कटारिया के जन्म दिन पर वृक्षा रोपण

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उदयपुर,। नानेश सेवा संस्थान की ओर से नगर विधाय· गुलाबचंद कटारिया का 68वें जन्म दिवस पर न्यू भूपालपुरा में सौ फीट रोड पर 68 वृक्षों का रोपण किया गया। गुरुवार को होटल रॉयल इन में नानेश सेवा संस्थान के आयोजित वृक्षारोपण समारोह में बोलते हुए पूर्व गृहमंत्री एवं नगर विधाय· गुलाबचंद ·टारिया ने कहा कि संस्थान सबसे बड़े सेवा के संकल्प का बेड़ा हाथ में उठाये हुए है। आर्थिक रूप से कमजोर नई पीढ़ी को शिक्षित करना सबसे बड़ी सेवा है। इस दायित्व को संस्था बखूबी निभा रही है। इससे पूर्व संस्थान को अध्यक्ष पूर्व पार्षद नानालाल वया ने शब्दों द्वारा स्वागत किया। संरक्षक अमरसिंह सांखला ने संस्थान कि गतिविधियों पर प्रकाश डाला। समारोह में मौजूद सभी गणमान्य सदस्यों ने पुष्पहार पहनाकर कटारिया को जनम दिन कि शुभकामनाएं दी। संस्थान अध्यक्ष एवं अन्य पदाधिकारियेां ने 68 किलोग्राम फूलों का हार, पगड़ी, शॉल एवं उपरणा पहनाकर जोरदार स्वागत किया। समारोह में अतिथि पूर्व कुलपति बी.आर. चौधरी, भाजपा प्रदेश मंत्री प्रमोद सामर, जिलाध्यक्ष दिनेश भट्ट, प्रदेश प्रतिनिधि मांगीलाल जोशी एवं संस्थान के वरिष्ठ संरक्षक शंकरलाल वया मंचासीन थे। समारोह का संचालन संजय खाब्या ने किया। इस अवसर पर राजसमंद के पूर्व विधायक बंशीलाल खटीक, पालिका के पूर्व अध्यक्ष अशक· रांका, चित्तौड़ सेंट्रल बैंक के अध्यक्ष चन्द्रभानसिंह सहित विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने पुष्पहार, तस्वीर एवं शॉल उपरणे से ·टारिया का स्वागत किया।

दीपावली-दशहरा झ-मेला 2011

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  रिपोर्ट – मनु राव ( इन न्यूज़ , संपादक)      

 

                 प्रशासन-परिषद की प्रतिष्ठा का सवाल !!!!

 उदयपुर। नगर परिषद द्वारा आयोजित किए जाने वाले सालाना मेले में इस बार कई अड़चने पैदा हो रही है। परिषद और प्रशासन  के बीच वाक युद्ध लगातार जारी है। पत्राचार के जरिए फरमान जारी किए जा रहें है। लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। मेले के लिए परिषद द्वारा बनाई गई हाई पावर कमेटी ने अन्तिम निर्णय लेते हुए इतिश्री कर ली है,लेकिन प्रशासन  की ओर से अभी तक खुली स्वीकृति नहीं मिलने से असमंझस की स्थिति बनी हुई है।

इधरलाखों रूपए खर्च कर बुलाए जाने वाले कलाकारों की प्रस्तुतियों को रात 10 बजे बाद नहीं चलाने का आदेष भी परिषद के लिए चुनौती बन गया है।

                                                     मेला कैसे बना झमेला ???

