बंदूक और महिलाएं

0

रिपोर्ट- नेहा राज

 

अमरीका में एक नई किताब आई है जिसका नाम है ‘चिक्स विद गन्स’. इसमें फ़ोटोग्राफ़ी के ज़रिए महिलाओं और हथियारों के बीच के रिश्ते को टटोलने की कोशिश की गई है.

ये तस्वीर मोंटाना में रहने वाली रेचल की है जिन्होंने अपने पिता और बहनों के साथ शिकार करना सीखा. 

 

टेक्सस की जेनीवाईवी अपने पति से क्ले पीजन शूटिग पार्टी में पहली बार मिली थीं. उसी दिन से उन्हें शिकार का शौक हुआ. इस तस्वीर में उनके हाथ में एक पुश्तैनी पिस्तौल है. ये पिस्तौल उनके पिता ने उन्हें शादी पर दी थी.

 

इस किताब में फ़ोटोग्राफ़र लिंडसे मैक्क्रम का मकस्द है कि हथियार रखने और चलाने के महिलाओं के हक़ को कलात्मक तरीके से दिखाना.

 

अमरीका में कम से कम दो करोड़ महिलाओं के पास बंदूकें हैं. ये तस्वीर कैलिफ़ोर्निया की ग्रेटा की है जिनके पास इंग्लिश फ़ोरसिथ सिस्टम सेंट बॉटल पिस्टल, सीए.1820 है. 

 

साउथ कैरोलिना की ली विश्व के कई हिस्सों में जाकर शिकार कर चुकी हैं.

 

चिक्स विथ गन्स किताब में जिन महिलाओं को दिखाया गया है वो अमरीका के विभिन्न हिस्सों में रहती हैं, समाज के अलग अलग तबकों से हैं और कई तरह की शिकार गतिविधियों में हिस्सा लेती हैं. ये तस्वीर जॉर्जिया की रुथ की है. 

 

कनेक्टिकट की सीथिया फ़ील्ड हंटिग करती हैं. वे कहती हैं कि शिकार करते समय जोश बहुत ज़्यादा होता है, आपका ध्यान केवल निशाने पर होता है, आप बिल्कुल एकाग्र हो जाते हैं. 

 

किताब में दिखाईं गई महिलाएँ खिलाड़ी, शिकारी और निशानेबाज़ हैं. कुछ अपने कामकाज के लिए हथियारों का इस्तेमाल करती हैं तो कुछ आत्मरक्षा के लिए. ये तस्वीर ह्यूस्टन से कॉटर्नी की है. 

 

मिनेसोटा की अनीता एक पुलिसकर्मी हैं. वे बताती हैं कि जब उन्होंने पहली बार बंदूक पकड़ी तो वे युवावस्था पार कर चुकी थीं. उन्होंने बताया कि पहली दफ़ा बंदूक पकड़कर जिस ताकत का उन्हें एहसास हुआ वो अभूतपूर्व था

 

कैलिफ़ोर्निया की पैमला को शिकार करने का शौक तब लगा जब उनके पति एक दिन उन्हें अपने साथ ले गए. अब वे 35 साल से शिकार कर रही हैं, सफ़ारी क्लब इंटननेशनल ने उन्हें प्रतिष्ठित डायना अवार्ड से भी सम्मानित किया

 

photo – लिंडसे मैक्क्रम.

इशरत जहाँ का मामला सीबीआई के हवाले

0

गुजरात में फ़र्ज़ी मुठभेड़ के मामलों में राज्य सरकार को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है.

 जहां हाई कोर्ट ने इशरत जहां मुठभेड़ मामले की जांच गुरुवार को केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में राज्य सरकार को इस बात के लिए फटकार लगाई कि वो सीबीआई को मामले से जुड़े सीडी नहीं सौंप रही है. ये दोनों ऐसे मामले हैं जिसे लेकर गुजरात सरकार की लगातार किरकिरी होती रही है.

सोहराबुद्दीन फ़र्ज़ी मुठभेड़ के मामले में तो कई आला पुलिस अधिकारियों को जेल जाना पड़ा है. हालांकि गुजरात सरकार लगातार कहती रही है कि मुठभेड़ फ़र्ज़ी नहीं थी. मानवाधिकार संगठन और इन लोगों के परिजन गुजरात सरकार के दावे को चुनौती देते रहे हैं.

