन्होंने कहा कि भारतीय परिवेश में जीवन शैली में परिवर्तन कर इस घातक रोग से बचाव संभव है। उन्होंने कहा कि आम आदमी को केंसर जैसी गंभीर बीमारी के बारे में तब पता चलता है जब रोगी केंसर रोग के अंतिम दौर तक पहुंच जाता है। ऐसी स्थिति में इलेक्ट्रॉनिक व प्रिन्ट मीडिया को चाहिए कि वे आम जन चिकित्सकों व विशेषज्ञों से रोग के लक्षणों के बारे में जागरूक करें ताकि वे समय रहते इस रोग की पहचान कर इसका इलाज करवा सके।

उन्होंने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के समाज के बीच स्वतंत्रा प्रवाह के लिए विशेषज्ञों को प्रोत्साहित करने की महती जरूरत है तभी विकास का वास्तविक लाभ हर वर्ग को मिल सकेगा।

इस सिम्पोजियम का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चार एवं हवन के साथ हुआ, जिसकी विद्वानों ने वैज्ञानिक व्याख्या भी की। सिम्पोजियम में देश-विदेश के 200 से अधिक प्रतिभागी शिरकत कर रहे हैं।

आरंभ में प्रो.उमन वी.उमन ने स्वागत भाषण दिया जबकि भरत अग्रवाल ने सिम्पोजियम का परिचय दिया। राजेश ग्रोवर ने महामहिम राज्यपाल का परिचय दिया। जबकि कपिल मेहता ने गत आयोजनों पर विस्तार से जानकारी दी। आभार वर्षा गांधी ने जताया।

समारोह में सुखाड़िया विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रो.महिप भटनागर, प्रो.सेन पाठक, जिला कलक्टर हेमन्त गेरा सहित देश- विदेश के विषय विशेषज्ञ मौजूद थे।

 

कल गलियाकोट आएंगे डा. सैयदना साहब

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रविवार शाम 4 बजे पहुंचेंगे, स्टेट गेस्ट होंगे, उदयपुर भी आने की संभावना, बोहरा समाज में खुशी की लहर

 रविवार शाम ४ बजे पहुचेगे गलियाकोट 

 दाऊदी बोहरा समाज के धर्मगुरु दाई फातिमी डा. सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन साहब रविवार को सरजमीं ए राजस्थान के कस्बे गलियाकोट (डूंगरपुर) आएंगे। साहबजादे (पुत्र) सैयदना मुफद्दल भाई भी उनके साथ रहेंगे। वे लोनावाला (खंडाला) से हेलीकॉप्टर से शाम चार बजे गलियाकोट स्थित हेलीपैड पर उतरेंगे, जहां से वे सैयदी फखरुद्दीन शहीद साहब की दरगाह में जियारत करेंगे और दरगाह परिसर में ही ठहरेंगे। सोमवार सुबह वापस उनके मुंबई जाने की सम्भावना है जब तक रहेंगे राज्य सरकार के मेहमान होंगे। उनके आगमन की खबर से बोहरा समाज में खुशी की लहर है और अकीदतमंदों ने उनके इस्तकबाल की तैयारियां शुरू कर दी हैं।

इनकी लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। शेख मुस्तफा के मुताबिक डा. सैयदना साहब गलियाकोट दरगाह परिसर में रहेंगे और तकरीर (प्रवचन) करेंगे। शनिवार से उनके प्रतिदिन का प्रोग्राम तय कर जारी किया जाएगा।

 कौन हैं डा. सैयदना साहब

दाई फातिमी डा. सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन साहब दाऊदी बोहरा समाज के 52वें दाई उल मुतलक (धर्मगुरु) हैं। उनके वालिद सैयदना ताहेर सैफुद्दीन के दुनिया से परदा लेने (इंतकाल) के बाद उन्हें यह पद हासिल हुआ। उनकी उम्र 101 वर्ष बताई जाती है। 13 साल की उम्र में उन्होंने दीनी तालीम पूरी कर ली थी। दुनिया के कई देशों में उनके मानने वाले हैं और वे ज्यादातर देशों की यात्रा कर चुके हैं। अरेबिक एकेडमी से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। इजिप्ट की अल अजहर यूनिवर्सिटी से उन्होंने डाक्टर ऑफ इस्लामिक साइंस, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से डाक्टर ऑफ थियोलॉजी, इराक में करबला की अहलुल बेत यूनिवर्सिटी से शहादत ए तकदीर, कराची यूनिवर्सिटी से डाक्टर ऑफ लिटरेचर की उपाधि हासिल की है। जॉर्डन सरकार ने उन्हें स्टार ऑफ जॉर्डन से नवाजा है। टेक्सास सरकार ने भी उन्हें स्टार ऑफ टेक्सास से नवाजा है। मक्का, मदीना, जॉर्डन, इजिप्ट सहित कई देशों में धार्मिक परियोजनाओं में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

