सिटी पैलेस में शादी के आयोजन शुरू
उदयपुर। मेवाड़ राजघराने के लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ की शादी की शहनाई की गूंज आज से राजमहल में गूंजना शुरू हो गई है। शादी को लेकर सारी तैयारियां पूरी की जा चुकी है।
इस राज शाही शादी के मेहमानों के आने का सिलसिला सुबह से शुरू हो चुका है। शाही मेहमानों के लिए होटल लेकपैलेस, फतह प्रकाश, शिव निवास, लीला, शेरेटन, ट्राइडेंड आदि सभी पांच सितारा होटल्स मेहमानों के स्वागत में तैयार है।
मेवाड़ राज घराने के मोस्ट बैचलर लक्ष्यराज सिंह की शादी बॉलिंगर (ओडिशा) के राज परिवार की निवृति कुमारी से कल 21 जनवरी को होने जा रही है। आज रात आठ बजे सजे धजे मेहमान बारातियों और शाही लवाजमे के साथ लक्ष्यराज सिंह की वर निकासी सिटी पैलेस के जनाना महल स्थित तोरण द्वार से रवाना होगी, जो जगदीश मंदिर तक आएगी। कल सुबह बरात उदयपुर से रवाना होगी। सभी मेहमान चार्टर प्लेन में बॉलिंगर पहुंचेंगे। कल शाम को 21 शाही पंडितों के मंत्रोच्चारण के बिच फेरे लिए जाएंगे।
24 जनवरी को शिकारबाड़ी में शादी की गोट का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देश की कई हस्तियों के शामिल होने की खबर है।
सूत्रों के अनुसार ये शाही शादी पूरे पारंपरिक और शाही अंदाज में की जा रही है। 24 तारीख को शिकारबाड़ी में आयोजित शादी की गोट भी मेवाड़ की परंपरा के अनुसार ही रखी गई है। शादी के मद्देनजऱ सिटी पैलेस का म्यूजियम और क्रिस्टल गैलेरी आम पर्यटकों के लिए आज से अगले पांच दिनों तक बंद है।
आज लक्ष्यराज की वर निकासी, कल जाएगी बारात
सैयदना का जिस्म सुपूर्द-ए-खाक़
उदयपुर। दाऊदी बोहरा समुदाय के धर्मगुरु डॉक्टर सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन का शुक्रवार को निधन हो गया. आज उनको मुंम्बई स्थित रोजा ताहेर में दफनाया गया ,वह बोहरा समुदाय के 52वें धर्मगुरु थे और उन्होंने पांच दशकों तक समुदाय के आध्यात्मिक प्रमुख के बतौर मार्गदर्शन किया.
शुक्रवार को उनके मौत कि खबर सुन कर सम्भाग भर के बोहरा समुदाय में शोक और मातम छा गया। बोहरा समुदाय के सभी लोगों ने अपने अपने प्रतिष्ठान बंद कर मस्जिदों में तिलावत की जो आज तक जारी रही। सम्भाग भर से बोहरा समुदाय के लोग शनिवार को उनके जनाजे में शामिल होने के लिए रवाना हुए। कल शाम तक यह हाल थे कि मुंम्बई जाने वाली किसी विडियो कोच ट्रैन और प्लेन में कोई सीट नहीं थी यही हाल डूंगरपुर, सागवाड़ा, बांसवाड़ा, के थे यहाँ से भारी संख्या में सैयदना के अनुयायी जनाजे में शामिल होने के लिए मुंम्बई पहुचे। और यहाँ सम्भाग भर की बोहरा मस्जिदों में दिन भर तिलावत और मातम चलता रहा । जानकारी के अनुसार सुबह १० बजे सैयदना का जनाजा उनके निवास सैफी महल से रवाना हुआ जो लाखों अनुयाइयों के बिच दोपहर भिन्डी बाज़ार स्थित रोज़ा ताहेर लाया गया । सैयदना को राष्ट्रिय सम्मान के साथ तिरंगे में लपेट कर लेजाया गया और बंदूकों की सलामी के साथ दफनाया गया।