 इशरत जहाँ का मामला

इशरत जहां का मामला 2004 का है जिसमें पुलिसकर्मियों ने एक कथित मुठभेड़ में इशरत समेत चार लोगों को मार दिया था. गुजरात हाई कोर्ट का कहना था कि इस मामले में स्थानीय पुलिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता इसलिए यह मामला सीबीआई को सौंप दिया जाए. गुजरात पुलिस ने कहा था कि ये चारों पाकिस्तान स्थित चरमपंथी गुट का हिस्सा हैं और ये मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की योजना बना रहे थे. हालांकि कोर्ट में मामला आने के बाद कोर्ट ने मामले की जांच के लिए एक समिति बनाई और इस समिति ने अपनी जांच में इस मुठभेड़ को फ़र्ज़ी करार दिया था. मानवाधिकार संगठन लगातार ये कहते रहे हैं कि गुजरात में कई मामलों में फ़र्ज़ी मुठभेड़ हुए हैं और लोगों को मार दिया गया. गुरुवार को सीबीआई के लिए आदेश जारी करते हुए कोर्ट ने कहा कि इशरत जहां का मामला अलग तरह का है और इस मामले के राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव पड़ सकता है. पिछले महीने वरिष्ठ पुलिस अधिकारी राजीव रंजन वर्मा की अध्यक्षता वाली विशेष जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंपी थी.

इस रिपोर्ट के अनुसार जो सबूत मिले हैं उसके आधार पर यही कहा जा सकता है कि इशरत और अन्य तीन लोगों की मौत 15 जून 2004 को नहीं हुई थी. पुलिस का दावा है कि उन्होंने इसी दिन मुठभेड़ में चार लोगों को मारा था. इस मामले में कोर्ट ने जांच एजेंसी से नया मामला दायर करने और पुलिसवालों के ख़िलाफ़ आरोप तय करने के निर्देश भी दिए हैं. मामले में कम से कम दो दर्जन पुलिसकर्मी लिप्त बताए जाते हैं. विशेष जांच टीम के अनुसार इस मामले में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं. इससे पहले 2009 में भी एक न्यायिक जांच की घोषणा हुई थी और इस जांच में भी पुलिस की आलोचना की गई थी. जांच में कहा गया था कि पुलिस इन लोगों को गिरफ्तार कर अहमदाबाद ले गई और वहां पुलिस कस्टडी में उन्हें मारा गया.

सोहराबुद्दीन शेख मामला

सोहराबुद्दीन को भी कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मारा गया था

उधर सोहराबुद्दीन शेख मामले में भी गुजरात सरकार को सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार का सामना करना पडा है. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को इस बात के लिए फटकारा कि वो इस मामले में पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह और निलंबित आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा के कॉल रिकार्ड्स सीबीआई को क्यों नहीं सौंप रही है. कोर्ट ने सरकार को ये सीडी सौंपने के लिए सात दिसंबर तक का समय दिया है. सीबीआई ने अमित शाह की ज़मानत का विरोध कर रही सीबीआई याचिका पर सुनवाई के दौरान ये आदेश दिए हैं. सीबीआई ने यह भी अपील की है कि सोहराबुद्दीन मुठभेड़ की सुनवाई भी गुजरात से बाहर हो. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार के वकील से कहा, ‘‘मामले में पिछले दस दिन से सुनवाई हो रही है लेकिन अभी भी आप सीडी के मामले में पक्के तौर पर कुछ नहीं कह सकते. ये निराशानजक और गंभीर मामला है.’’