प्रशासन चाहता था कि मेला टाउन हॉल की बजाए  गाँधी ग्राउण्ड,बी.एन या एम बी ग्राउण्ड में आयोजित किया जाए ताकि सुरक्षा व्यवस्था नहीं बिगड़े। जिला कलेक्टर साहब की ये सलाह सभापति और पार्षदों को नगवार गुजरी और सभी चल दिए कलेक्टर साहब के पास, एक साथ कई लोगों को अपने चैम्बर में घुसता देख वे गुस्सा गए और सभापति को छोड़ सभी को बाहर निकाल दिया। कलेक्टर साहब का बर्ताव देख जनप्रतिनिधियों को शर्मिंदगी महसूस हुई बाद में सभापति महोदया भी आ गई और सभी परिषद आ गए और ठान ली की मेला तो टाउन हॉल में ही होगा। इस पर प्रशासन  की ओर से तुगलकी फरमान जारी कर दिए गए,जिसमें मेले की सुरक्षा व्यवस्था,कितने मेलार्थी एक दिन में आएंगे,कितनी एम्बूलेंस होगी, आपात स्थिति में निबटने के सवालों जैसी एक लम्बी फेरिस्त उस फरमान में थी। परिषद इसका जवाब देती इससे पहले ही सुप्रीम कोर्ट के निर्णयानुसार 10 बजे तक ही लाउड स्पीकर बजाने का आदेष प्रषासन की ओर से परिषद को सौंप दिया गया। बहरहाल प्रशासन  अपनी जगह अड़ा हुआ है, और परिषद अपनी जगह,लेकिन दोनों की प्रतिष्ठा के झगडे़ को देखते हुए जनता को तो मेले से पहले ही मनोरंजन हो रहा है।

                                 सुप्रीम कोर्ट का आदेष इस बार ही याद क्यों आया !!!

रात दस बजे लाउड स्पीकर नहीं बजाने का आदेष प्रशासन  को मेले के दौरान ही क्यों याद आ रहा है। क्या इससे पहले उदयपुर में 10 बजे बाद कोई लाउड स्पीकर नहीं बजाए गए। हम याद दिलाना चाहते है कि यूथ फेस्टिवल के दौरान तो 12 बजे तक समारोह चलते रहे और शायद पूरा प्रषासनिक अमला सपरिवार उसमें मौजूद था। उस समय आदेष याद नहीं क्यों नहीं आया। इतना ही नहीं राजमहल,जगमंदिर,सहित शहर की कई पांच सितारा होटलों में तो अलसुबह तक लाउड स्पीकर बजते रहते है और क्षेत्र की जनता की नींद हराम हो जाती है,इन पर आदेष लागू क्यों नहीं होता। बात सीधी है यहां भी बात जनता की आ जाती है और प्रषासन को जनता से कोई रसूखात नहीं है,वो तो सिर्फ रसूखदारों के लिए ही काम करता है।

पहले निबटे अन्दर का झमेला !!!!!

 इधर फ्रांस दौरे से लौटी नगर नायक रजनी को भी हाई पावर कमेटी की बैठक में समिति अध्यक्षों की खूब खरी खोटी सुननी पड़ी,सभी का आरोप था कि जब सभी निर्णय खुद ही करने थे तो कमेटिया बनाने की क्या जरूरत थी। बैठक में मीडिया का प्रवेश तो निषेद्ध था, लेकिन सूत्रों से पता चला है कि इस बैठक में पारस सिंघवी ने रजनी डांगी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पहले ही पाण्डाल का ठेका कैसे दे दिया गया और वह भी 12 लाख रूपए में अगर वो होते तो जनता को करीब 2 लाख रूपया बच सकता,इधर अर्चना शर्मा,विजय आहूजा, मोहम्मद अयूब ने भी अपने-अपने स्तर पर नाराजगी जताई।

 गुटबाजी भी बनेगी अड़चन ???

मेले के दौरान एक दूसरे को नीचा दिखाने का  खेल होने की संभावनाएं भी जताई जा रही है। धड़े में बंटे पार्षद इस सोच विचार में लगे है कि मैले के दौरान ऐसा क्या करें कि मनोरंजन भी हो जाए और प्रतिद्वंदी की फजीती भी हो जाए। यहां भी ताराचंद जैन और गुलाब चन्द कटारिया गुट अपना वजूद दिखाने का पूरा प्रयास कर रहा है। इधर कांग्रेस का हाल तो इससे भी बदत्तर है। प्रतिपक्ष का नेता बनने की लालसा ने इन पार्षदों को एक दूजे का दुश्मन बना दिया है,यहीं कारण है कि इन दिनों ये सत्ता पक्ष का विरोध कम और अपने ही पार्षदों की खिंचाई करने का काम ज्यादा कर रहे हैं। ऐसे हालातों में मेले में ये सब लोग अपने कर्तव्यों की पालना कैसे करेंगे ये भी सोचने का विषय है।