18 की मौत, 59 घायल
आधी रात को सैफी महल के बाहर मची भगदड़
भीड़ बढऩे से बिगड़े हालत, मरने वालों में उदयपुर का युवक भी शामिल मददगार रिपोर्टर
मुंबई। बोहरा समुदाय के धर्मगुरु डॉ. सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन के इंतकाल के बाद आधी रात मुंबई के मलाबार हिल में स्थित सैफी महल के बाहर अनुयायियों की भीड़ ज्यादा होने से भगदड़ मच गई। इस दौरान १८ लोगों की मौत हो गई और ५९ लोग घायल हो गए हैं। मरने वालों और घायलों की संख्या की पुष्टि स्थानीय पुलिस ने की है।
हालांकि अपुष्ट सूत्रों के अनुसार मरने वालों की संख्या ज्यादा बताई जा रही है। मरने वालों में उदयपुर का एक युवक भी शामिल है।
ये लोग अपने धर्मगुरु के अंतिम दर्शन के लिए इक_ा हुए थे। धर्मगुरु डॉ. सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन का निधन शुक्रवार को हुआ था। उनकी उम्र 102 साल थी। डॉ. बुरहानुद्दीन बोहरी समुदाय के धर्मगुरु थे।
उधर, पुलिस ने अब 18 लोगों के मौत की पुष्टि कर दी है। वहीं, यह भी बताया कि भगदड़ में कुल 59 लोग घायल हुए थे, जिसमें से 56 लोग अब तक घर जा चुके हैं और तीन लोग अभी अस्पताल में हैं, जिनका उपचार चल रहा है।
जानकारी के मुताबिक देर रात लगभग तीन बजे के करीब भगदड़ मची थी। पुलिस का कहना है कि अब सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त कर दिए गए हैं। मुंबई के जिस इलाके में भगदड़ मची वह इलाका काफी हाईप्रोफाइल माना जाता है। उस इलाके में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री समेत कई उद्योगपतियों का भी आवास है।
डॉ. बुरहानुद्दीन के कार्यक्रमों में लाखों की संख्या में लोग शामिल होते थे। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस के पुख्ता इंतजाम के अलावा उनके खुद के गार्ड भी तैनात होते थे, लेकिन इस हादसे में कहीं न कहीं पुख्ता इंतजाम का अभाव था, जिसकी वजह से भीड़ को नियंत्रित नहीं किया जा सका।
उदयपुर के अब्दे अली की मौत
बोहरा समुदाय (शबाब गुट) के प्रवक्ता अली कौसर ने बताया कि मरने वालों में उदयपुर निवासी अब्दे अली (३२) आशिक अली भूट्टेवाला भी शामिल है, जो आधी रात को भगदड़ के दौरान फंस गया था, जिसकी मौत हो गई। डॉ. सैयदना के जनाजे में शामिल होने के लिए डूंगरपुर, बांसवाड़ा, सागवाड़ा और उदयपुर से हजारों लोग बसों में भरकर मुंबई गए हैं।
जब कपिल ने सलमान को रुला दिया …
जब सलमान खान कॉमेडी नाइट्स विद कपिल के सेट पर दाखिल हुए तो सेट पर मौजूद हर किसी को हंसी के ठहाकों की उम्मीद थी। लेकिन शायद वे नहीं जानते थे कि उन्हें राष्ट्रीय टेलीविजन पर दो बातें पहली बार देखने को मिलेंगी! शूटिंग के दौरान सलमान खान कपिल और शर्मा परिवार के लतीफों से इतने खुश हुए कि वे फर्श पर लोट पोट होते नजर आए…… सचमुच हंसते हुए! मगर जैसे इतना ही काफी नहीं था इसलिए इस हास्यजनक माहौल में सुपर स्टार की आंखों में आंसू आ गए….