सुनवाई के दौरान वकील ने कहा था कि वो सीडी के बारे में खोजबीन करके जानकारी देंगे जिसके बाद कोर्ट ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई. हालांकि कोर्ट ने सीबीआई की भी कड़ी आलोचना की थी. कोर्ट का कहना था कि सीबीआई का काम संतोषजनक नहीं रहा है और जांच में देरी हो रही है. सीडी का मामला कोर्ट की मदद कर रहे वकील गोपाल सुब्रहमण्यम ने उठाया था. उन्होंने बताया कि गुजरात सरकार ने अभी तक ये सीडी उपलब्ध नहीं करवाए हैं और सरकार का कहना है कि ये सीडी तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ मामले से जुड़े हुए हैं. सोहराबुद्दीन शेख का मामला भी फ़र्ज़ी मुठभेड़ का बताया जाता है और कहा जाता है कि इसमें गुजरात के गृह राज्य मंत्री अमित शाह का हाथ था. सोहराबुद्दीन एक अपराधी थे लेकिन पुलिस ने उन्हें लश्कर ए तैयबा का चरमपंथी करार देते हुए एक मुठभेड़ में मार गिराया था.

ऍफ़डीआई के विरोध में पूरा भारत बंद

0

उदयपुर। खुदरा बाजार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के विरोध में गुरुवार को अखिल भारतीय उद्योग एवं व्यापार मंडल की ओर से आहूत भारत बंद का उदयपुर में सुबह से व्यापक असर नजर आया। शहर के व्यापारियों द्वारा स्वेच्छा से अपना कारोबार बंद रखने से शहर में सुबह से ही राष्ट्रव्यापी आह्वान का असर नजर आने लगा। बड़े शो रूम के साथ ही चाय की थडिय़ां भी बंद रही। बंद समर्थकों ने चिकित्सा सेवा को छोड़कर अन्य सेवाओं के बंद से मुक्त रखा।

शहर की सड़कों पर वाहनों की आवाजाही सामान्य दिनों की तुलना में नहीं के बराबर रही। सूरजपोल पर शहर विधायक गुलाबचंद कटारिया के नेतृत्व में भाजपाई बंद को सफल बनाने सक्रिय नजर आए। इधर बंद को देखते हुए शहर के कई प्राइवेट स्कूल प्रबंधन ने सुरक्षा व बच्चों की सुविधा के लिहाज से बुधवार को ही स्कूलों में छुट्टी की घोषणा कर दी थी। बंद समर्थकों ने गुरुवार को टोलियों के रूप में शहर भर में घूमकर कई सरकारी दफ्तरों को भी बंद करवा दिया। सुरक्षा व कानून व्यवस्था की दृष्टि से शहर के सुबह से ही जगह जगह पुलिस जाब्ता तैनात रहा। जबकि पुलिस अधिकारी स्वयं बंद समर्थकों की गतिविधियों की मॉनिटरिंग करते नजर आए।

संभाग डूंगरपुर , बांसवाडा , चित्तोड़ में भी बंद का व्यापक असर दिखा , संभाग में बंद का असर पूरी तरह नज़र आया और कही से भी कोई अप्रिय घटना की सुचना नहीं आई |

भारत बंद

0

उदयपुर, । भारत सरकार द्वारा खुदरा व्यपार में विदेशी निवेश को अनुमति देने के विरोध में गुरूवार को आहूत भारत बंद विभिन्न संगठनों ने अपना समर्थन देते हुए बंद को सफल बनाने लिए कमर कस ली है वहीं पुलिस प्रशासन ने शांति व्यवस्था बनाए रखने लिए पुख्ता प्रबंध कर लिए है।

खुदरा बाजार में विदेशी निवेश के खिलाफ अखिल भारतीय उद्योग एवं व्यय मण्डल द्वारा आहुत भारत बंद को भारतीय जनता पार्टी ने पूर्ण समर्थ देते हुए विभिन्न व्यपरिक,शैक्षणिक, राजकीय अर्थ एवं गैर राजकीय संगठनो से इस बंद को पूर्ण समर्थन देने की अपील की। पार्टी की शहर जिला इकाई के प्रमुख पदाधिकारियों की सम्पन्न बेठक में इस विदेशी निवेश के खिलाफ व्यपरिक संगठनों द्वारा आहुत बंद को पूर्ण हेतु अपना समर्थन दिया है। इस बंदको केवल चिकित्सा क्षेत्र को छोड सम्पूर्ण उदयपुर बंद हेतु व्यपरिक, शैक्षणिक संस्थाओं, सरकारी, गैर सरकार कार्यालय, बैंक बीमा आदि को पूर्णतया बंद रखने की पार्टी ने अपील् की है। भाजपा ने अपने सभी कार्यकर्ताओं से इस बंद को शांतिपूर्व सफल बनाने की अपील की।