पार्षदों में हुई हाथापाई

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उदयपुर दशहरा , दीपावली मेला आयोजन की हाई पावर कमेटी की बैठक के बाद किसी बात को लेकर निर्माण समिति अध्यक्ष और वार्ड 9 के पार्षद गंगा राम तेली के बिच विवाद होगया बात ज्यादा बड़ने पर हाथापाई की नोबत तक आगई , लेकिन मोजूद अन्य पार्षदों ने बिच बचाव कर मामले को शांत किया , सूत्रों के अनुसार, नियमानुसार हर वार्ड में परिषद् निर्माण समिति कमेटी क्रमवार दोरा करने निकलती हे मंगलवार को वार्ड 9 में टीम नहीं पहुचने पर कनिष्ठ अभियंता गिरीश जोशी से पूछने पर उन्होंने निर्माण समिति अध्यक्ष प्रेम सिंह सक्तावत से संपर्क करने को कहा , सक्तावत से बात करने पर , सक्तावत ने कहा की पहले वाले वार्ड में समय ज्यादा होजाने पर अगले दिन दोरा होगा इसी बात को लेकर दोनों में आपस में झड़प होगई

पहली बार रोटरी मेला तीन दिन तक

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उदयपुर , रोटरी क्लब द्वारा हर साल लगाया जाने वाला रोटरी मेला इस साल तीन दिन तक चलेगा , क्लब के इतिहास में यह पहली बार हो रहा हे की मेला तीन दिन तक चलेगा , रोटरी मेला-२०११ इस बार १४ – १६ अक्टूबर तक चलेगा , और यह बी.एन . कोलेज ग्राउंड में होगा , प्रवेश निशुल्क रहेगा , मेला इस बार भी पारिवारिक और संस्कृति और मनोरंजन से भरपूर होगा ,मेला चेयरमेन शुशील बतिया ने बताया की इस बार भी ३० रूपये का रेफल टिकिट रखा हे , और इससे प्राप्त आय से इस वर्ष स्थायी सेवा कार्यों में किया जायेगा , मेला लग भग ९० हज़ार वर्ग फिट में आयोजित किया जायेगा और करीब एक लाख लोगो के आने की उम्मीद है

भारत में सवा करोड़ लोग अन्धेपन से पीड़ित

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हर साल मनाये जाने वाले विश्व द्रष्टि दिवस की सार्थकता तभी सिद्ध होगी जब विश्व में अन्धे पन से पीड़ित 4 करोड़ से जयादा लोगों को राहत मिलेगी अकेले भारत में ही सवा करोड़ पीड़ित हे और सबसे बड़ी बात तो ये की एक करोड़ लोग ग्रामीण है जिन्हें ये रोग हे .

अलख नयन मंदिर और विज़न 2020 द राईट टू साईट इंडिया संसथान के सयुंक्त तत्वाधान में विश्व द्रष्टि दिवस की दो दिवसी कार्यशाला आज से शुरू हो गई ,

अगर इस रोग को दूर करने के प्रयास नहीं किये गए तो 2020 तक रोगियों की संख्या डेड़ करोड़ हो जाएगी,और इसी को रोकने के लिए प्रति वर्ष विश्व द्रष्टि का आयोजन होता हे , इस का मुख्य उद्देश्य विश्व में बदती अन्धता को रोकना हे ,

अलख नयन मंदिर की कार्यकारी ट्रस्टी श्रीमती डॉ. लक्ष्मी झाला ने बताया की भारत विश्व स्वास्थ संगठन का एक सदस्य होने के नाते अपने देश में अन्धता से पीड़ित लोगो की संख्या कम करने के लिए बराबर प्रयास रत है .