कॉमेडी नाइट्स विद कपिल के सेट पर सलमान खान अपनी आगामी फिल्म जय हो को प्रोमोट करने आए और उनके साथ फिल्म की सह-कलाकार डेजी शाह तथा प्रोड्यूसर – ब्रदर सोहेल खान भी थे। सलमान खान इस शो में पहली बार नजर आए इसलिए सेट पर पूरे रोमांच के साथ इतना जोश था जो अब से पहले कभी नहीं देखा गया।
इंडियाज गोट टैलेंट का इंडियन सर्कस कलाकारों को सलाम
कलर्स का प्रीमियर टैलेंट शो इंडियाज गोट टैलेंट लगातार पांचवे सीजन के लिए अपने बेहतरीन प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए देशभर से शानदार प्रतिभाओं को आमंत्रित कर रहा है। इस वर्ष के शो को और भी भव्य बनाने और ज्यादा सार्थक एवं संवेदनशील एप्रोच के लिए इंडियाज गोट टैलेंट के इस सीजन में विशेष सर्कस थीम प्रस्तुत की जाएगी इसलिए कला के रूप को नया रूप देने तथा सर्कस के कलाकारों को राष्ट्रीय मंच उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि देशभर के दर्शकों के लिए वे अपना बेहतरीन मनोरंजन उपलब्ध करा सकें।
सर्कस स्टाइल की संरचना शो के नए सीजन की शानदार शुरुआत का वायदा करती है। विभिन्न सर्कस कलाकारों के अपसाइड डाउन स्काई वाकिंग, हवा में करतबों, एक्रोबैटिक ट्रैपीज एक्ट्स और अन्य ढेर सारे करतब धारावाहिक को निसंदेह देखने लायक और शानदार बनाएंगे। शूट के दौरान करण जौहर ने कहा, ”ऐसा पहली बार है जब इंडियाज गोट टैलेंट ने सर्कस के क्षेत्र में प्रवेश किया है। यह सचमुच बेहद अतुलनीय होने जा रहा है। ”बात को आगे बढ़ाते हुए किरण खेर ने कहा, ”इसने तो मुझे फिर से बचपन में पहुंचा दिया!”
ऐश्वर्या शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में द्वितीय प्रसार वार्ता का आयोजन किया गया
उदयपुर ,ऐश्वर्या शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में द्वितीय प्रसार वार्ता का आयोजन किया गया जिसके मुख्य वार्ताकार निम्बार्क षिक्षक प्रषिक्षण महाविद्यालय के रीडर ड़ॉ. हनुमान सहाय शर्मा थे। प्रसार वार्ता का विषय “अधिगम के सिद्धान्त“ था।
मुख्य वार्ताकार ड़ॉ. शर्मा ने बताया कि वर्तमान समय में केवल षिक्षक द्वारा छात्र ही नही सीखता वरन् छात्रों द्वारा षिक्षक भी सीखता है। सीखने की प्रकिया को प्रेरणा, प्रोत्साहन व वातावरण श्ी प्रभावित करता है। जिस बालक के पास पूर्व ज्ञान अधिक है, वही जल्दी व षीघ्र ही नवीन ज्ञान ग्रहण करता है। उन्होने अधिगम के विभिन्न सिद्धान्तों की जानकारी दी और बताया की उद्दीपक और अनुक्रिया घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित होते है।
इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत माल्यार्पण कर किया गया। कार्यक्रम का संचालन छा़त्राध्यापक अजय लखारा द्वारा किया गया। धन्यवाद की रस्म छा़त्रसंघ अध्यक्ष रामसिंह देवल द्वारा अदा की गई।
केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की संदिग्ध हालात में मौत
केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत हो गई है.
दिल्ली के होटल लीला के कमरा नंबर 345 में उनका शव मिला है.
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता राजन भगत ने बीबीसी के साथ बातचीत में इसकी पुष्टि की है.
पुलिस ने होटल के इस कमरे को सील कर दिया है और मजिस्ट्रेट भी मौक़े पर पहुँच गए हैं.
शशि थरूर के प्राइवेट सेक्रेटरी ने पत्रकारों को बताया कि गुरुवार से ही शशि थरूर और सुनंदा होटल में रुके हुए थे.