जिला मजिस्ट्रेट हेमन्त कुमार गेरा ने बताया कि विगत 21 नवम्बर से धारा 144 के प्रावधान शहर सीमा में लागू किया गया था वे यथावत जारी हैं। आम जन से प्रस्तावित बंद में शांति व्यवस्था बनाये रखने तथा किसी से जोर जबरदस्ती न करने तथा शांति एवं कानून व्य्वस्था में सहयोग की अपील की गई है।

 

डूंगरपुर के पूर्व चेयरमेन और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के खिलाफ धोखाधडी का मामला

0

वरिष्ठ भा.ज पा. नेता शंकर सिंह सोलंकी और पुलिस अधीक्षक विजेयन्द्र झाला लपेटे मै

सरकारी नौकरी के रहते हांसिल की डिग्री

उदयपुर , 29 नवम्बर । प्रतापनगर थाना पुलिस ने तीन व्यक्तियों के विरूद्ध फर्जी तरीके एवं दस्तावेजों से एल.एल.बी.की डिग्री हांसिल करने का प्रकरण दर्ज किया है। आरोपियो में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी शामिल है।

प्रकरण के अनुसार जगदेव पुत्र हाजा मीणा निवासी सुराता, थाना वरदा जिला डूंगरपुर हॉल कायर्रत बांसवाडा ऑफिस में कायर्रत समाज सेवी ने परिवाद जरिए तीन व्यक्तियों के विरूद्ध अनुचित तरीके से सुखाडिया विश्वविद्यालय से डिग्री हांसिल कर धोखाधडी करने का मामला शहर के प्रतापनगर थाने में दर्ज कराया है।

शंकर सिंह सोलंकी

शिकायत में बताया गया कि राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य एवं वरिष्ठ भाजपा नेता शंकर सिंह सोलंकी पर आरोप है कि उन्होने राणी छानी (खेरवाडा) के राजकीय विद्यालय में शिक्षक की नौकरी करते हुए अनुचित तरीके और अपने राजनेतिक संबंधों के बल से सुखाडिया विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

इसी प्रकार आई.पी.एस.अधिकारी विजेन्द्र झाला ने उदयपुर शहर में अतिरित्त जिला पुलिस अधीक्षक के पद पर कायर्रत रहते हुए सुखाडिया विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित विधि महाविद्यालय से लॉ की डिग्री प्राप्त की। झाला कभी भी कॉलेज नहीं गए जबकि वहां उनकी उपस्थिति बराबर दर्ज होती रही । इस प्रकार झाला ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए अपने प्रभाव से बल पूर्वक उपस्थिति दर्ज करवा कर विधि की डिग्री हांसिल की। झाला वर्तमान में जयपुर (दक्षिण) में डी.सी.पी.पद पर पदासीन है।

उल्लेखनीय है कि सुखाडिया विश्वविद्यालय द्वारा संचालित विधि स्नातक का पाठयक्रम नियमित पाठयक्रम है। जहां निर्धारित उपस्थिति के उपरान्त ही परीक्षा दी जा सकती है।

सोलंकी ने सरकारी सेवा में रहते हुए वेतन उठाते हुए उक्त डिग्री हांसिल की जो राजकीय सेवा अधिनियम

विजेन्द्र झाला

के अंतर्गत कदाचरण की श्रेणी में आता है। शंकर सिंह सोलंकी डूंगरपुर नगर पालिका के पूर्व चेयरमेन भी रह चुके है तथा वर्तमान में वरिष्ठ अधिवकता भी है।