और उन्होंने बताया की अलख नयन मंदिर द्वारा विश्व द्रष्टि दिवस १२ और १३ अक्टूबर को विज़न २०२० द राईट टू साईट इंडिया संसथान के साथ मिलकर उदयपुर में आयोजित किये जा रहे दो दिवसीय अधिवेशन का मुख्य उद्देश्य देश में अन्धता का निवारण करना है ,

परिषद् की नीलामी में चली . धमकी , गुंडागर्दी और दादागिरी

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उदयपुर। बोली दाताओं को धमकाना, डराना व पुल बनाना वैसे तो नीलामी को निरस्त करने के लिए काफी है लेकीन नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए बुधवार 12 अक्टूबर को नगर परिषद् में राजस्व समिति अध्यक्ष अर्चना शर्मा, राजस्व अधिकरी एमएल सामर के सामने प्रभावशाली लोगों ने खुलकर दादागिरी की| नगर परिषद् में राजस्व अधिकरी द्वारा जब चेतक मुख्य डाक घर में सामने नगर परिषद् की बनी तीन दुकानों की बोली शुरू हुई तो कुछ असामाजिक तत्वों और प्रभावशाली लोगों ने खुलकर गुंडागर्दी और दादागिरी की |

आज दिन में नगर परिषद् की इन तीनो दुकानों की बोली लगनी थी, जिसके शुरू होने के पहले ही इन दिनों नगर परिषद् में सक्रिय हुए कुछ भू माफिया और दादा किस्म के लोगों ने आपस में गुट बना कर बोली लगाने का फैसला किया, इसी दौरान बोली लगाने क लिए पहुचे विशाल अग्रवाल को भी इस गुट में शामिल करने की मंशा से बहार बुलाया गया लेकिन विशाल अग्रवाल बाहर नहीं गया और उसने अपने हिसाब से स्वतंत्र बोली लगानी शुरू की, जब इन दादाओं ने बात बिगड़ते देखी तो वे खुल कर दादागिरी पर उतर आये और विशाल अग्रवाल को बोली नहीं लगाने की चेतावनी देते हुए कहा की अगर उसने ऊँची बोली लगायी तो हाथ पांव तोड़ने की धमकी दी, धमकी क बाद भी जब विशाल अग्रवाल अपनी बात पर अड़ा रहा तो दोबारा उसे धमकाते हुए कहा की उसकी बोली सफल भी हुई तो तुझे दुकान नहीं खोलने देंगे| लेकिन विशाल अपनी बात पर अडिग रहे और धमकी देने वालो की नहीं चल पाई, बाद में रेट उचित नहीं होने पर बोली निरस्त कर दी गयी|

परीक्षा सम्बंधित जानकारियां अब sms और e-mail के ज़रिये

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उदयपुर.सुखाड़िया विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों के 1.20 लाख विद्यार्थी परीक्षा संबंधी तमाम जानकारी आसानी से जान सकेंगे। सुविवि ये सूचना विद्यार्थियों को मोबाइल एसएमएस व ई मेल के जरिये उपलब्ध कराएगा। इस सुविधा के लिए सुविवि ने एम गवर्नेंस पॉलिसी लागू की है।

पहले चरण में ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत भरे जा रहे फार्म से जुड़ी महत्वपूर्ण सूचनाएं ही जाएंगी। अगले वर्ष से शुरू होने वाले दूसरे चरण के दौरान अन्य गतिविधियों और सामान्य सूचनाओं का आदान प्रदान भी मैसेज के माध्यम से ही होगा। प्रभारी डॉ. वेणु गोपालन ने बताया कि छात्रों की सहूलियत के लिए कॉल सेंटर की शुरुआत भी कर दी गई है।

छात्र छात्राओं को महाविद्यालय से जुड़ी विभिन्न जानकारियां आसानी से मिल जाए, इसके लिए यह पॉलिसी लागू की गई है।

1.20 लाख मोबाइल नंबर का स्टोरेज :

एम गवर्नेंस के लिए 1.20 लाख विद्यार्थियों के मोबाइल नंबर का स्टोरेज किया गया है। डॉ. वेणु गोपालन ने बताया कि ऑनलाइन प्रक्रिया के दौरान ही इन विद्यार्थियों के मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी ले ली गई थी। जिन पर सूचनाएं भेजी जाएंगी। इसी कारण पहले चरण में भी ऑनलाइन प्रक्रिया और परीक्षा से जुड़ी जानकारियों का आदान प्रदान किया जाएगा।