उन्होंने बताया, “शशि थरूर कांग्रेस की बैठक के बाद एक कार्यक्रम में गए थे और उसके बाद रात 830 बजे होटल पहुँचे. कुछ देर बाद जब वे सुइट के एक कमरे में गए थे, तो सुनंदा मृत पाई गईं.”
शशि थरूर और सुनंदा पुष्कर की शादी 2010 में हुई थी.
तकरार
एक दिन पहले ही पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार से ट्विटर पर उनकी काफ़ी तकरार हुई थी.
जिसके बाद शशि थरूर और पत्नी सुनंदा पुष्कर ने एक संयुक्त बयान जारी करके कहा था कि वे सुखी वैवाहिक जीवन बिता रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र में राजनयिक रहे शशि थरूर को 2010 भारत सरकार के मंत्रिपद से एक विवाद के बाद इस्तीफ़ा देना पड़ा था जिसमें आईपीएल क्रिकेट टीम की निविदा में उनकी भूमिका को लेकर सवाल उठाए गए थे.
लेकिन कुछ समय बाद उन्हें मंत्री परिषद में दोबारा शामिल किया गया.
सुनंदा पुष्कर की मौत पर लोगों ने आश्चर्य व्यक्त किया है. विवादों में आई पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार ने ट्विटर पर लिखा है कि वे इस घटना से सदमे में हैं. उन्होंने लिखा है- मैं काफ़ी सदमे में हूँ. ये काफ़ी दुखद है. मैं नहीं जानती कि मुझे क्या कहना चाहिए. आरआईपी (रेस्ट इन पीस) सुनंदा.
जन्नत नशीं हुए सैयदना
उदयपुर। दाउदी बोहरा समाज के 52वे धर्मगुरू सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन का शुक्रवार को ह्रदयाघात से निधन हो गया। वे 102 साल के थे। दक्षिण मुम्बई के मालाबार स्थित सैफी महल में उनका निधन हुआ। शनिवार सुबह उन्हें मुंम्बई में सुपुर्दे ख़ाक किया जाएगा । सैयदना का जनाजा शुक्रवार को रात ११.३० बजे सैफी महल से रवाना होगा।
सैयदना की मौत कि खबर की पुष्टि सैफी महल के प्रवक्ता ने की उनकी मौत की खबर मिलते ही संभाग भर दाउदी बोहरा समाज के लोगों में शोक की लहर दौड़ गई। यहां बोहरवाड़ी में शोक की लहर छा गई। बोहरा समुदाय के सभी व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद कर मातम मनाने के लिए मस्जिदों में एकत्र होना शुरू कर दिया। अपने मौला के नहीं रहने की खबर सुनते ही दाऊदी बोहरा समाज के घर-घर में मातम शुरू हो गया। सैयदना के अंतिम दर्शनों के लिए सम्भाग से सैंकड़ों श्रद्धालु मुंबई रवाना हो गए हैं।
डॉ. सैयदना के अनुयायी दुनियांभर से मुंबई पुहंच रहे हैं। उनके जनाजे की अंतिम यात्रा शुक्रवार को रात ११.३० बजे मुंम्बई में मालाबार स्थित उनके निवास सैफी महल से रवाना होगी जो सुबह तक भिन्डी बाज़ार स्थित रोज़ा ताहेरा सैयदना के वालिद सैयदना ताश सैफुद्दीन की दरगाह पर पहुचेगी जहाँ उन्हें सुपुर्दे ख़ाक किया जायेगा । उनकी अंतिम यात्रा में देश विदेश की कई हस्तियों के आने कि खबर है ।
डॉ. सैयदना कुरान के हाफिज थे। उनका जन्म छह मार्च, 1912 को सूरत में हुआ था। वे ५२ वर्ष की उम्र में गद्दीनशीन हुए थे। डॉ. सैयदना ने जीवनभर अपने समुदाय की रहनुमाई की। दाउदी बोहरा समुदाय में उनका आदेश ही कानून था। उन्होंने सदैव प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। वे हिंदुस्तान से बहुत प्रेम करते थे और अपने अनुयायियों को भी मुल्क की खिदमत का संदेश देते थे।