इसी प्रकार डूंगरपुर निवासी लाल सिंह पुत्र रघुनाथ सिंह पुत्र रघुनाथ सिंह के विरूद्ध आरोप है कि उसने किसी नरेन्द्र सिंह तंवर नामक व्यक्ति की 10 वीं एवं 12 वीं कक्षा की अंकतालिकाओं में कांट छांट कर सुखाडिया विश्वविद्यालय से बी.ए.की डिग्री हांसिल की तथा इस बी.ए.की डिग्री के आधार पर गुजरात के विधि महाविद्यालय्ा से विधि स्नातक की डिग्री प्राप्त कर जोधपुर बार कौंसिल से सदस्य्ाता भी प्राप्त कर ली। वर्तमान में शंकर सिंह सोलंकी के सहाय्ाक के रूप में कार्यरत है। पुलिस ने तीनों व्यक्तियों के विरूद्ध मामला दर्जकर अनुसंधान आंरभ कर दिया।

 

अनियमितता एवं भ्रष्टाचार की गिरफ्त में एम.बी.सार्वजनिक चिकित्सालय

0

रिपोर्ट- रफीक एम्.पठान

रोगियों की परिजनों की हो रही पीटाई

डॉक्टर अस्पताल से ज्यादा घरो पर व्यस्त

रोगियों का हो रहा है आर्थिक शोषण

उदयपुर, २७ नव बर । जन कल्याण के उदेश्य से रियासत काल में निर्मित राजकीय महाराणा भूपाल सार्वजनिक चिकित्सालय इन दिनों प्रशासनिक उदासीनता के चलते भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं का केन्द्र बन गया है। यहां चिकित्सक से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक रोगियों से उपचार के नाम पर लुट खसोट कर रहे है और विरोध करने पर उनकि पीटाई कर रहे है।

इस सार्वजनिक चिकि त्सालय को संभगा का सबसे बडा चिकित्सालय माना जाता है जहां संभाग के अतिरिक्त निकटवर्ती राज्य मध्यप्रदेश तथा गुजरात के सीमावर्ती क्षेत्रों के रोगी भी उपचार के लिए आते है। पूर्व में यहां कभी कभी भ्रष्टाचार और रिश्वत कि खबर मिलती थी लेकिन विगत चार वर्षो से अचानक यहां कि कार्यशैली में बदलाव आ गया है। चिकित्सक अस्पताल कम बैठते है घर पर उपचार करने में उन्हें आर्थिक लाभ दिखता है। ’आउटडोर’ डयूटी के दौरान भी यहां के चिकित्सक ·को उनके आवास पर उपचार देते देखा जा सकता है। अधिकंश चिकित्सको ने अस्पताल परिसर में रहते हुए निजी ’प्रेक्टिस’ बढा कर अस्पताल का समीपवर्ती पॉश कोलोनियों में अपने आलीशान मकान खरीद लिए जिन्हें निजी चिकित्सालय का रूप दे दिया गया यहां भर्ती से लेकर ऑपरेशन तक कि सुविधा है। इन्होने स्वयं के आवास में ही मेडीकल स्टोर्स भी खोल दिए है जहां से दवाईयां खरीदना भी अनिवार्य है। दूसरे स्टोर्स कि दवाईयां लाने पर फेंक दी जाती है।

इन ’’निजी चिकित्सको ’’ तक मरीज को पहुंचाने का काम चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से लगा कर नर्सिंग कर्मी तक देखे जा सकते है। एक रोगी का संबंधित चिकित्सक को ’निजी अस्पताल’ पहुंचाने का इन्हें अच्छा कमीशन मिलता है। इसके अतिरिक्त नर्सिंग कर्मी भी इन निजी चिकित्सालयों में कार्य करते देखे गए है। इन नर्सिंग कर्मियों द्वारा रोगी के मस्तिष्क मे यह बिठा दी जाती है कि अस्पताल में उपचार से अच्छा है ’डाक्टर साहब’ के घर से उन्हें बताए अनुसार उपचार लेने से बीमारी जल्दी ठीक होगी। शहर कि बाहर से आने वाले रोगी तथा कथित ’दलालो’ के हाथों चढकर आर्थिक शोषण कि भेंट चढ जाते हे। इन ’दलालो’ का रेकेट अस्पताल के आपात इकाई से लेकर चिकित्सा कि गहन इकाइ तक फैला है जहां से किसी भी तरीके से रोगी को ’शिकार’ कि तरह फांस कर चिकित्सको घर पहुंचा दिया जाता है।