 

लोक कलाओं का महाकुम्भ शिल्पग्राम उत्सव 21

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उदयपुर , 16 दिसम्बर । पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा आयोजीय लोक कलाओं का महाकुंभ शिल्पग्राम उत्सव आगामी 21 से 30 दिसम्बर तक हवाला गांव स्थित शिल्पग्राम में आयोजित किया जाएगा। उत्सव में 16 राज्यों के 600 लोक कलाकार एवं 400 शिल्पी प्रतिभागिता करगें। कार्यक्रम की तय्यारियां अंतिम चरण में है।

यह जानकारी यहाँ शुक्रवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में केन्द्र के अतिरिक्त निदेशक फुरकान खान ने दी। उन्होंने बताया कि वर्ष 1986 में स्थापित इस सांस्कृतिक केन्द्र का यहाँ रजत जयंती वर्ष है। इसलिए इस वर्ष इस आयोजन के कार्यक्रम को परिष्कृत किया गया है। उत्सव का उद्घाटन प्रदेश के राज्यपाल शिवराज पाटिल करेंगे जबकि महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय्ा के कुलपति एस.एस. चाहल विशेष अतिथि होंगे।

देश की लोक कला अनूठी शिल्प परंपरा के प्रोत्साहन तथा कलाकारों व शिल्पकारों को कला प्रदर्शन के लिये मंच उपलब्ध करवाने तथा शिल्प साधकों को शिल्प उत्पादों के विपणन के लिये बाजार उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से केन्द्र द्वारा इस उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। उत्सव में केन्द्र को विकास आयुक्त हस्त शिल्प नई दिल्ली, विकास आयुक्त हथकरघा नई दिल्ली, केन्द्रीय ऊन विकास बोर्ड, वस्त्र् मंत्रालय नई दिल्ली, राष्ट्रीय पटसन बोर्ड वस्त्र् मंत्रालय

नई दिल्ली, देश के समस्त क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्रों, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के सदस्य राज्य राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा गोवा राज्य सरकार का रचनात्मक सहयोग रहेगा। इन सहभागी संस्थाओं द्वारा लोक कलाकार व शिल्पकार उत्सव हेतु उदयपुर आमंतरित किया गया हैं। पश्चिम क्षेत्र्ा सांस्कृतिक केन्द्र इस वर्ष अपना रजत जयंती वर्ष मना रहा है। शिल्पग्राम उत्सव के दौरान केन्द्र अपने सदस्य राज्यों की कला प्रस्तुतियों का विशेष आयोजन करने जा रहा है। इसके अतर्गत 22 दिसम्बर को ’’महाराष्ट्र दिवस’’, 23 दिसम्बर को ’’गोवा दिवस’’, 24 दिसम्बर को ’’गुजरात दिवस’’ तथा 25 दिसम्बर को ’’राजस्थान दिवस’’ का आयोजन विशेष रूप से किया जायेगा । इस अवसर पर इन राज्यों के कला एवं संस्कृति विभागों द्वारा विशेष कला दल उत्सव हेतु भिजवाय जा रहे हैं। उत्सव में ही 26 दिसम्बर को ’’लोक तरंग’’, 27 दिसम्बर को ’’उडान’’, 28 दिसम्बर को ’’सप्तरंग’’ 29 दिसम्बर को ’’धरोहर’’ तथा 3. दिसम्बर को समापन अवसर पर ’’झंकार ’’ का आयोजन किया जायेगा। 27 सितम्बर को आयोजित ’’उडान’’ में इंडिया गॉट टेलेन्ट के अंतर्गत प्रस्तुति दे चुके पाशा व उनके दल के विशेष बच्चों की प्रस्तुतिया विशेष आकर्षण का केन्द्र होंगी। उत्सव में ही 29 दिसम्बर को ’’धरोहर’’ में सुप्रसिद्ध पण्डवानी गायीका पद्मभूषण तीजन बाई के श्रीमुख से महाभारत की गाथा के श्रवण का अवसर कला रसिकों मिल सकेगा। दस दिवसीय उत्सव के दौरान अपरान्ह 12 बजे से हाट बाजार प्रारम्भ होगा जहां आगंतुकों को भात के विभिन्न राज्य के शिल्प उत्पाद देखने व खरीदने का अवसर मिलेगा। उत्सव के दौरान रोजाना शाम 6 बजे से मुक्ताकाशी रंगमंच ’’कलांगन’’ पर लोक कलाकारों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया जायेगा।