डॉ. सैयदना को उनकी विद्वता के लिए दुनिया भर में सम्मान प्राप्त हुआ। वे जहां भी जाते उन्हें स्टेट गेस्ट का दर्जा प्राप्त होता था। मौला ने १९९८ में उदयपुर आकर दाउदी बोहरा समुदाय को अमन का पैगाम दिया था। उन्होंने पिछले साल गलियाकोट की यात्रा की थी। डॉ. सैयदना ने अपने जीवन काल में तीन इस्लामिक यूनिवरसिटी की स्थापना की। डॉ. सैयदना ने दुनिया भर में करीब 500 मस्जिदों का निर्माण करवाया।
अपने निधन से पहले ही सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन ने सैयदना मुफ्फदल सैफुद्दीन को अगला धर्मगुरू घोषित कर दिया था।
उदयपुर के बोहरा समुदाय की हर आँख से आंसू छलका …….. (PHOTO)
71 साल के अमिताभ ने 65 साल की जया बच्चन को किया ‘लिप किस’
मेगास्टार अमिताभ बच्चन ‘ब्लैक’ फिल्म में रानी मुखर्जी को ‘लिप-किस’ करते नजर आए थे. लेकिन सार्वजनिक रूप से पहली बार उनकी ऐसी तस्वीरें सामने आई है.
71 साल के अमिताभ ने अपनी 65 साल की पत्नी जया बच्चन को किस किया. यह मौका था हाल ही में हुए स्क्रीन अवॉर्ड्स का, जहां अमिताभ को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजा गया. जया बच्चन और रेखा की गलबहियों वाली तस्वीरें तो आपने खूब देखीं, लेकिन उसके बाद क्या हुआ, वह हम आपको दिखाते हैं.
अमिताभ बच्चन जब अवॉर्ड लेकर मंच से लौटे तो सीधे आगे की सीटों पर बैठे अपने परिवार के पास गए. पत्नी जया ने अप्रत्याशित तौर पर उन्हें अपनी ओर खींचा और किस करके बधाई दी. इस दौरान उनके बेटे अभिषेक बच्चन दोनों के बीच में ही बैठे हुए थे.
सियासत के लिए शांत शहर में न करें सौहार्द तोडने का प्रयास
उदयपुर। प्रतापगढ जिले के एक छोटे से गांव में बीती 14 जनवरी को जो कुछ हुआ वह निंदनीय है। कोई भी सभ्य समाज ऐसे दंगों का समर्थक नहीं हो सकता। दंगे की परिणिती में दोनों ओर से चली गोलियों ने तीन घरों के चिराग बुझा दिए, लाखों रूपयों की सम्पत्ति को फूंका गया। जो कुछ भी हुआ उसकी भर्त्सना की जानी चाहिए लेकिन ऐसे संवेदनशील अवसरों पर वाणी और शब्दों पर संयम की नितांत आवश्यकता है। हिंसा का दौर मानसिक उबाल का परिणाम होता है, उसके लिए दोनों पक्ष जिम्मेदार होते है। घटना के जिम्मेदारों को चिन्हित कर उन्हें निश्चित रूप से दण्डित भी किया जाना चाहिए। लेकिन ऐसे अवसरों का राजनीतिक लाभ हथियाने की चेष्टा करना दुर्भाग्यपूर्ण है। उनकी यह कुचेष्टा माहौल को हवा देने में तात्कालिक रूप से सफल हो सकती है, लेकिन उसके परिणाम समाज एवं देश को वर्षों तक झेलने पडते है।
हाल ही की घटना पर उदयपुर शहर के जिम्मेदार भाजपा के प्रवक्ता ने भाजपा के वरिष्ठ जनप्रतिनिधियों के हवाले से एक विज्ञप्ति जारी कर पुरे मुस्लिम समाज को कटघरे में खडे करते हुए कह दिया कि “उदयपुर शहर सहित अन्य स्थानों पर समुदाय विशेष द्वारा त्यौहार के अवसर पर अराजकता का प्रदर्शन किया गया”
क्या ऐसा कह कर ये अन्य समाजों को जबर्दस्ती मुस्लिम समाज के विरोध में करने की राजनीति नहीं कर रहे है ?