कुछ चिकित्सक स्वयं अपना विजिटिंग कार्ड थमा कर डयूटी समय में ही घर ले जाकर उपचार के बहाने भारी राशि वसूलते है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस चिकित्सालय में कार्यरत कई चिकित्सक ’’रियल स्टेट’’ व्यापार से भी जुडे हे। लेकिन इस ओर न तो भ्रष्टाचार विभाग का ध्यान गया ना ही आय कर विभाग का। इन विभागों द्वारा इस व्यवसाय से जुडे लोगों के विरूद्घ कार्यवाही न करना भी संदेह के घेरे में है। इधर बात बेबात रोगी के परिजनों से मारपीट एक सामान्य बात हो गई है। कभी रेजीडेन्ट चिकित्सक पीट देते है तो कभी होम गार्ड। पुलिस भी इन्हें संरक्षण देती है। रेजीडेन्ट अपने संगठित होने का अनुचित लाभ लेते है तो यहां नियुक्त होम गार्ड ’वर्दी’ के रौब में पैसा एंठने के चक्कर में यहां आने वाले रोगी के परिवरवालों कि बेवजह पीटाई कर देते हे।

एक माह में मारपीट कि दो घटना होने के उपरान्त भी अस्पताल प्रशासन इसे मामूली कहासुनी बताते हुए टाल रहा है। पूर्व में हुई मारपीट में पुलिस ने दबाव बना कर शिकायतकर्ता को समझौते के लिए बाध्य किया। शुक्ररवार को आर्थोपेडिक वार्ड में हुई इस घटना ने मानवीय संवेदनाओं को झकझोर दिया। अपनी बीमार मां के लिए भोजन ले जाते युवक को वार्ड में प्रवेश देने के बदले होमगार्ड ने १० रूपये मांगे। युवक के मना करने पर उससे हाथा पाई कि गई। बीच बचाव को आए पिता को पुलिस ओर होमगार्ड ने लातों-घूंसों से अपराधी कि तरह पीटा। यह सब सुन कर स्वयं सेवी रोगी महिला वार्ड के बाहर आकर विरोध व्यक्त करने लगी तो इन क्रूर लोगों ने बीमारी कि हालत में उस वृद्धा को वार्ड से धकेल कर बाहर कर दिया। इतना हंगामा मारपीट होने के उपरान्त भी अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मामूली कहासुनी हुई है। जो समझाईश के बाद शांत हो गई। अस्पताल अधीक्षक को निजी प्रेक्टिस के चलते इस संबंध में अपना व्यक्तव्य देने कि फुर्सत नहीं हे। कई बार फोन करने के उपरान्त भी उन्होंने फोन काट दिया। इधर पुलिस ने भी इतनी गंभीर घटना को सामान्य बताकर अपनी वर्दी को और भी दागदार कर दिया।

बहरहाल इस चिकित्सालय में और भी अनियमितताएं है लेकिन शिकायत करें तो किससे यहां सब तरफ रसूकदार जो फन फैलाए बेठे है उन्हें अपनी नौकरी का ·कोई खतरा नहीं है तो डरे क्यों। इस संबंध में जरूरत है एक संगठित जन आंदोलन कि। संगठित जन आंदोलन ही यहां कि कार्यशैली को बदलने में सक्षम होगा इसके लिए नौजवानों को ही पहल करनी होगी।

ख़बरों की कहानी फोटो की ज़ुबानी

0

मिस्र , 25 नवम्बर , काहिरा में सेन्य शासन के विरोध में निकली रेली में भाग लेता एक बच्चा

राक , 25 नवम्बर , रुसी हेलिकोप्टर में प्रशिक्षण करते इराकी सैनिक ,

 भारत , 22 नवम्बर अमिताभ बच्चन अपनी पोती को हॉस्पिटल से घर लेजाते

 २३. नवम्बर , मनीला में बच्चे राष्ट्रपति के महल के पास मोमबत्ती जला कर , 32 पत्रकार और अन्य कर्म चारियों समेत करीब 57 लोगों के हुए नरसंहार की दूसरी पुन्य तिथि पर श्रद्धांजलि देते |