यह जानकारियां मिलेगी

डॉ. वेणु गोपालन ने बताया कि पहले चरण के तहत ऑनलाइन आवेदन में पाई गई खामियों की जानकारी, रोल नंबर आबंटन, प्रवेश कार्ड की सूचना, टाइम टेबल और परीक्षा के एक दिन पहले रिमाइंडर मैसेज की भी व्यवस्थाओं को सुनिश्चित किया गया है। इसके अतिरिक्त विवि एवं महाविद्यालय की अन्य महत्वपूर्ण सूचनाओं को भी इसमें शामिल किया गया है। बताया गया कि अगले वर्ष से सामान्य सूचनाओं को भी मैसेज के माध्यम से अवगत करवाया जाएगा।

चार्टर्ड एकाउंटेंट बनने वालो के लिए ख़ुशी की खबर

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उदयपुर. चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने के इच्छुक स्टूडेंट्स के लिए अच्छी खबर है। अब वे सीपीटी (कॉमन प्रोफिशिएंसी टेस्ट) दिए बगैर भी सीए में प्रवेश पा सकेंगे, लेकिन इसके लिए स्नातक में निर्धारित अंक प्राप्त करने होंगे।

 कॉमर्स ग्रेजुएट के लिए कम से कम 55 प्रतिशत और नॉन कॉमर्स ग्रेजुएट के लिए 60 प्रतिशत अंक तय किए गए हैं। द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) के अध्यक्ष सीए जी. रामास्वामी ने यह जानकारी रविवार को शुरू हुई चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में दी।

दो माह में लागू हो सकते हैं प्रस्ताव

रामास्वामी ने बताया कि काउंसिल ने यह प्रस्ताव केंद्र को भेजा था, जिसे मंजूरी दे दी गई। अब इसे पब्लिक कमेंट के लिए वेबसाइट पर डाला जाएगा। इसके लिए 45 दिन का समय दिया जाएगा। इस दौरान मिलने वाले सुझावों को काउंसिल के सामने रखा जाएगा।

प्रस्ताव को लागू होने में करीब 2 महीने लग सकते हैं। उदयपुर में आयोजित कांफ्रेंस आईसीएआई की उदयपुर शाखा व कमेटी फॉर केपिसिटी बिल्डिंग ऑफ सीए फर्म्स एंड स्मॉल-मीडियम प्रेक्टिशनर्स के संयुक्त तत्वावधान में हुई। इसमें मुंबई, दिल्ली, राजस्थान आदि के करीब 500 से अधिक सीए ने हिस्सा लिया।

उदयपुर रोडवेज अब ऑनलाइन बुकिंग

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उदयपुर, रेलवे की तरह अब राजस्थान रोडवेज का रिजर्वेशन भी ऑनलाइन हो जायगा ,

यह योजना स्व.इंदिरा गाँधी की स्मर्ति में 31 अक्टूबर से शुरू होगी , पहले यह योजना गाँधी जयंती से शुरू होनी थी लेकिन मुख्यमंत्री की व्यस्तता के चलते अब यह 31 अक्टूबर से शुरू होगी ,,

इस योजना के तहत सभी संभागीय मुख्यालयों को जयपुर से जोड़ते हुए ऑनलाइन रिजर्वेशन की शुरुआत होगी , उदयपुर में भी ऑनलाइन की तैयारियां पूरी करली गयी हे , सिर्फ सर्वर से जुड़ना बाकि हे जो की 31 अक्तूबर से पहले जोड़ दिया जायेगा ,

अधिकारीयों का कहना हे की ऑनलाइन रिजर्वेशन की तैयारियां पूरी कर ली गयी हे बस मुख्यालय से आदेश मिलते ही इसका शुभारम्भ कर दिया जायेगा ,

चिट्ठी न कोई सन्देश जाने वो कोनसा देश “जहाँ तुम चले गये”

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जाने माने ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह का सोमवार सुबह निधन हो गया है. वो 70 वर्ष के थे.

राजस्थान के श्रीगंगानगर में 8 फ़रवरी, 1941 को जन्मे जगजीत सिंह को ब्रेन हेमरेज के कारण मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उन्होंने आखिरी सांस ली.