क्या उन्हें उदयपुर शहर और अन्य शहरों की शांति अच्छी नहीं लग रही ?
क्या वे लोकसभा चुनाव के करीब आने से दंगों की राजनीति नहीं करना चाह रहे है ?
शहर के इन जिम्मेदार लोगों ने ही नहीं अन्य सभी ने देखा कि उदयपुर शहर में ईद मिलादुन्नबी के मोके पर निकले गए जुलूस में 70 से 80 हजार लोग आये थे और इतनी भारी तादाद में लोग जुलुस के रूप में खुशियां मनाते हुए निकले लेकिन कहीं से भी कोई अवांछित या अप्रिय घटना नहीं हुई । जहाँ इन जिम्मेदार वोटों की राजनीति करने वालों को शहर के लोगों की तारीफ करनी चाहिए कि अन्य जगह के तुलना में यहाँ इतनी भारी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग निकले लेकिन कही से कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। जबकि जुलूस हर मौहल्ले से होकर गुजरता है। उसकी जगह यह और उकसाने का काम कर रहे है । ऐसे में ये अपने आपको जनप्रतिनिधि कहने वाले खुद के शहर के लोगों में ही भेद भाव की भावना पैदा कर रहे है ।
आराजकता किसको कहते है, शायद यह भी इन जिम्मेदारो को नहीं मालूम। जहाँ कोई कानून ना हो किसी को कानून की पडी ना हो । ईद मिलादुन्नबी की पूर्व संध्या पर मुस्लिम बाहुल्य खांजीपीर में भी साज सज्जा और रौशनी देखने के करीब 30 से 40 हजार लोग आये और सबसे बडी बात यह कि वहां एक भी पुलिस का जवान तैनात नहीं था फिर भी वहाँ के नौजवानो के पुख्ता इंतजाम के चलते बिना कोई अप्रिय घटना के सारा कार्यक्रम शांतिपूर्वक हो गया, तो क्या यह आराजकता होती है ? ईद मिलादुन्नबी का जुलूस ही नहीं कोई भी धार्मिक जुलूस को चाहे भगवान् जगन्नाथ की रथ यात्रा हो, गुरु गोविन्द सिंह साहेब की शोभायात्रा हो, चेटीचंड पर निकाली जाने वाली यात्रा या शिवरात्रि पर निकाले जाने वाली यात्रा हो हर यात्रा अपने आप में एक शांति और धर्म पर चलने का पैगाम लिए होती है। जिसमे लोग भक्ति भाव और दिल से जुडते है। पिछले सौ साल का इतिहास उठा कर देख ले तो इक्का दुक्का घटना को छोड कर कभी किसी यात्रा में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई ।
धार्मिक जुलूस किसी भी धर्म का हो उसमे भाग लेने वाले लोग कभी आराजकता पैदा नहीं करते। हां खुशी के आलम में कुछ अनुशासनहीनता हो सकती है जो हर समाज के मोतबीर लोगों को ध्यान रखना चाहिए लेकिन आराजकता नहीं हो सकती। धार्मिक जुलूस कोई राजनैतिक पार्टियों की रैली या हडताल के जुलूस की तरह नहीं होते जहाँ लोगों को खरीदकर बुलाया जाता है। और आराजकता का माहोल बनाया जाता है ।
ऐसे माहोल में ऐसे जिम्मेदार लोग अपने वोट और सीट की चिंता करने वाले लोग जो खुद को जनप्रतिनिधि कहते है वे लोग इस तरह से समाजों में घृणा पैदा करके कुछ वक्त के लिए जरूर जीत जायेगे लेकिन ऐसे लोग ही इन दंगों की राजनीति और साप्रदायिकता के घोडे पर सवार होकर पहले इस शहर को और फिर देश को गर्त में ले जायेगें।