 कांगो , 26 नवम्बर कांगो की राजधानी किंशासा में राष्ट्रपति जोसेफ के विरोध पर शुरक्षा कर्मियों द्वारा पिता गया एक विरोधी |

.इरान , 25 नवम्बर , महिला गार्ड के फोटो लेती एक इरानी महिला |

. भारत ,21 नवम्बर , देहली में पिछले दिनों किन्नर सम्मलेन आग लगने से करीब एक दर्जन से अधिक लोग मरे गए , आग लगने के बाद बचे हुई कचरे में काम की वस्तुए तलाशते किन्नर |

. सैन फ्रांसिस्को, 23 नवम्बर चिड़िया घर में दो लीमर शेम्पेन के साथ दावत का मजा लेते |

. भारत , 23 नवम्बर देहली में आर्थिक सुधार , की मांग को लेकर भारतीय मजदूर संघ का प्रदर्शन |

. मिस्र . 24 नवम्बर , काहिरा में सेन्य शासन के विरोध के दोरान बच्चा |

. चीन , 26 नवम्बर , ज्हेजियांग में ड्रेगन नृत्य |

. बेंकोक से 150 किमी दूर एक गाँव में बंदरो का उत्सव होता है जहा इन्हें अछे से अच्छा खाने को दिया जाता है |

उदयपुर-कुवैत उड़ान जल्दी शुरू

0

उदयपुर, अपनी निजी यात्रा पर आये कुवैत के राजदूत सामी मुहम्मद अल सुलेमान ने यहाँ उदयपुर सिटिजन सोसायटी के प्रतिनिधियों से पर्यटन व् अन्य मुद्दों पर बातचीत करते हुए बताया की वर्तमान में कुवैत से भारत के लिए 6 शहरों से उड़ाने है | और कुवैत सरकार वर्ष 2012 तक तिन नयी उड़ाने शुरू करने की इच्छा रखता है | इसके लिए सरकार ने उन्हें अधिकृत कर रखा है | तब प्रतिनिधियों ने उदयपुर से कुवैत की उड़ान की जरूरत बताई | सामी ने इस पर सहमती भी जताई और कहा की आप भारत सरकार से पत्र भिजवा दीजिये |

राज दूत सामी की तरफ से हरी झंडी मिलने के बाद अब गेंद भारत सरकार के पाले में है और| सामी की सहमती के बाद उदयपुर की संस्थाओं ने सहमती पत्र भिजवाने के प्रयास भी शुरू कर दिए है ,

गोरतलब है की उदयपुर का एयरपोर्ट अन्तराष्ट्रीय एयरपोर्ट का दर्जा रखता है फिलहाल यहाँ से कोई अंतराष्ट्रीय उड़ान नहीं है | एयरपोर्ट अधिकारिओं के अनुसार उदयपुर – कुवैत के लिए यहाँ सारी आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध है |

कुवैत में करीब साडे छह लाख भारतीय रहते है उनमे से करीब पचास हज़ार दक्षिणी राजस्थान से है जिन्हें अभी मुंबई और अहमदाबाद हो कर जाना पड़ता है |

उड़ान सम्बन्धी प्रक्रिया के लिए उदयपुर चेंबर ऑफ़ कोमर्स एंड इंडस्ट्रिज के प्रतिनिधि राज्य और केंद्र सरकार से संपर्क करेगें |

हफ्ता वसूली

0

हफ्ता लेने आए उचक्के पकड जाने के डर से फायरिंग कर भाग छूटे

उदयपुर , 26 नवम्बर । एक लाख रूपये हफ्ता वसूलने आये बाइक सवार बदमाशों ने हेण्डीक्राफ्ट शो रूम में तोडफोड़ कर दी। इस दौरान पकडे जाने के भय से बदमाश हवाई फायर करते हुए फरार हो गये।