बैण्ड की धून से हुए पुलिसकर्मी के कान खामोश

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उदयपुर, 15 दिसम्बर । ध्वनि प्रदूषण के चलते एक पुलिसकर्मी को बहरेपन का शिकार होना पडा है, तथा अभी भी अस्पताल में उपचाररत है।

प्रकरण के अनुसार गत 11 दिसम्बर को टाउनहाल से एक धार्मिक यात्रा ऋषभदेव के लिए रवाना हुई। इस यात्रा में लगे पुलिस जाप्ते में सूरजपोल थाने का सिपाही रोहीताश चौधरी भी शामिल था। इस धर्मसभा में बैण्ड भी शामिल था। इस बैण्ड की धूनों को सुनते सुनते साथ चल रहे रोहीताश के कान कब खामोश हो गए उसे पता ही नहीं चला।

यात्रा के पारस से गुजर जाने के बाद जब रोहीताश के साथ पुलिसकर्मियों ने उसे आवाज लगाई तो उसके ध्यान नहीं देने पर उसके साथियों को शंका हुई। इधर रोहीताश को भी अपने साथियों के होठ हिलते नजर आए सुनाई नहीं दिया। साथी पुलिसकर्मी रोहीताश को महाराणा भूपाल चिकित्सालय के नाक कान गला विभाग में ले गए वह अभी भी उपचाररत है। चिकित्सकों का कहना है कि बैण्ड की कर्कश धूनो से उसके कानों की श्रवण शत्ति€ अस्थायी तौर पर निष्क्रिय हो गई है, लेकिन उपचार के बाद रोहीताश के कानों में पुनःश्रवण शक्ति लौट आएगी।

जिला दर्शन और सुनहरा सफ़र

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वर्तमान सरकार के तीन वर्ष

 उदयपुर, 15 दिसम्बर/जिले के प्रभारी व ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्राी महेन्द्रजीत सिंह मालविया ने आज सूचना केन्द्र में वर्तमान सरकार के तीन वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के उपरान्त आयोजित कार्यक्रम में ‘‘ जिला दर्शन: उदयपुर’’ नामक पुस्तक का विधिवत विमोचन किया। पुस्तक का प्रकाशन जिला प्रशासन व सूचना एवं जन सम्पर्क कार्यालय द्वारा किया गया। पुस्तक में उदयपुर जिले में पिछले तीन वर्षो में सरकार के फ्लेगशिल कार्यक्रमों, नवाचारों एवं विभिन्न विभागों की उपलब्धियों का समावेश किया गया हैं।

इस अवसर पर मालविया ने कहा कि लोक राहत की धारा प्रवाही योजनाओं के क्रियान्वयन से सरकार ने जन-जन की सरकार होने का दायित्व पूरा कर दिखाया हैं।

उन्हांेने कहा कि लोक सेवा प्रदान करने की गारंटी का अधिकार-2011 को लागू कर जनता के प्रति सरकार के दायित्वों की प्रभावी क्रियान्विति सुनिश्चित की हैं। उन्होंने कहा कि मेवाड़ की महत्ती पेयजल परियोजना देवास को प्रतिबद्धता के साथ समय निर्धारण के साथ पूरा कर अनूठी सौगात दी गई हैं। इससे उदयपुर की लाइफलाईन झीले वर्षपर्यन्त भरी रहने का सपना भी साकार होगा।

आदिवासी अंचल के लिए चलाये जा रहे गतिमान प्रशासन कार्यक्रम की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी गतिविधियां नवाचारों में शामिल करना प्रशासन की दूरदर्शिता का परिचायक हैं। उन्होंने बताया कि इस अनूठी योजना के माध्यम से दूरस्थ आदिवासी अंचल के लोगों की समस्याओं के त्वरित समाधान होने में मदद मिलेगी।