जन्म के बाद उनके परिवार वालों ने उनका नाम जगमोहन रखा था जो बाद में पारिवारिक ज्योतिष की सलाह पर बदल कर जगजीत कर दिया गया था.

भारत में सालों तक ग़ज़ल गायकी का चेहरा बने रहे जगजीत सिंह के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए थे.

जिस दिन सिंह को अस्पताल में भरती कराया गया उस दिन शाम को वे पाकितान के नामचीन ग़ज़ल गायक गुलाम अली के साथ एक साझा कार्यक्रम देने वाले थे. हिंदी, उर्दू, पंजाबी, भोजपुरी सहित कई जबानों में गाने वाले जगजीत सिंह को साल 2003 में भारत सरकार के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्मभूषण से नवाज़ा गया है.

 ग़ज़ल गायकी के सुपरस्टार

जगजीत सिंह को आम तौर पर भारत में ग़ज़ल गायकी पुनः प्रचलित करने का श्रेय दिया जाता है.

जगजीत सिंह उन कुछ चुनिंदा लोगों में से एक हैं जिन्होंने 1857 में भारत में अंग्रेजों के खिलाफ़ हुए ग़दर की 150 वीं वर्षगाँठ पर आखिरी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फर की ग़ज़ल संसद में प्रस्तुत की थी.

 

जगजीत सिंह सालों तक अपने पत्नी चित्रा सिंह के साथ जोड़ी बना कर गाते रहे. दोनों पति पत्नी ने मिल कर कई बेमिसाल प्रस्तुतियां दीं हैं.

साल 1990 में एक हादसे इस दंपत्ति ने अपने पुत्र विवेक को खो दिया. चित्रा सिंह इस हादसे से कभी नहीं उबर पाईं और उन्होंने गाना बंद कर दिया इस दंपत्ति ने अपना आखिरी संयुक्त एल्बम ‘समवन समवेयर’ पेश किया उसके बाद से जगजीत केवल अकेले गा रहे थे.

 महारथियों के साथ संगत

जगजीत सिंह ने लता मंगेशकर के साथ एक ख़ास एल्बम ‘सजदा’ पेश किया जो बहुत ही प्रचलित हुआ. इसके अलावा फ़िल्म निर्माता लेखक शायर गुलज़ार के साथ भी जगजीत सिंह ने खूब काम किया. जगजीत सिंह गुलज़ार के निर्देशन में बने टीवी सीरियल मिर्ज़ा ग़ालिब में मिर्ज़ा ग़ालिब की चुनिंदा गज़लों को अपनी आवाज़ दी. इस सीरियल में गाए गए सिंह के गाने बहुत ही लोकप्रिय हुए और दशकों बाद भी इसके एल्बम संगीत प्रेमियों की पसंद बने रहे.

गुलज़ार की तरह मशहूर शायर और लेख जावेद अख्तर के साथ मिल कर अपने चाहने वालों को एक विएशेष एल्बम ‘सोज़’ दिया.

बाद के सालों में सिंह ने भजन गाने शुरू किए जो कि उनकी गज़लों ही की तरह हाथों हाथ लिए गए.

जगजीत सिंह के बारे में बहुत ही कम लोगों को यह पता था कि मौसिकी का यह शहजादा घुड़दौड़ का बहुत ही शौक़ीन था.

जगजीत न केवल घोड़े पालते थे बल्कि उनके घोड़े दौड़ों में भाग भी लेते थे. जगजीत सिंह ने घोड़ों की देखभाल और उनके प्रशिक्षण के लिए बाकायदा कई लोगों की सेवाएं ले रखीं थीं.

 

तब जगजीत की गजलों पर झूम उठे थे उदयपुर वासी ,

जगजीत सिंह सन २००९ में संगीत के एक कार्यक्रम में उदयपुर में आये थे उनकी मदहोश आवाज सुनने वालों के दिल में उतर गयी थी आज भी जब उदयपुर वासी उनकी गजलों को सुनते हे तो उन्हें वो दिन याद आजाता हे ,जब उन्होंने सुखाडिया ऑडिटोरियम में सन 2009 में ओशियन मिडिया के प्रमोशन के लिए आये थे