सूत्रों के अनुसार शनिवार सांय बाइकों पर सवार विनोद उर्फ़ बकरी, इमरान उर्फ़ राणा, मलखान सिंह उर्फ़ लाखन सिंह, शंकर उर्फ़ भोजा व साथी शहर के गुलाबबाग रोड पर स्थित महाराजा म्यूजियम शोरूम में घुसे। जहां विनोद ने काउंटर पर मौजूद केशियर अशोक सिन्हा के सिर पर रिवाल्वर लगाकर उसे मालिक के लिए पूछने पर बाजार जाने की बात कही। इस पर उसने एक लाख रूपये देने की बात कहते हुए कैश की चाबी मांगी। इस दौरान अन्य बदमाशों ने शोरूम के कांच फोड़ दिये तथा ज्वैलरी, मूर्तियां बिखेर दी। पकडे जाने के भय से बदमाश जान से मारने की धमकी देकर दो हवाई फायर करते हुए फरार हो गये। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस ने घटनास्थल पहुंच एक जिंदा कारतूस बरामद किया। पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की।

पूछताछ में पता चला कि गत शनिवार को हमलावर शॉरूम आये तथा 50 हजार रूपयों हफ्ता वसूली के मांगे थे। नहीं मिलने पर सात दिन बाद वापस एक लाख की फिरोती लेने आये। इस दौरान शोरूम मालिक राताखेत निवासी आदिल खां पुत्र मेहमूद खां बाजार जाने की बात का पता चलने पर तोडफोड़ कर दी। देर रात तक बदमाशों का पता नहीं चला |

एप्पल 4s भारत के बाज़ार में उपलब्ध

0

 

उदयपुर , अब आपको मैसेज टाइप करने के लिए की-पेड पर अंगुलियां दौड़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। खासतौर पर यंगस्टर के लिए ऐसा फोन तैयार किया है जिसमें मैसेज, कॉल और यूजिक आदि सुनने के लिए सिर्फ बोलना होगा, बाकी काम एप्पल का आईफोन 4 एस खुद कर लेगा।

बात करें एसएमएस की तो आपको अपने जिस भी व्यक्ति को मैसेज भेजना है तो आप बोलिये, आईफोन उसे खुद टाइप करेगा। जिसे आपको यह मैसेज भेजना है उसका नाम फोनबुक में होना जरूरी होगा। उसका नाम बोलिए, फिर क्या मैसेज झट से आपके दोस्त के पास पहुंच जाएगा।

देश की अग्रणी टेलीकॉम ऑपरेटर कंपनियों एयरटेल एवं एयरसेल ने देश में बहुप्रतीक्षित आईफोन4एस स्मार्टफोन लांच कर दिया है जिसकी कीमत 44,500 से शुरू होगी। दोनों ही टेलीकॉम कंपनियों ने 16-जीबी मॉडल की कीमत 44,500 रुपये रखी है जबकि 32-जीबी एवं 64-जीबी वर्जन की कीमत क्रमश: 50,900 रुपये एवं 57,500 रुपये होगी।

हालांकि इस नवीनतम आईफोन मॉडल की प्री-बुकिंग 18 नवंबर से शुरू हो गई थी, आज से ये डिवाइस एयरटेल एवं एयरसेल के चुने हुए स्टोर्स पर उपलब्ध हो जाएंगे। भारतीय बाजार में आईफोन 4एस के पूर्ववर्ती आईफोन 3जीएस एवं आईफोन 4 अभी भी उपलब्ध हैं जिनकी कीमत क्रमश: 20,900 रुपये (8जीबी) तथा 37,900 रुपये (8जीबी) है।

क्या हैं खूबियां?

डुअल कोर ए 5 चिप प्रोसेसर है। इस फोन की खासियत है इसका आठ मेगा पिक्सल कैमरा, जिसमें फिशर आई भी है। इसमें डबल एलईडी लैश लगे हैं जो पिक्चर क्वालिटी को बेहतर बनाते हैं। वीडियो क्लीपिंग को स्टेबल करने के लिए सेंसर भी है।

स्क्रीन पर ओलियो ग्राफिक प्रिंट होने की वजह से उस पर अंगुलियों के निशान नहीं दिखते।

16 जीबी की मैमोरी। आईओएस 5 ऑपरेटिंग सिस्टम।

बेहतरीन ग्राफिक्स, संगीत सुनने के लिए बस मुखड़ा बोलना होगा।

किसी भी देश के मौसम की जानकारी के लिए उस देश का नाम लेना होगा, कुछ ही क्षणों में वहां का मौसम आपके सेट पर होगा।