-‘‘ तीन वर्ष का सुनहरा सफर ’’ प्रदर्शनी का शुभारंभ

उदयपुर, 15 दिसम्बर/वर्तमान सरकार के तीन वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में राज्य व स्थानीय उपलब्धियों पर आधारित प्रदर्शनी ‘‘ तीन वर्ष का सुनहरा सफर ’’ का शुभारंभ जिला प्रभारी व ग्रामीण विकास एवं पचायतीराज मंत्राी महेन्द्रजीत सिंह मालविया ने आज सूचना केन्द्र में विधिवत फीता काट कर किया।

सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों एवं कल्याणकारी योजनाओं की क्रियान्विति को आकर्षक छायाचित्रों द्वारा दर्शाया गया।

प्रदर्शनी में आयुर्वेद, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, नगर विकास प्रन्यास, कृषि, सर्वशिक्षा, वन एवं वन्यजीव, डेयरी, एसआईईआरटी, महिला एवं बालविकास, ग्रामीण विकास पंचायतीराज आदि विभागों ने भी अपने विभागों की योजनाओं और उपलब्धियों को आकर्षक रुप से प्रदर्शित किया।

तिमान प्रशासन रवाना

सूचना केन्द्र में आयोजित कार्यक्रमों के दौरान ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज तथा जनजाति क्षेत्राीय विकास मंत्राी महेन्द्रजीत सिंह मालविया ने दूरस्थ आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रा कोटड़ा क्षेत्रा में सरकारी सेवाओं की सुनिश्चिता के लिए गतिमान प्रशासन योजना के तहत करीब 50 लाख रुपये की लागत से तैयार की गई मोबाईल ऑफिस बस को हरी झण्डी दिखा कर कोटड़ा के लिए अर्पित किया। उन्होंने बस में सृर्जित की गई सुविधाओं का अवलोकन भी किया|

 

जायके का शहंशाह “हलीम”

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 उदयपुर मुस्लिम दस्तरखानो की जितना जायका बिरयानी , पुलाव , ज़र्दा , तंदूरी चिकन आदि से है उससे कही ज्यादा जायका हलीम से है | हिन्दुतान ही नहीं दुनिया में गरीबों के दस्तरखानों से लेकर अमीरों कि पार्टियों तक सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला खानों में अपनी जगह बनाने वाली डिश का नाम है हलीम| हमारे यह मुहर्रम का महिना वेसे तो इमाम हुसैन की याद और उनकी शहादत लिए आता है | लेकिन इस महीने में जिस खास डिश का इंतजार रहता हे वो हे हलीम| मुहर्रम की पहली तारीख से ही यहाँ हर गली मोहल्ले में आप हलिम की डेगे पकती हुई देख सकते है जो सिलसिला ४० दिन तक चलता रहता है , और इसके जायके की दीवानगी देखिये की इसको खाने की दावत कही नहीं देनी पड़ती लोग बस देख के चले आते है और देखते ही देखते चन्द घंटों में डेगे खाली हो जाती है | जयका कुछ एसा होता है की लोग उँगलियाँ चाटते रह जाएँ |

हिंदुस्तान , पकिस्तान , बंगलादेश , अफगानिस्तान ,इरान आदि मुल्को में बहुत पसन्द किया जाने वाली इस डिश के बारे में क्या आपने कभी सोचा है इसकी शुरुआत केसे कहाँ से हुई और आज दुनिया में किस तरह बनाया जाता है | हैदराबादी हलिम को सितम्बर २०१० में जी.आई. प्रमाण पत्र मिला दुनिया की जुबान हलीम के जायके को चखने के लिए बेताब होगई और लोगो का रुख हेदराबादी हलिम की तरफ होने लगा |

गेहूं, दालें, सब्जियों को एक साथ डालकर करीब ७ से ८ घंटे तक लगातार पकने के बाद बनने वाला ये खाना इतना फायदेमंद है की डॉक्टर खुद भी इस कि खूबियों के कायल है | मोटा रेशा होने की वजह से ये न सिर्फ शरीर को प्रोटीन देता हे बल्कि आयरन मैग्नीशियम और बहुत सारी केलोरी भी देता है साथ ही इन्सान के पाचन तंत्र को भी बेहतर करता है \

हलीम की शुरुआत को लेकर कई बातें है ,लेकिन इतिहास के और धार्मिक धारणाओं के तहत हलीम को नुह अलेहिस्स्लाम ( मुस्लिम पैगम्बर ) के समय में तैयार किया गया था जब उनकी कश्ती जूदी पहाड़ पर आकर रुकी थी तब उसके पास बचे हुए सामानों से बनाया गया खाना हलीम कहलाया मुहर्रम के दिनों में इसकी इसलिए अहमियत है क्यों की नुह अलेहिस्सलाम की कश्ती जूदी पहाड़ पर मुहर्रम की १० तारीख को ही आकर रुकी थी |

हिन्दुस्तान में हलीम

हिन्दुस्तान में हलीम की शुरुआत शैख़ नवाब जंग बहादुर के वक़्त से मानी जाती है यमन के सफ़र के दौरान उन्होंने वह हलिम का जायका चखा और उन्हें इतना पसंद आया की वह की वहा से नवाब हलिम बनाने वाले कारीगरों को ले आये \ और तब से हिन्दुअतान में हलिम की शुरुआत हुई तो आज हर गली मोहल्लो की शान और सबसे ज्यादा पसन्द किया जाने वाला पकवान बन चूका है |

और अब तो ये आलम है की हलिम की पार्टियाँ होती है | रोज़ा इफ्तार के लिए में भी कई जगह अहम् डिश होती है | और कई मुज्स्लिम बाहुल्य इलाको में ये कारोबार का दर्ज़ा भी लग चूका है |

अलग अलग जगह ये अलग अलग नमो से जाना जाता है इरान में इस को “हरीसा” कहते हे तो हिन्दुस्तान ,पाकिस्तान में इसको हलीम कहते हे और हमारे यहाँ इस को “खिचड़ा” भी कहते हे

 

श्रीजी ने किया पैलेस कैलेण्डर का विमोचन

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उदयपुर, 15 दिसंबर। महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर के अध्यक्ष एवं प्रबंध न्यासी श्रीजी अरविन्द सिंह मेवाड़ ने गुरूवार को महाराणा मेवाड़ हिस्टोरिकल पब्लिकेशन ट्रस्ट द्वारा पैलेस ऑर्गेनाइजेशन के लिए प्रकाशित नए वर्ष कैलेण्डर 2012 का विमोचन किया।

 

ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित वर्ष 2012 के कैलेण्डर में मेवाड़ वंश के ऐतिहासिक अस्त्र-शस्त्र ·के चित्र प्रकाशित किए गए हैं। कुल एक से पन्द्रह अंक तक दिए गए चित्रों में 1 अंक पर ढाल, 2 पर तलवार खांडा, 3 पर तलवार (खांडा-सुलेमानशाही दस्ता ·टार तमंचा), 4 पर तोड़ादार बंदू·, 5 पर गुर्ज, 6 पर सुरक्षा ·वच-खपाटा (चार आईना), 7 पर गदा, 8 पर तोड़ादार बंदू·, 9 पर फरसी चोंच (तबर-जगनोल), 10 पर चोंच-जगनोल, 11 पर दस्ता-दराज (तबलमय तमंचा), 12 पर तीर-कमान, 13 पर सज्जन कटार (दस्ता दराज), 14 पर एक· म्यान दो तलवार, 15 पर कटार (जामघर-टाईगर नाइफ) प्रकाशित किए गए हैं। कैलेण्डर में 12 मास के त्यौहार तिथि के अतिरिक्त पंडित नरेन्द्र मिश्र कि ओजस्वी कविताएं प्रकाशित हैं। कैलेण्डर के अंतिम दो पृष्ठों में मेवाड़ वंश के ऐतिहासिक अस्त्र-शस्त्र पर आलेख के साथ ही अन्य प्रमुख हथियार जैसे कि जांबिया, खंजर, तलवार, पट्टा, मर्दाना, भाला, पिस्तौल एवं तोप के सचित्र विवरण दिए गए हैं। कैलेण्डर विमोचन के दौरान महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर के पदाधिकारी उपस्थित थे। कैलेण्डर का चित्रण नारायण एस. महर्षि ने किया है।